यह है भारत और महाभारत
दुर्योधन और राहुल गांधी - दोनों ही अयोग्य होने पर भी सिर्फ राजपरिवार में पैदा होने के कारण शासन पर अपना अधिकार समझते हैं।
भीष्म और आडवाणी कभी भी सत्तारूढ़ नही हो सके फिर भी सबसे ज्यादा सम्मान मिला। उसके बाद भी जीवन के अंतिम पड़ाव पर सबसे ज्यादा असहाय दिखते हैं।
अर्जुन और नरेंद्र मोदी- दोनों योग्यता से धर्मं के मार्ग पर चलते हुए शीर्ष पर पहुचे जहाँ उनको एहसास हुआ की धर्म का पालन कर पाना कितना कठिन होता है।
कर्ण और मनमोहन सिंह बुद्धिमान और योग्य होते हुए भी अधर्म का पक्ष लेने के कारण जीवन में वांछित सफलता न पा सके।
अभिमन्यु और केजरीवाल- दोनों युद्ध मे नए होने के कारण बीच में ही दुश्मनों के चक्रव्यूह में फंस गए।
शकुनि और दिग्विजय- दोनों ही अपने स्वार्थ के लिए अयोग्य मालिको की जीवनभर चाटुकारिता करते रहे।
धृतराष्ट्र और सोनिया अपने पुत्र प्रेम में अंधे है।
श्रीकृष्ण और कलाम- भारत में दोनों को बहुत सम्मान दिया जाता है परन्तु न उनकी शिक्षाओं को कोई मानता है और न उनके बताये रास्ते का अनुसरण करता है।
यह है भारत और महाभारत
प्रेम:-
प्रेम के अनेक रूप हैं। उन में सबसे श्रेष्ठ देश प्रेम है। वो भूमि जहॉ हमारा जन्म होता है। जिसकी गोद में पलकर हम बड़े होते हैं। जिसके पानी हवा अन्न जल का उपभोग कर हम शक्तिशाली बनते हैं। जब भगवान राम का वनवास हुआ तब उनके मुख पर विषाद या चिंता की लकीरें तनिक भी नही थी। किन्तु अपनी जन्मभूमि से दूर जाने के पश्चात वे विचलित हो गये। वहॉ उन्होने कहा ‘जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी‘। अर्थात जननी और जन्मभूमि की महिमा स्वर्ग से भी महान है। अपनी जन्मभूमि से प्रेम होना स्वाभाविक और पावन है। इसका अहसास तब होता है जब हम इससे दूर हों या जन्मभूमि पर कोई संकट आ जाये। प्रेम यदि हमे अधिकार देता है तो उसके प्रति कर्तव्य पालन भी जुड़ा होता है।
इसी प्रेम से प्रेरित होकर देश प्रेमी अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तत्पर रहते हैं। हमारे देश का इतिहास ऐसे देशभक्तों की वीर गाथाओं से भरा हुआ है। जिन्होने देश प्रेम के खातिर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। जिनका वर्णन करना इतना सरल नही है। छत्रसाल, महाराजा रंजीत सिंह, महाराणा प्रताप, शिवाजी, गुरू गोबिंद सिंह जैसे देश प्रेमियों पर गर्व है। अंगेजों की बेडि़यों में जकड़ा भारत और उसको तोड़कर उन बेडि़यों से मुक्त कराने में राजा राम मोहन राय, लोकमान्य, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चन्द्र बोस, लाला लाजपत राय, महात्मा गॉधी, सरदार पटेल, भगत सिंह जैसे अगणित वीर देशभक्तों ने लाठियों के प्रहार सहे, जेलों में सड़े, हंसते-हंसते फॉसी के फंदे पर झूल गये। देश प्रेमी अपने देश को किसी भी तरीके से निर्बल नही होने देते हैं। कुछ लोग ऐसे कार्यों में लिप्त रहते हैं जिसमे देश के स्वाभिमान को ठेस पहुॅचती है। जिससे देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न होती है। ऐसे व्यक्ति मनुष्य नही जानवर होते हैं जो मरे हुए के समान हैं।