जिंदगी में ख़ुश रहने के आसान तरीक़े |

दोस्तों दुनिया में हर कोई खुश रहना चाहता है, लेकिन बहुत से ऐसे कारण होते हैं जिसके वजह से हम खुश नहीं रह पाते। इसकी वजह है आपके अंदर छिपी कुछ गलत आदतें जो इसके लिए जिम्मेदार हैं। ऐसी आदतें जो ना आपको चैन से और सुकून से जीने देते हैं और ना ही दिल और दिमाग को शांति पहुँचाते हैं।

आज के हमारे इस आर्टिकल में, मैं आपको रूबरू करूँगा आपकी उन आदतों से जो आपको खुश होने से रोकती हैं और उनको अपनी जिंदगी से Delete करने के भी सुझाव – बताऊंगा।।।


किसी महापुरुष ने कहा हैं “खुश रहना भी एक कला हैं।”

मन की एक अवस्था हैं। इस भागती दौड़ती जिंदगी में हर कोई खुश रहना चाहता हैं, पर रह नहीं पाता
हैं। शायद यह हर किसी के बस की बात भी नहीं। मेरा मानना हैं कई बार आपकी आदतें ही आपकी ख़ुशी को ग्रहण लगा देती हैं। आखिर कौनसी है वे आदतें, जो हर पल आपसे आपके हिस्से की खुशियां चुरा रही हैं? इन्हे जानते हैं और कुछ ऐसा करते हैं।

ताकि आप हर पल खुश रह सके और अपनी Real Life को भरपूर जी सके व उसका मजा ले सकें। आईये जानते हैं इन आदतों को।

1) दुसरो से तुलना करना –

दोस्तों हर इंसान एक सामान नहीं होता। हर किसी में कोई न कोई गुण या अवगुण जरूर व्याप्त होता हैं। लेकिन, जब आप अपनी तुलना किसी और के गुणों से करने लगते हैं, तो अक्सर आप अपने कमतर गुणों को दूसरों के बेहतर गुणों से मिलाने लगते हैं।

तुलनात्मक व्यवहार तब ही सामने आता है, जब आप अपनी तुलना ऐसे लोगों के साथ करना शुरू कर देते हैं, जो आप से अच्छी स्थिति में हैं। अक्सर आप अपनी सकारात्मक या नकारात्मक विशेषताओं की खुद से ही तुलना करते हैं। कभी-कभी सामाजिक तुलना आप के लिए मदतगार साबित होती है, लेकिन नकारात्मक तुलनाएँ आप के आत्म-सम्मान को तोड़ कर रख देतीं हैं।

ऐसा करने से आपको बचना चाहिए, ये गलत आदत हैं। आप दुसरो की कहानिया जरूर सुने, लेकिन उससे प्रभावित न हों। इससे आपको कभी कामयाबी या ख़ुशी नहीं मिलेगी, ये तो बल्कि आपके लिए दुखों का पिटारा खोल देगा। खुश रहने के लिए अपनी तुलना दुसरो से करने की बजाये अच्छा होगा की आप दुसरो के गुणों से प्रेरणा लें।

“जीवन में कभी किसी से अपनी तुलना मत करो, आप जैसे हैं, सर्वश्रेष्ठ हैं, ईश्वर की हर रचना अपने आप में सब से उत्तम है, अदभुत है!!”

2) सही वक्त का इंतजार –

मेने यह अक्सर देखा है की लोग कहते हैं, ‘ हमारा भी एक दिन सही वक्त आएगा।’ उस सही वक्त के इंतजार में आप कई हजार मौके गवा बैठते हैं, जो आपकी जिंदगी में नए बदलाव ला सकते थे। दोस्तों सही वक्त के इंतजार में समय न गवाये। अगर आप हर चीज Perfect होने का इंतजार करेंगे तो ये आपकी कमजोरी बन जाएगी।

ये याद रखना चाहिए की वक्त कभी भी Perfect नहीं होता। सब जानते हैं इंसान अपने कर्मो से अपने समय को Perfect बनाता हैं और कामयाब बनता हैं। दोस्तों अपनी तरक्की की राह में ‘सही वक्त’ को भी न आने दे।

