विकास किसे कहते हैं सही मायने में ,मैं बताता हूं।


आजादी के बाद से आज तक ये सड़क , बिजली, पानी , शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधा पाना कोई विकास नहीं है ये तो हमारी ज़रुरते है। जो सरकारें हमको मुहैया कराती है।

विकास का अंतिम लक्ष्य लोगों के रहन-सहन व जीवन स्तर में वृद्धि करना होता है और रहन-सहन का स्तर उपभोग के लिए उपलब्ध वस्तुओं व सेवाओं की मात्रा पर निर्भर करता है। अत: प्रति व्यक्ति उपभोग का स्तर आर्थिक विकास का सर्वोत्तम मापदंड है। किन्तु इस माप की भी अपनी एक कठिनाई है। प्रत्येक देश को भविष्य में अधिक उत्पादन करने के लिए पूंजी-संचय व बचत की आवश्यकता होती है और इसके लिए उपभोग को कम करना पड़ता है। यदि कोई देश अपने उपभोग को कम करके बचत व पूंजी निर्माण में वृद्धि कर रहा होगा तो प्रति व्यक्ति उपभोग स्तर को विकास का मापदंड मान लेने पर उस देश का आर्थिक विकास नहीं माना जाएगा। दूसरी ओर, यदि कोई देश वर्तमान में अपने उपभोग स्तर में तो काफी वृद्धि कर लेता है किन्तु उसकी बचत व पूंजी निर्माण कम हो जाता है, तो इससे भविष्य में उसके कुल उत्पादन में कमी आने की संभावना उत्पन्न हो जाएगी। किन्तु प्रति व्यक्ति उपभोग स्तर के मापदंड के अनुसार उस देश का आर्थिक विकास हुआ है, यह कहा जाएगा।

यदि किसी देश में जी.डी.पी. में हुई वृद्धि की तुलना में जनसंख्या में अधिक तीव्र दर से वृद्धि हो जाए तब प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. एवं वस्तुओं व सेवाओं की उपलब्धि पहले की तुलना में घट जाएगी। ऐसी स्थिति होने पर यदि हम यह घोषणा करें कि उस देश का विकास हुआ है तो यह हास्यास्पद बात ही होगी।

अधिकांश अर्थशास्त्री प्रति व्यक्ति वास्तविक जी.डी.पी. में वृद्धि को ही विकास का सर्वोत्तम, व्यावहारिक एवं सुविधाजनक मापदंड मानते हैं।
GDP क्या है और कैसे calculate किया जाता है?

GDP ( Gross Domestic Product) का मतलब

>>वे सभी चीजें जो देश के अन्दर …mind it…देश के अन्दर (domestic)….उत्पादित की जाती हैं, उनका आर्थिक मूल्य (money value)
>>domestic means within country.
>>सभी चीजों से मतलब गुड्स and सर्विसेज दोनों.

GNP (Gross National Product) का मतलब?
>> वे सभी चीजें जो देश के अन्दर उत्पादित की जाती हैं PLUS income जो बाहर से abroad से आई हों, उनका आर्थिक मूल्य (money value). जैसे कैलाश खेर विदेश में अमेरिका जाकर जो पैसा हमारे देश भारत में लाये = counted in GNP… दूसरी ओर, राहत फतेह अली खान भारत देश में गाकर कमाए हुए पैसे पकिस्तान भेजते हैं जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण हो सके, इस कमाए हुए पैसे को हमें इंडिया के GNP में से घटाना होगा (जबकि पाकिस्तान उसे अपने जीएनपी में काउंट करेगा).

उसी तरह अमेरिका अपने देश का GNP count करते वक़्त कैलाश खेर द्वारा कॉन्सर्ट में कमाए हुए पैसे को total GNP से घटा देगा.

अब हम खुद से GNP का एक देसी फार्मूला बनाना चाहें तो क्या होना चाहिए?

Gross National production=देश के अन्दर जो सभी चीजें उत्पादित की जाती हैं उनका money value+ बाहर से आने वाली Incoming money– बाहर जाने वाली outgoing money.
या …
GNP = GDP + बाहर से आने वाली Incoming money– बाहर जाने वाली outgoing money.


GDP को तीन विधियों द्वारा calculate किया जाता है….

a) Expenditure method of counting GDP

इसके अंतर्गत हम उन सभी पैसों को जोड़ते हैं जो हमारे द्वारा खर्च किये जाते हैं.

मगर इसको एक technical formula में कैसे form करें? खुद से पूछिए.

#Consumption (C) उपभोग by आम जनता=

>>जैसे आप और आपके दोस्त बिग बाज़ार में लौलिपोप खरीद कर खा रहे हैं, उसका खर्च जोड़ा जायेगा.

>>मैं आपका सेकंड हैण्ड बाइक खरीद लेता हूँ. क्या यह consumption में गिना जायेगा? नहीं. क्योंकि यही बाइक दुबारा produce नहीं होने वाला….we need first price of a good.



जब आपने वह बाइक 10 साल पहले 30 हज़ार में ख़रीदा था तो हम लोगों ने उस साल के देश के GDP में इस amount को गिना था. इसीलिए इसके मूल्य को GDP count करते समय दुबारा नहीं गिना जायेगा.

