आधुनिक तकनीक और मानवीय संवेदनाएं


आधुनिक तकनीक मानवीय संवेदनाओं से खेल रही है |
आज का युग विज्ञान का युग है | जीवन के हर क्षेत्र में विज्ञान और उस पर आधारित तकनीक का बोलबाला है | हम तकनीक पर इतने ज्यादा निर्भर हैं कि अब उसके बिना जीवन की कल्पना भी संभव नहीं रही | तकनीक के इस प्रयोग ने हमारे जीवन को काफी सुविधाजनक बना दिया है | चाहे घर का काम हो, यातायात के साधन हो या औद्योगिक उत्पादन हो, सब कुछ आधुनिक तकनीक के सहारे पहले से बेहतर और तेज गति से हो रहा है | जीवन को सुखी और सुरक्षित बनाने के लिए एक से बढ़कर एक आविष्कार हो रहे हैं | इसका मानव समाज को बहुत लाभ हो रहा है |

इस बात में कोई शक नहीं है कि तकनीक हमारे जीवन का अआश्यक अंग बन गई है और इससे हमें बहुत लाभ भी हुआ है | किंतु आधुनिक तकनीक की इस चकाचौंध में मानवीय संवेदनाएँ जिस तरह मजाक बन कर रह गई है, उस तरफ बहुत कम लोगों का ध्यान गया है | लोगों के पास अब एक दूसरे के लिए समय ही नहीं रहा | लोग या तो काम में व्यस्त रहते हैं या आधुनिक उपकरणों में लगे रहते हैं | मोबाइल-कंप्यूटर-इंटरनेट इनसे लोगों को फुर्सत ही नहीं मिलती |

पहले बच्चें घर से निकलने और खेलने का बहाना खोजते थे | किसी तरह मौका मिला नहीं कि मैदान की तरफ भागे | छुट्टियों के दिन मैदानों पर पैर रखने को जगह नहीं मिला करती थी | बच्चों का हुजूम नजर आता था | मैदान में भी बच्चें अपने खेलने की जगह बाँट लेते थे कि किसकी टीम कहाँ खेलेगी | यदि कोई और उस जगह पर खेलने आ जाए तो घमासान मच जाता था | साथ में खेलने से बच्चों में मित्रता कि भावना बढ़ती | आपस में भाईचारा बढ़ता | आज हालत बिलकुल उलटा है | बच्चों के लिए खेल का मतलब हो गया है कंप्यूटर गेमिंग | पूरा दिन निकल जाता है कंप्यूटर पर खेलते हुए | कई दिनों तक सूरज की रौशनी भी नहीं देखते | जब आपस में मिलेंगे ही नहीं तो मित्रता कैसे बढ़ेगी, भाईचारा कैसे बढेगा | यदि किसी वजह से साथ में बैठे तो भी मोबाइल में लगे रहते हैं | एक दूसरे को कुछ कहना हो तो बोलने कि बजाय मेसेज भेजते हैं | जवाब भी मेसेज से मिलता है |

घरों में पहले लोग साथ में खाना खाते थे | रात को पूरा परिवार साथ में बैठकर टीवी देखता, एक दूसरे से बातें करते | यदि टीवी न हो तो जाकर पड़ोसियों से बातें करते | अब लोग बाहर से आते ही अपना-अपना मोबाइल लेकर बैठ जाते हैं | परिवारवालों को आपस में बात करने का समय ही नहीं | बच्चें माता-पिता से बात करने के बजाय मोबाइल पर चैट करना ज्यादा पसंद करते हैं | अभिभावकों को पता ही नहीं चलता कि मेरे बच्चें के जीवन में क्या हो रहा | एक दूसरे के प्रति जो भावनात्मक लगाव हुआ करता था, वो दिनों दिन कम हो रहा है | कई बार कंप्यूटर के दूसरे छोर पर बैठे अनजान व्यक्ति से हम घंटों बात करते हैं, उसके साथ अपनी कई बातें साझा करते हैं पर अपने परिवार वालों के साथ कई दिनों तक बातें नहीं होती | इससे परिवार के सदस्यों का एक दूसरे पर जो प्रेम हुआ करता था, अब वैसा नहीं रहा | एक ही घर में रहकर भी लोग एक दूसरे के लिए अजनबी हैं | तकनीक के आवश्यकता से अधिक प्रयोग से मनुष्य भावनाशुन्य होता जा रहा है |


theviralnews.info

Check out latest viral news buzzing on all over internet from across the world. You can read viral stories on theviralnews.info which may give you thrills, information and knowledge.

Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form