अनुशासन का महत्व



अनुशासन शब्द 'अनु' + 'शासन' शब्दों से बना है। इसका अर्थ है शासन का अनुसरण अर्थात पालन करना। हमारा जीवन अनुशासित होगा तो हम तमाम समस्याओं का समाधान सरलता से कर सकते है। अन्यथा समस्याएँ ज्यों की त्यों बनी रहेंगी। जीवन को खुशी से और आदर्श तरीके से जीने के लिए अनुशासन में रहना आवश्यक है। अनुशासन के बिना तो मनुष्य भी पशु समान है। यदि हम किसी काम को अनुशासित होकर करेंगे तो हमें उस कार्य को करने में कोई परेशानी नहीं होगी। इसके अलावा हमें कार्य करते समय भय, शंका अथवा गलती होने का कोई डर नहीं रहेगा। सफलता प्राप्त करने के लिए अनुशासित रहना आवश्यक है। जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन की आवश्यकता होती है। अनुशासित व्यक्ति निरंतर सफलता प्राप्त करता रहता है और प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता जाता है।

धन या बल या सामजिक प्रतिष्ठा से सफलता का आंकलन नहीं किया जाता। अनुशासन और आपकी आतंरिक शान्ति से ही आपकी सफलता आंकी जाती है।

जरा आप खुद से एक सवाल करें – क्या अनुशासन के बगैर एक एथलीट दौड़ की प्रतियोगिता को जीत सकता है? क्या एक कप्तान जहाज को सही ढंग से चला सकता है? एक वायलिन वादक किसी संगीत समारोह में अच्छी तरह से वायलिन बजा सकता है? बिल्कुल नहीं। तो फिर अपने निजी काम में हमें अनुशासन की कमी क्यों नजर आती है? कहने का तात्पर्य यह है कि काम चाहे आसान हो या मुश्किल, व्यक्तिगत हो या सेवा संबंधी, अनुशासन के बगैर उसका सफल संचालन नामुमकिन है, यानी कि उसमें गलती होने की आशंका हमेशा ही बनी रहेगी।


अनुशासन का मतलब है, किसी काम को सही तरीके से संपादित करना। ऐसा करने में हमें अतिरिक्त मेहनत करने की जरूरत पड़ सकती है, पर यह भी सच है कि मंजिल तक पहुंचने का यही एक रास्ता है। जो अनुशासित रहते हुए अपने काम में अथक परिश्रम करते हैं, सफलता उनको ही नसीब होती है। अनुशासन का पालन करना आपके लिए कई बार कष्टप्रद हो सकता है, पर अंततः वह आपको सफलता की ओर ही ले जाता है।

व्यक्ति का स्वभाव ही ऐसा होता है कि वह नतीजे की परवाह किए बिना ही अपनी इच्छा के अनुसार काम करना पसंद करता है और नियमानुसार काम करने की बजाय शॉर्ट कट तरीका अपनाता है या गलत ढंग से सफलता प्राप्त करने की कोशिश करता है। अनुशासन रहित ऐसा प्रयास हो सकता है कि व्यक्ति को क्षणिक सफलता दिला दे, पर आखिरकार इससे नाकामी ही हासिल होती है। इसलिए अपने काम में अनुशासन जरूरी है। तभी काम को पूरा करने का दृढ़ संकल्प भी हमारे मन में बना रहता है। अनुशासन व्यक्ति, समाज और देश दोनों के लिए बेहद जरूरी है।

अगर किसी बच्चे को आप उसकी इच्छानुसार चॉकलेट खाने की आजादी दे दें, तो क्या आप इससे होने वाले दुष्परिणामों की कल्पना कर सकते हैं? लगभग सभी बच्चे चॉकलेट खाना पसंद करते हैं। चॉकलेट खाने की आजादी का परिणाम होता है कि वे बस चॉकलेट खाते ही चले जाते हैं। ऐसे में चॉकलेट खाने की उनकी आदत में अनुशासन कमी नजर आने लगती है। फलस्वरूप वे बीमार पड़ जाते हैं। स्पष्ट है कि यदि अनुशासित ढंग से वे एक या दो चॉकलेट रोजाना खाएं, तो चॉकलेट खाने का सही आनंद उठा सकते हैं। उपर्युक्त उदाहरण जीवन में अनुशासन की जरूरत और महत्ता को दर्शाता है।
अनुशासन का पालन करने का अर्थ यह नहीं है कि आप नियमों और तौर-तरीकों के गुलाम हो गए और आपकी आजादी छिन गई। यह सोच गलत है। अगर ट्रेन को पटरी से उतार दें, तो वह आजाद हो जाएगी। लेकिन जरा सोचिए, ऐसे में क्या वह चल पाएगी? अगर इंसान खुद ही अपना ट्रैफिक कानून बनाने लगे, तो फिर ट्रैफिक का क्या हाल होगा, आप इसका सहज ही अनुमान लगा सकते हैं। अनुशासन आजादी में खलल नहीं है, बल्कि नियम-कानून के अनुसार किसी काम को करने की सीख है। इसलिए अनुशासित बनें और लक्ष्य पर निगाह रखें, आपको सफल होने से कोई रोक नहीं सकता।

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