कानपुर :
सर्व धर्म समभाव और सामाजिक समरसता काे कायम रखने के लिए शहर में अनूठी पहल की गई है। यहां गांधी मार्केट पर एक ही पंडाल में श्रीगणेशजी विराजे हैं और उसी में मोहर्रम के ताजिए रखे हुए हैं। राइन कमेटी और गणेश उत्सव समिति ने आपस में बैठकर समूचे आयोजन के लिए ऐसे निर्णय लिए हैं जिनसे गंगा- जमुनी तहजीब का संदेश दूर- दूर तक जाएगा। तय किया गया है कि जब श्रीगणेश जी की आरती होगी तब ताजियों पर मातमी धुन का वादन नहीं किया जाएगा और जब अलम- अखाड़े का प्रदर्शन किया जाएगा तब भक्ति संगीत नहीं गूंजेगा।
एक ही पंडाल में गणेश जी की झांकी और मोहर्रम का ताजिया जब होगी गणेश जी की आरती तब नहीं बजेगी मातमी धुन
दोनों समाज के लोगों ने सामंजस्य से टेंट लाइट और डेकोरेशन की व्यवस्था की
हिंदू- मुस्लिम समुदाय के त्योहार एक साथ पड़ने पर न केवल शासन-प्रशासन चिंतित हो उठता है बल्कि समाज संगठनों के बीच भी अनहोनी की आशंकाएं पनपने लगती हैं। इस प्रकार की सभी शंका- कुशंकाओं को राइन समाज और गणेश उत्सव समिति ने मिल बैठकर ऐसा सुलझाया कि सब एक- दूसरे की व्यवस्थाओं में घुल मिल गए। पंडाल हो या लाइट डेकोरेशन का खर्च एक-दूसरे ने वहन कर लिया। मोहर्रम का जुलूस 21 सितंबर को निकलने के साथ मातमी त्योहार संपन्न हो जाएगा जबकि गणेश उत्सव 23 तक चलेगा। इसलिए टेंट, लाइट, डेकोरेशन की व्यवस्थाएं गणेश उत्सव संपन्न होने तक यथावत रहेंगी। इस अनूठी पहल को प्रो. इकबाल अली ने एक शेर के माध्यम से बयां किया- ढंक लिया उसने सिर अदब से सुनकर के अजान, एक पुजारिन ने मेरा ईमान ताजा कर दिया, आराध्य किसी जाति विशेष के न होकर सर्व समाज के होते हैं।
एक ही पंडाल में गणेश पूजा और मुहर्रम मना रहे हिन्दू-मुस्लिम
कानपुर.गंगा यमुना तहजीब की अनूठी मिशाल देखने को मिल रही है l एक ही पंडाल के नीचे गणपति बाप्पा मोर्या का उद्घोष हो रहा है वही दूसरी तरफ फातिया और दुआए पढ़ी जा जा रही है। पंडाल के मेन गेट पर एक तरह हिन्दू ध्वज और दूसरी तरफ मुस्लिम ध्वज के बीच तिरंगा को फैराया गया है l इस आपसी सौहाद्र को देखने की भीड़ आ रही है।एक दूसरे के धार्मिक कार्यक्रममें हिन्दू-मुस्लिम शामिल होकर उसे और भी बेहतर करने के प्रयास में लगे हुए है l
एक ही गली में सजे दोनों पंडाल :जूही लक्ष्मणपुरवा इलाके में एक ही गली में दोनों धर्म के लोग अगल बगल ही गणेश पूजा व मोहर्रम मना रहे है । एक तरफ ढोल नगाड़ों की थापमें गणपति बप्पा मोरया की जयकार सुनाई दे रही तो दूसरी तरफ मुस्लिम अपने रीति रिवाज से मोहर्रम मना रहे है। यहांकी सबसे खास बात ये है कि जब हिन्दू वर्ग के लोग पूजा करते है तो मुस्लिम समुदाय के लोग उसमें शामिल होकर अपने साउंड को बंद कर देते है इसी तरह से जब मुस्लिम धर्म के लोग मोहर्रम की दुआ,फातिया करते है। हिन्दू धर्म के लोग अपना लाउडस्पीकर व भक्ति संगीत बन्द कर देते है। वही दोनोंसमुदायों की माने तो इस तरह से कर के दोनों समुदाय एक दूसरे के बीच भाई चारे का माहौल बना रहे है और समाज मेंहिन्दू मुस्लिम एकता का संदेश दे रहे है।इस तरह की पहल सच मे काबिले तारीफ है।
