सर्व धर्म समभाव


सनातन धर्म के प्रति हिन्दुओं की आस्था नष्ट करने के लिए ब्रिटिश शासन द्वारा परतंत्र भारत में मैकाले की शिक्षा प्रणाली शुरु की गयी थी, उसके प्रभाव से आज भी शिक्षित समाज में प्रतिष्ठित लोग सनातन धर्म की महिमा से अनभिज्ञ हैं तथा इसका गौरव भूलकर पाश्चात्य काल्पनिक कल्चर से प्रभावित हो रहे हैं। क्योंकि आज भी भारत के विद्यालयों-महाविद्यालयों में वही झूठा इतिहास पढ़ाया जा रहा है, जो अंग्रेज कूटनीतिज्ञों ने लिखा था। भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद राजनैतिक पार्टियों ने अपना वोट-बैंक बनाने के उद्देश्य से ʹसब धर्म समान हैंʹ - ऐसा प्रचार शुरु किया। उनका उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना ही था।
बाजार में मिलने वाला सब उपकरण समान नहीं होते, सब वस्त्र समान नहीं होते। उनका मूल्य उनके गुण दोष के आधार पर भिन्न-भिन्न निर्धारित किया जाता है। ʹसब राजनैतिक पार्टियाँ समान हैंʹ - ऐसा कोई कहे तो राजनेता नाराज हो जायेंगे। सब अपनी पार्टी को श्रेष्ठ और अन्य पार्टियों को कनिष्ठ बताते हैं, पर धर्म के विषय में ʹसर्व धर्म समानʹ कहने में उनको लज्जा नहीं आती।
सनातन धर्म के अतिरिक्त अन्य धर्म अपने धर्म को ही सच्चा मानते हैं और दूसरे धर्मों की निंदा करते हैं। केवल सनातन धर्म ने ही अन्य धर्मों के प्रति उदारता और सहिष्णुता का भाव सिखाया है। इसका मतलब यह नहीं कि सब धर्म समान हैं। गंगा का जल और तालाब, कुएँ या नाली का पानी समान कैसे हो सकता है ? यदि समस्त विश्व के सभी धर्मों का अध्ययन करके तटस्थ अभिप्राय बताने वाले विद्वानों ने किसी एक धर्म को तर्कसंगत और श्रेष्ठ घोषित किया हो तो उसकी महानता सबको स्वीकार करनी पड़ेगी।