“उदाहरण – एक शिल्पकार छेनी हथौड़े की मदद से जब मूर्ति बनाता है , तो बनाने की क्रिया का फल मूर्ति के रूप मे उभर कर सामने आता है । मूर्ति बनाना ही शिल्पकार का कर्म है। मूर्ति बनाने का कार्य किसी न किसी साधन के द्वारा ही पूरा होता है अगर वह उन साधनो की प्राप्ति के लिए किसी समय का इंतजार करेगा तो शायद ही वो अपना कार्य ख़तम कर पाए। यह काम करनें का साधन जितना अधिक समय के होगा , कर्म फल उतना ही अधिक होगा।”

3) दूसरा से अधिक अपेक्षा रखना –

जिंदगी अनुभवो, कामयाबी और अपेक्षाओं का नाम हैं। जिंगदी में Career, रिश्तों और जिंदगी को लेकर हम सबके मन में बहुत सी अपेक्षाएं होती हैं। दोस्तों हर व्यक्ति से कोई न कोई अपेक्षा रखना और उसका पूरा न होना आपको कष्ट पहुँचाता हैं, जिससे आपकी सोच भी नकारात्मक बनती जाती हैं, और इससे तनाव बढ़ता हैं। दूसरों से अपेक्षा रखना अपनी क्षमताओं पर आघात करने जैसा है। आप जब किसी काम को स्वयं न कर दूसरों से अपेक्षा रखते हैं तब आपकी क्षमता प्रभावित होती है।

धीरे धीरे आप अंदर ही अंदर तनाव और दबाव का शिकार होते चले जाते हैं। इससे आपकी सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा जो बहुत बुरा हैं। ऐसे में अनावश्यक तनाव और झुंझलाहट को कम करने का सबसे अच्छा रास्ता हैं, दुसरो से अपनी अपेक्षाओं में कमी करना। ऐसा करने से आप सकारात्मक सोच के मालिक भी हों जाते हैं और सकारात्मक इंसान कही न कही से ख़ुशी ढूंढ लेता हैं।

“शास्त्रों में कहा गया है कि ‘आशा ही परमं दुखं, नैराश्यं परमं सुखं’। दूसरों से अपेक्षा रखना अगर परम दु:ख है तो फिर अपेक्षा किसलिए ? तुम अपनी क्षमताओं पर यकीन तो करो वाकई तुम बहुत कुछ हो।”

4) पैसे के लिए काम करना –

इसमें कोई संदेह नहीं है कि, पैसा हमारे जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक है। पैसा हमारे लिए लगभग सबकुछ है। समाज में उच्च पद को बनाए रखने के लिए, यह बहुत ही आवश्यक है। यह केवल पैसा ही है जो, हमारे जीवन की सभी शुरुआती आवश्यकताओं, आराम और जरुरतों को पूरा कर सकता है।

दोस्तों क्या आप सिर्फ तनख्वाह, पाने के लिए काम करते हैं? काम के प्रति कोई जूनून आपके अंदर नहीं हैं? यदि काम के प्रति आपको सोच ऐसी हैं, तो यह ठीक नहीं है। इससे आपकी तरक्की की राह बंद हों जाती हैं और आप आगे नहीं बढ़ पाते।

ऐसे में मेरी सलाह हैं आप वही काम करें, जो आपके पसंद के लायक हों। आपको मानसिक रूप से सुकून और संतुष्टि दे। काम में मन लगेगा, तो तरक्की भी होगा और सैलरी भी बढ़ेगी।इससे आप खुश रहेंगे, और बेहतर करने का सोचेंगे।

“अमीरी के बाद, जो मान- सम्मान मिलता है, वह अमीर का सम्मान नहीं, अमीरी का सम्मान है।”

5) दर और चिंताओं को पकडे रहना –

दोस्तों कई बार नकारात्मकता और डर के कारण जीवन में ख़ुशी के ना- जाने कितने पल यू ही जाया हों जाते हैं। जिन चिंताओं और डर के कारण आप आगे नहीं बढ़ पा रहे थे, वे वास्तव में उतने बड़े थे नहीं जितना आपने उसे बना दिया।

इसलिए परिस्थितियों के गुलाम बनने से बचें और जीवन के हर लम्हे को खुलकर जीएं। आपको बस अपनी सोच बदलने की जरुरत हैं कुछ नहीं। जैसा की में हमेसा कहता हूँ सकारात्मक सोचें, इसके बाद खुद देखेंगे की जीवन कितना सुखद हैं, और इसके हर क्षण का मजा लेंगे।

