इन्सानियत और मानवता है सबसे बड़ा धर्म



इनसानियत व मानवता सबसे बड़ा धर्म है । कहते हैं दुनिया में कोई ऐसी शक्ति नहीं है जो इनसान को गिरा सके, इन्सान ,इन्सान द्वारा ही गिराया जाता है । दुनिया में ऐसा नहीं है कि सभी लोग बुरे हैं, इस जगत में अच्छे-बुरे लोगों का संतुलन है । आज संस्कारों का चीरहरण हो रहा है ,खूनी रिश्ते खून बहा रहे हैं । संस्कृति का विनाश हो रहा है । दया ,धर्म ,ईमान का नामेानिशान मिट चुका है ।इनसान खुदगर्ज बनता जा रहा है । दुनिया में लोगों की सोच बदलती जा रही है । निजी स्वार्थों के लिए कई जघन्य अपराध हो रहे हैं। बुराई का सर्वत्र बोलबाला हो रहा है। आज ईमानदारों को मुख्यधारा से हाशिए पर धकेला जा रहा है।गिरगिटों व बेईमानों को गले से लगाया जा रहा है। विडंवना देखिए कि आज इनसान रिश्तों को कलंकित कर रहा है। भाई-भाई के खून का प्यासा है ,जमीन जायदाद के लिए मां-बाप को मौत के घाट उतारा जा रहा है। आज माता -पिता का बंटवारा हो रहा है। आज बुजुर्ग दाने- दाने का मोहताज है। कलयुगी श्रवणों का बोलबाला है।आज संतानें मां-बाप को वृद्ध आश्रमों में भेज रही हैं। शायद यह बुजुर्गों का दुर्भागय है कि जिन बच्चों की खातिर भूखे प्यासे रहे, पेट काटकर जिन्हे सफलता दिलवाई आज वही संतानें घातक सिद्व हो रही हैं। मां-बाप दस बच्चों को पाल सकते हैं, लेकिन दस बच्चे मां-बाप का बंटवारा कर रहे हैं। साल भर उन्हें महिनों में बांटा जाता है। वर्तमान परिवेश में ऐसे हालात देखने को मिल रहे है। बेशक ईश्वर ने संसार में करोड़ों जीव जन्तु बनाए, लेकिन इनसान सबसे अहम कृति बनाई। लेकिन ईश्वर की यह कृति पथभ्रष्ट हो रही है। आज सड़को पर आदमी तड़फ-तड़फ कर मर रहा है । इनसान पशु से भी बदतर होता जा रहा है। क्योकि यदि पशु को एक जगह खूंटे से बांध दिया जाए, तो वह अपने आप को उसी अवस्था में ढाल लेता है। जबकि मानव परिस्थितियों के मुताबिक गिरगिट की तरह रंग बदलता है। आज पैसे का बोलबाला है। ईमानदारी कराह रही है। अच्छाई बिलख रही है, भाईचारा, सहयोग, मदद एक अंधेरे कमरे में सिमट गये हैं। आत्मा सिसक रही है। वर्तमान में अच्छे व संस्कारवान मनुष्य की कोई गिनती नहीं है। चोर उच्चकों ,गुंडे, मवालिओं का आदर सत्कार किया जाता है। आज हंस भीड में खोते जा रहे हैं,कौओं को मंच मिल रहा है। हजारों कंस पैदा हो रहे हैं एक कृष्ण कुछ नहीं कर सकता। आज कतरे भी खुद को दरिया समझने लगे है लेकिन समुद्र का अपना आस्तित्व है। मानव आज दानव बनता जा रहा है। संवेदनाएं दम तोड़ रही हैं। मानव आज लापरवाही से जंगलों में आग लगा रहा है उस आग में हजारों जीव-जन्तु जलकर राख हो रहे हैं। जंगली जानवर शहरों की ओर भाग रहे हैं, जबकि सदियां गवाह है कि शहरों व आबादी वाले इलाकों में कभी नहीं आते थे, मगर जब मानव ने जानवरों का भोजन खत्म कर दिया। जीव-जन्तओं को काट खाया तो जंगली जानवर भूख मिटाने के लिए आबादी का ही रूख करेंगें। नरभक्षी बनेगें । आज संवेदनशीलता खत्म होती जा रही है। आज मानव मशीन बन गया है निजी स्वार्थो के आगे अंधा हो चुका है। अपने ऐशों आराम में मस्त है। दुनिया से कोई लेना देना नहीं है। संस्कारों का जनाजा निकाला जा रहा है।

मर्यादाएं भंग हो रही हैं। मानव सेवा परम धर्म है। आज लोग भूखे प्यासे मर रहे हैं। दो जून की रोटी के लिए तरस रहे हैं। भूखमरी इतनी है कि शहरों में आदमी व कुते लोगों की फैंकी हुई जूठन तक एक साथ खाते हैं। आज मानव भगवान को न मानकर मानव निर्मित तथाकथित भगवानों को मान रहा है। आज मानव इतना गिर चुका है कि रिश्ते नाते भूल चुका है। रिश्तों में संक्रमण बढ़ता जा रहा है। मानव धरती के लिए खून कर रहा है । कई पीढियां गुजर गई मगर आज तक न तो धरती किसी के साथ गई न जाएगी। फिर यह नफरत व दंगा फसाद क्यों हो रहा है। मानव ,मानव से भेदभाव रि रहा है। उंच-नीच का तांडव हो रहा है। खून का रंग एक है फिर भी यह भेदभाव क्यों। यह बहुत गहरी खाई है इसे पाटना सबसे बडा धर्म है। आज लोग बिलासिता पर हजारों -लाखों रूपये पानी की तरह बहा देते हैं ,मगर किसी भूखे को एक रोटी नहीं खिला सकते। शराब पर पैसा उडा रहे हैं। अनैतिक कार्यो से पैसा कमा रहे हैं। पैसा पीर हो गया है ।मुंशी प्रेमचन्द ने कहा था कि जहां 100 में से 80 लोग भूखे मरते हों वहां शराब पीना गरीबों के खून पीने के बराबर है। भूखे को यदि रोटी दे दी जाए तो भूखे की आत्मा की तृप्ति देखकर जो आनन्द प्राप्त होगा वह सच्चा सुख है। आज प्रकृति से छेडछाड हो रही है। प्रकृति के बिना मानव प्रगति नहीं कर सकता। प्रकृति एक ऐसी देवी है जो भेदभाव नहीं करती ,प्रत्येक मानव को बराबर धूप व हवा दे रही है। मानव कृतध्न बनता जा रहा है। मंदिरों में दुष्कर्म हो रहे है ।आज मानव स्वार्थ की पट्टी के कारण अंधा होता जा रहा है। गाय पर अत्याचार हो रहा है। मानवीय मूल्यों का पतन होता जा रहा है। नफरत को छोड देना चाहिए। प्रत्येक मनुष्य की सहायता करनी चाहिए। भगवान के पास हर चीज का लेखा -जोखा है। ईश्वर की चक्की जब चलती है तो वह पाप व पापी को पीस कर रख देती है मानव सेवा ही नारायण सेवा है। यह अटल सत्य है। भगवान व शमशान को हर रोज याद करना चाहिए। किसी को दुखी नहीं करना चाहिए। अल्लाह की लाठी जब पडती है तो उसकी आवाज नहीं होती। ईश्वर इस धरा के कण -कण में विद्यमान है ।

theviralnews.info

Check out latest viral news buzzing on all over internet from across the world. You can read viral stories on theviralnews.info which may give you thrills, information and knowledge.

Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form