सम्पूर्ण विश्व में यदि किसी धर्म को ऐसी व्यापक प्रशस्ति प्राप्त हुई है तो वह है ʹसनातन धर्म।ʹ जितनी व्यापक प्रशस्ति सनातन धर्म को मिली है, उतनी ही व्यापक आलोचना ईसाइयत की अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों और फिलॉसफरों (दार्शनिकों) ने की है। सनातन धर्म की महिमा एवं सच्चाई को भारत के संत और महापुरुष तो सदियों से सैद्धांतिक व प्रायोगिक प्रमाणों के द्वारा प्रकट करते आये हैं। फिर भी पाश्चात्य विद्वानों से प्रमाणित होने पर ही किसी बात को स्वीकार करने वाले, पाश्चात्य बौद्धिकों के गुलाम – ऐसे भारतीय बुद्धिजीवी लोग इस श्रृंखला को पढ़कर भी सनातन धर्म की श्रेष्ठता को स्वीकार करेंगे तो हमें प्रसन्नता होगी और यदि वे सनातन धर्म के महान ग्रंथों का अध्ययन करें तो उनको इसकी श्रेष्ठता के अनेक सैद्धांतिक प्रमाण मिलेंगे। इसके अलावा यदि वे किसी आत्मानुभवी महापुरुष के मार्गदर्शन में सत्संग-साधना करें तो चिंता, दुःख, बंधन से छूटकर जीवन हरिमय हो जायेगा।
निम्नलिखित विश्वप्रसिद्ध विद्वानों के वचन सनातन धर्म की महत्ता प्रतिपादित करते हैं और ʹसर्व धर्म समानʹ कहने वाले लोगों के मुँह पर करारा तमाचा लगाते हैं-
"मैंन यूरोप और एशिया के सभी धर्मों का अध्ययन किया है परंतु मुझे उन सबमें हिन्दू धर्म ही सर्वश्रेष्ठ दिखायी देता है। मेरा विश्वास है कि इसके सामने एक दिन समस्त जगत को सिर झुकाना पड़ेगा। मानव-जाति के अस्तित्व के प्रारम्भ के दिनों से लेकर अब तक पृथ्वी पर जहाँ जिंदे मनुष्यों के सब स्वप्न साकार हुए हैं, वह एकमात्र स्थान है – भारत।"
रोमा रोलां (फ्रेंच विद्वान)
मैंने 40 वर्षों तक विश्व के सभी बड़े धर्मों का अध्ययन करके पाया कि हिन्दू धर्म के समान पूर्ण, महान और वैज्ञानिक धर्म कोई नहीं है। डॉ. एनी बेसेंट (ब्रिटिश लेखिका, थियोसॉफिस्ट, समाजसेविका)
मैं ईसाई धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ। इसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है। वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है। इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं। फिलास्फर नित्शे (जर्मन दार्शनिक)
जीवन को ऊँचा उठाने वाला उपनिषदों के समान दूसरा कोई अध्ययन का विषय सम्पूर्ण विश्व में नहीं है। इनसे मेरे जीवन को शांति मिली है, इन्हीं से मुझे मृत्यु के समय भी शांति मिलेगी।" शॉपनहार (जर्मन दार्शनिक)
प्राचीन युग की सभी स्मरणीय वस्तुओं में भगवदगीता से श्रेष्ठ कोई भी वस्तु नहीं है। गीता के साथ तुलना करने पर जगत का समस्त आधुनिक ज्ञान मुझे तुच्छ लगता है। मैं नित्य प्रातःकाल अपने हृदय और बुद्धि को गीतारूपी पवित्र जल में स्नान कराता हूँ।
हेनरी डेविड थोरो (अमेरिकन लेखक व दार्शनिक)
धर्म के क्षेत्र में सब राष्ट दरिद्र हैं लेकिन भारत इस क्षेत्र में अरबोंपति है। - मार्क टवेन (अमेरिकन विद्वान)
विश्व के किसी भी धर्म ने इतनी वाहियात, अवैज्ञानिक, आपस में विरोधी और अनैतिक बातों का उपदेश नहीं दिया, जितना चर्च ने दिया है। - टॉलस्टॉय (रूसी नैतिक विचारक)
गीता का उपदेश इतना अलौकिक, दिव्य और ऐसा विलक्षण है कि जीवन-पथ पर चलते-चलते अऩेक निराश एवं श्रांत पथिकों को इसने शांति, आशा व आश्वासन दिया है और उऩ्हें सदा
के लिए चूर-चूर होकर मिट जाने से बचा लिया है। ठीक उसी प्रकार जैसे इसने अर्जुन को बचाया। - के ब्राउनिंग
बाईबिल पुराने और दकियानूसी अंधविश्वासों का एक बंडल है। - जार्ज बर्नाड शा (सुप्रसिद्ध आइरिश विद्वान)
भारत में पादरियों का धर्म-प्रचार हिन्दू धर्म को मिटाने का खुला षडयंत्र है, जो कि एक लम्बे अरसे से चला आ रहा है। हिन्दुओं का तो यह धार्मिक कर्तव्य है कि वे ईसाइयों के षडयंत्र से आत्मरक्षा में अपना तन-मन-धन लगा दें और आज जो हिन्दुओं को लपेटती हुई ईसाइयत की लपट परोक्ष रूप से उनकी ओर बढ़ रही है, उसे यहीं पर बुझा दें। ऐसा करने से ही भारत में धर्म-निरपेक्षता, धार्मिक बंधुत्व तथा सच्चे लोकतंत्र की रक्षा हो सकेगी अन्यथा आजादी को पुनः खतरे की सम्भावना हो सकती है। - पं. श्रीराम शर्मा।
हमें गोमांस-भक्षण और शराब पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह जहर है, जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। मिशनरियों के प्रभाव से हिन्दू परिवार का विदेशी भाषा, वेशभूषा, रीति-रिवाज के द्वारा विघटन हुआ है। यदि मुझे कानून बनाने का अधिकार होता तो मैं धर्म-परिवर्तन बंद करवा देता। इसे तो मिशनरियों ने एक व्यापार बना लिया है, पर धर्म आत्मा की उन्नति का विषय है। इसे रोटी, कपड़ा या दवाई के बदले में बेचा या बदला नहीं जा सकता। - महात्मा गांधी

हिन्दू समाज में से एक मुस्लिम या ईसाई बने, इसका मतलब यह नहीं कि एक हिन्दू कम हुआ बल्कि हिन्दू समाज का एक दुश्मन और बढ़ा। - स्वामी विवेकानंद
तटस्थ एवं निष्पक्ष विद्वानों व विचराकों द्वारा सनातन धर्म एवं अन्य धर्मों के विषय में प्रकट किये गयेच इऩ विचारों के अध्ययन के पश्चात आशा है कि सनातन धर्मावलम्बी स्वयं को हिन्दू कहलाने में गर्व का अनुभव करेंगे।
सबके प्रति स्नेह व सदभाव रखना भारतवर्ष की विशेषता है लेकिन ʹसर्व धर्म समानʹ का भाषण देने वाले लोग भोले-भाले भारतवासियों के दिलोदिमाग में मैकाले की कूटनीतिक शिक्षा नीति और पाश्चात्य गुलामी के संस्कार भरते हैं। जैसे-चपरासी, सचिव, जिलाधीश आदि सब अधिकारी समान नहीं होते, गंगा, यमुना, गोदावरी आदि नदियों का जल और कुएँ, बावली नाली का जल समान नहीं होता, ऐसे ही सब धर्म समान नहीं होते।

वन्देमातरम

theviralnews.info

Check out latest viral news buzzing on all over internet from across the world. You can read viral stories on theviralnews.info which may give you thrills, information and knowledge.

Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form