पांच दशक से ज्यादा समयसे मनाया जा रहा:रिहाना और नरेंद्र पाण्डेय के मुताबिक यहाँ पर हिन्दू मुस्लिम सभी मिलकर एक दूसरे के त्योहारों में शामिल होते है l गणेश पूजन का आयोजन हमारे क्षेत्र पिछले पांच दशक से ज्यादा समयसे मनाया जा रहा है l लेकिन इस आयोजन को हिन्दू मुस्लिम सभी मिलकर करते है l एक दूसरे का सहयोग करते है l जब गणेश विसर्जन का आयोजन होता है तो मुस्लिम भी जाते है l इसी तरह से जब मुहर्रम के मौके पर ताजिया निकलती है तो उसमे हिन्दू भाई भी शामिल होते है l यह आयोजनआपसी भाई चारे से होते है यह सब देख कर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन भी हैरान रहता है l
बहुत ही संवेदनशील है इलाका : यह इलाकाबहुत ही सवेंदनशील माना जाता रहा है ,साथ ही पिछले साल मामूली सी बात पर बगल के मोहल्ले जूही परमपुरवा में दोनों समुदायों के बीच जमकर बवाल आगजनी भी हुई थी। इस बार भी पुलिस से लेकर एलआईयू को सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से निपटाने के लिए लगाया गया है ,पर इस मोहल्ले के लोगोंके तरह ही यदि सभी अपने दिल को बड़ा कर लें और साथ मिलकर एक दुसरे की भावनाओं को समझ कर एक दूसरे के धर्म कासम्मान करें तो न सिर्फ कानपुर की बल्कि पूरे भारत की तस्वीर ही अलग नजर आए।
सर्व धर्म समभाव और सामाजिक समरसता काे कायम रखने के लिए शहर में अनूठी पहल की गई है। यहां गांधी मार्केट पर एक ही पंडाल में श्रीगणेशजी विराजे हैं और उसी में मोहर्रम के ताजिए रखे हुए हैं। राइन कमेटी और गणेश उत्सव समिति ने आपस में बैठकर समूचे आयोजन के लिए ऐसे निर्णय लिए हैं जिनसे गंगा- जमुनी तहजीब का संदेश दूर- दूर तक जाएगा। तय किया गया है कि जब श्रीगणेश जी की आरती होगी तब ताजियों पर मातमी धुन का वादन नहीं किया जाएगा और जब अलम- अखाड़े का प्रदर्शन किया जाएगा तब भक्ति संगीत नहीं गूंजेगा।
एक ही पंडाल में गणेश जी की झांकी और मोहर्रम का ताजिया जब होगी गणेश जी की आरती तब नहीं बजेगी मातमी धुन
दोनों समाज के लोगों ने सामंजस्य से टेंट लाइट और डेकोरेशन की व्यवस्था की
हिंदू- मुस्लिम समुदाय के त्योहार एक साथ पड़ने पर न केवल शासन-प्रशासन चिंतित हो उठता है बल्कि समाज संगठनों के बीच भी अनहोनी की आशंकाएं पनपने लगती हैं। इस प्रकार की सभी शंका- कुशंकाओं को राइन समाज और गणेश उत्सव समिति ने मिल बैठकर ऐसा सुलझाया कि सब एक- दूसरे की व्यवस्थाओं में घुल मिल गए। पंडाल हो या लाइट डेकोरेशन का खर्च एक-दूसरे ने वहन कर लिया। मोहर्रम का जुलूस 21 सितंबर को निकलने के साथ मातमी त्योहार संपन्न हो जाएगा जबकि गणेश उत्सव 23 तक चलेगा। इसलिए टेंट, लाइट, डेकोरेशन की व्यवस्थाएं गणेश उत्सव संपन्न होने तक यथावत रहेंगी। इस अनूठी पहल को प्रो. इकबाल अली ने एक शेर के माध्यम से बयां किया- ढंक लिया उसने सिर अदब से सुनकर के अजान, एक पुजारिन ने मेरा ईमान ताजा कर दिया, आराध्य किसी जाति विशेष के न होकर सर्व समाज के होते हैं।