अब मैं आपके बाइक को ऑटो डीलर (जिसने कमीशन में एक हजार रूपया पाया) से खरीदता हूँ तो क्या यह देश के GDP में count होगा? …हाँ होगा :p ….ऐसा इसलिए क्योंकि उसने अपना सर्विस मुझे बेचा. जब-जब वह कोई सेकंड हैण्ड प्रोडक्ट बेचेगा, यद्यपि अवश्य कोई नए प्रोडक्ट का सृजन नहीं होगा मगर हर बार नए सर्विस का वह सृजन जरुर करेगा.

मगर उस स्थिति में क्या होगा जब वह डीलर कमीशन में प्राप्त किये हुए एक हज़ार रुपये को अपने खर्चे के लिए खर्च करेगा? जैसे यदि उसे हज़ार रुपये इलेक्ट्रिसिटी बिल भरनी है तो क्या हम यह निष्कर्ष निकालें कि —

वह हज़ार रूपया एक जगह से दूसरी जगह गया इसीलिए हमारा GDP वही रहेगा = 1000 रु……?

नहीं…

GDP = वे सभी चीजें (goods+services) जो देश के अन्दर …mind it…देश के अन्दर (domestic)….उत्पादित की जाती हैं, उनका आर्थिक मूल्य (money value)

इसीलिए ब्रोकेज सर्विस 1000 रु. अलग से count होगा और इलेक्ट्रिसिटी बिल का 1000 रु. अलग से.

=> GDP= 1000 रु. ब्रोकेज+1000 रु. इलेक्ट्रिसिटी बिल= 2000 रु.

इलेक्ट्रिसिटी बिल कंपनी अपने प्यून को 1000 रु. वेतन देगी. तो वेतन भी अलग से GDP में count होगा.

Now,

GDP= 1000 रु. ब्रोकेज+1000 रु. इलेक्ट्रिसिटी बिल + 1000 रु. = 3000 रु.



#Investment (I)=

लोग जो बैंक में पैसे डालते हैं, शेयर मार्किट में पैसे लगते हैं etc…

# Government spending (G)=

सरकार स्टाफ को सैलरी देती है, सैन्य सामानों को खरीदती है, सरकारी बिल्डिंगों पर खर्च…..इत्यादि

# Export and Import [X and M]=

वे पैसे जो निर्यात से पाते हैं, उन्हें जोड़ा जायेगा

क्या आपको याद है, GDP का मतलब वे सभी चीज जो देश के अन्दर …mind it…देश के अन्दर (domestic)….उत्पादित की जाती हैं, उनका आर्थिक मूल्य (money value) ….. इसीलिए यदि हम import करते हैं यानी दूसरे देश से कुछ खरीदते हैं तो उसे GDP से घटाया जायेगा क्योंकि बाहर से लिया गया सामान देश के अन्दर produce नहीं हुआ है.

So what would be our desi formula??

GDP = Consumer+Investor+Government + (eXporter – iMporter)

किताबी formula है …

GDP(Expenditure)=C+I+G+(X-M)

b) Income method of counting GDP

इसके अंतर्गत आप सभी की आय (income) को गिनोगे. मगर कुछ ऐसे लोग होंगे जो अपना बिज़नस उधार से चला रहे हों, या किसी को देर से payment मिल रहा हो ….इसीलिए यह विधि टिकाऊ नहीं होती.

c) Production method of counting GDP

उन सभी चीजों का आर्थिक मूल्य जो उत्पादित होती हों….(value added at each stage)

किसान गेहूँ उत्पादित करता है और 100 kg …2000 रु. में बेचता है.
आंटे के मिल ने उसे खरीद लिया, इसको पीसा और किसी bakery वाले को 2500 रु. में बेच दिया. (पिछली खरीद से +500 रु. added )
Bakery वाले ने उसका ब्रेड बनाया, बिस्कुट बनाया….और हमें बेच दिया…@ 3500 रु. में (पिछली खरीद से +1000 रु. added)
तो कुल GDP क्या हुआ?

2000+2500+3500= 8000 रु. ???? न …न …आपको value added देखना है.
इसीलिए, कुल आर्थिक मूल्य (money value) = 2000+500+1000=3500.



…..
आजकल कई स्तरों पर दोहराया जा रहा है कि हम विकास कर रहे हैं। अगर हम अपने रोजमर्रा जीवन पर नजर डालें तो लगता है सचमुच हमारी सहूलियतें बढ़ गई हैं। निश्चय ही यह विकास का लक्षण है। लेकिन डिवेलपमेंट के साथ एक बड़ी विचित्र बात यह हो रही है कि सकारात्मक के साथ-साथ नकारात्मक बातों का भी विकास हो रहा है। अब इसे भी हम अपने अनुभवों से आंकें। क्या पहले हम इतना अकेले, परेशान या भयग्रस्त थे? दिक्कत यह है कि हम विकास को ठोस चीजों से ही आंकते हैं यानी रुपया-पैसा, सामान, सड़क, गाड़ी वगैरह। हमारे मन की चीजें चूंकि दिखती नहीं इसलिए हम उन्हें विचार का हिस्सा नहीं बनाते। आज आर्थिक विकास के साथ करप्शन और दूसरे अपराधों ने भी अपना विकास कर लिया है। तो फिर इस विकास का हासिल क्या है? यही न कि एक समस्या दूर हुई तो उसकी जगह दूसरी आकर खड़ी हो गई। इसलिए हमें विकास की नई परिभाषा खोजनी होगी। विकास तभी माना जाए जब मनुष्यता को उसकी समस्याओं से मु्क्ति मिले।

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