जिस खुदा के दर पर हमेशा भीड़ होती हैं
खुदा के दरवाजे पर बैठे उस गरीब से पूछो
कि लोगों की भीड़ के बीच मे भी कितना अकेला हैं ।
चाँद जो पूरी पृथ्वी पर अपनी चांदनी बिखेरता हैं
आसमान मे छुपे उस चाँद से पूछो
जो हजारों तारो के बीच मे होते हुए भी कितना अकेला हैं।
माँ बाप जो सारी उमर अपने परिवार की देख भाल करते हैं
उन माँ बाप से पूछो जो बुढ़ापे में अपने बच्चों के सहारे के बिना कितने अकेले हैं।
बच्चे जो घर मे खुशियां लाते है
जिनके कारण घर मे रोनक रहती हैं
उन अनाथ बच्चों से पूछो जो अपनो के प्यार के बिना कितने अकेले हैं।
अमीर जिसके पास सब कुछ होने के बाबजूद भी
जब वह अपनी खुशियाँ नहीं खरीद पाता
उस व्यक्ति से पूछो जिसके पास सब कुछ होते हुए भी
वह अपनी खुशियो के बिना कितना अकेला हैं।