विवेकानंद जी ने कहा है कि- “विश्व में अधिकांश लोग इसलिये असफल हो जाते हैं, कि उनमें समय पर साहस का संचार नही हो पाता वे भयभीत हो उठते हैं।“

6) बातों को दिल पर लेना –

किसी ने किसी की तारीफ कर दी, तो आप चिढ गए। दरअसल दोस्तों हम मनुष्य-जाति हर समय दुखी होने के लिए आतुर रहते हैं और अपने भीतरी घावों को भरने नहीं देते। दोस्तों हम स्वम से जैसी बातें करते है, हमारी प्रतिक्रियाएं वैसी ही हो जाती है। यही वजह है कि कुछ लोग किसी अनजान की भी छोटी सी बात पर आपा खो बैठते है। दरअसल यह हमारे अपने अभावों की बेचैनी होती है।

जब कोई अपनी सफलता और सुखी जिन्दगी की बात करता है तो हम सोचते है कि वह हमें चिढ़ा रहा है। सही या गलत, जब हर बात को हम अपने उपर लेते है तो दूसरों के जहर को अपने अंदर जगह दे रहे होते हैं।

जो लोग आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकते, वे ऐसे व्यक्तिगत तौर पर लें लेते हैं। दोस्तों अगर आप जीवन में खुश रहना चाहते हैं तो आपको आलोचना और प्रशंसा दोनों को समान रूप से लेना चाहिए। लोग जो कहते हैं उसे ध्यान से जरूर सुने पर दिल पर ना लें।

“स्वयं को ऐसा बनाओ ! जहाँ तुम हो, वहाँ तुम्हें सब प्यार करें ! जहाँ से तुम चले जाओ, वहां तुम्हें याद करें ! जहाँ तुम पहुँचने वाले हों, वहां तुम्हारा इन्तेजार करें।”

7) नकारात्मक लोगों का साथ –

दोस्तों हम जानते हैं कि सकारात्मक सोच जीवन के कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जबकि नकारात्मक सोच स्वयं ही हमारे जीवन को तबाह कर देती है। आमतौर पर सकारात्मक सोच हमें हमेशा खुश रखती है, और सफलता की ओर ले जाती है।

जबकि नकारात्मक सोच हमें दुखी, उदास, तनावपूर्ण, और जीवन से छुटकारा पाने के विचार की ओर ले जाती है। इसलिए अच्छी और रचनात्मक सोच सफलता और उपलब्धियों के लिए बहुत जरूरी है।

दोस्तों जिन लोगों के साथ आप समय बिताते हैं, वे जाने- अनजाने आपके जीवन पर बहुत बड़ा असर डालते हैं। नकारात्मक सोच के लोग जीवन में आनन्द, सौंदर्य, रोमांच और चाहत जैसे अनुभवो से अछूते रह जाते हैं। ऐसे लोग हमेसा परेशान रहते हैं। वे जीवन में कभी खुश नहीं रहते हैं। खुश रहने के लिए ऐसे लोगों से दूर रहे।

“हम जो चाहते हैं, उसे हासिल करने के लिए जो कुछ करते हैं उसपर पूरा विश्वास करिये। हम सभी एक टीचर हैं, हम जो कुछ कर रहे हैं और सीख रहे हैं अगर उस पर पूरा ध्यान लगाएं, सकारात्मक भावना अपनाएँ, रिस्क लेने से ना डरें तो चमत्कार आपके दरवाजे पे दस्तक जरूर देगा।”

दोस्तों हम अंदर से जितना खुश रहेंगे, उतना ही हम बहार की दुनिया को ख़ुशी दे पाएंगे। इससे आप खुद को भी खुश रख सकेंगे। इसलिए जरुरी हैं की आप पहले खुद की ख़ुशी पर ध्यान दें। अपनी जीवनचर्या में उन कार्यो को शामिल करें, जिनसे आपको ख़ुशी मिलती हों। आसपास के माहौल को खुशनमा रखें। सुबह उठकर भगवान को इस ख़ूबसूरत जिंदगी के लिए धन्यवाद जरूर दें, और Positive रहे Positive बनें।

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