एक ही पंडाल में गणेश पूजा और मुहर्रम मना रहे हिन्दू-मुस्लिम
कानपुर.गंगा यमुना तहजीब की अनूठी मिशाल देखने को मिल रही है l एक ही पंडाल के नीचे गणपति बाप्पा मोर्या का उद्घोष हो रहा है वही दूसरी तरफ फातिया और दुआए पढ़ी जा जा रही है। पंडाल के मेन गेट पर एक तरह हिन्दू ध्वज और दूसरी तरफ मुस्लिम ध्वज के बीच तिरंगा को फैराया गया है l इस आपसी सौहाद्र को देखने की भीड़ आ रही है।एक दूसरे के धार्मिक कार्यक्रममें हिन्दू-मुस्लिम शामिल होकर उसे और भी बेहतर करने के प्रयास में लगे हुए है l
एक ही गली में सजे दोनों पंडाल :जूही लक्ष्मणपुरवा इलाके में एक ही गली में दोनों धर्म के लोग अगल बगल ही गणेश पूजा व मोहर्रम मना रहे है । एक तरफ ढोल नगाड़ों की थापमें गणपति बप्पा मोरया की जयकार सुनाई दे रही तो दूसरी तरफ मुस्लिम अपने रीति रिवाज से मोहर्रम मना रहे है। यहांकी सबसे खास बात ये है कि जब हिन्दू वर्ग के लोग पूजा करते है तो मुस्लिम समुदाय के लोग उसमें शामिल होकर अपने साउंड को बंद कर देते है इसी तरह से जब मुस्लिम धर्म के लोग मोहर्रम की दुआ,फातिया करते है। हिन्दू धर्म के लोग अपना लाउडस्पीकर व भक्ति संगीत बन्द कर देते है। वही दोनोंसमुदायों की माने तो इस तरह से कर के दोनों समुदाय एक दूसरे के बीच भाई चारे का माहौल बना रहे है और समाज मेंहिन्दू मुस्लिम एकता का संदेश दे रहे है।इस तरह की पहल सच मे काबिले तारीफ है।
पांच दशक से ज्यादा समयसे मनाया जा रहा:रिहाना और नरेंद्र पाण्डेय के मुताबिक यहाँ पर हिन्दू मुस्लिम सभी मिलकर एक दूसरे के त्योहारों में शामिल होते है l गणेश पूजन का आयोजन हमारे क्षेत्र पिछले पांच दशक से ज्यादा समयसे मनाया जा रहा है l लेकिन इस आयोजन को हिन्दू मुस्लिम सभी मिलकर करते है l एक दूसरे का सहयोग करते है l जब गणेश विसर्जन का आयोजन होता है तो मुस्लिम भी जाते है l इसी तरह से जब मुहर्रम के मौके पर ताजिया निकलती है तो उसमे हिन्दू भाई भी शामिल होते है l यह आयोजनआपसी भाई चारे से होते है यह सब देख कर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन भी हैरान रहता है l
बहुत ही संवेदनशील है इलाका : यह इलाकाबहुत ही सवेंदनशील माना जाता रहा है ,साथ ही पिछले साल मामूली सी बात पर बगल के मोहल्ले जूही परमपुरवा में दोनों समुदायों के बीच जमकर बवाल आगजनी भी हुई थी। इस बार भी पुलिस से लेकर एलआईयू को सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से निपटाने के लिए लगाया गया है ,पर इस मोहल्ले के लोगोंके तरह ही यदि सभी अपने दिल को बड़ा कर लें और साथ मिलकर एक दुसरे की भावनाओं को समझ कर एक दूसरे के धर्म कासम्मान करें तो न सिर्फ कानपुर की बल्कि पूरे भारत की तस्वीर ही अलग नजर आए।