आज हम महाभारत से कर्म और लाइफ मैनेजमेंट के कुछ सूत्र सीख सकते हैं।
सकारात्मक दृष्टिकोण-
महाभारत का सबसे बड़ा सूत्र है सकारात्मक दृष्टिकोण। जो भी हो रहा है उसमें
सकारात्मक दृष्टि से देखें। उसमें अपने लिए कुछ नई संभावनाएं तलाशें।
जब युधिष्ठिर और
दुर्योधन के बीच राज्य का बंटवारा हुआ तो दुर्योधन को हस्तिनापुर का राज्य मिला और
पांडवों को वीरान जंगल खांडवप्रस्थ, लेकिन पांडव दु:खी नहीं हुए उन्होंने भगवान कृष्ण की
मदद से उसे इंद्रप्रस्थ बना दिया।
- संयमित भाषा,
महाभारत सिखाती है कि शत्रुओं से भी संयमित भाषा से बात करनी
चाहिए। जिससे हमारे भावी संकट टल सकते हैं। इंद्रप्रस्थ में द्रोपदी ने दुर्योधन को अंधे का
बेटा कहकर मजाक उड़ाया और खुद अपमानित हुई।
- शांति का रास्ता
सबसे श्रेष्ठ होता है। महाभारत सिखाती है कि जीवन में सबसे मुश्किल
से केवल शांति ही मिलती है। भगवान कृष्ण ने शांति के लिए मथुरा छोड़ द्वारिका बसाई।
महाभारत युद्ध के पहले भी वे खुद शांति दूत बने थे।
- आज के प्रतिस्पर्धा
के दौर में सबसे कठिन है प्रतियोगिता में टिकना। भगवान कृष्ण के
जीवन से सीखा जा सकता है कि जब तक आपको अपने
शत्रु की कमजोरियों का पता न हो,
उससे दूर ही रहना चाहिए। जब हमें दुश्मन को हराने का सूत्र मिल जाए तभी किसी से
मुकाबले में उतरना चाहिए।
- पांडवों में एकता का सूत्र द्रोपदी थी, जो कि प्रेम का प्रतीक थी और सौ कौरव
भाइयों में एकता का उद्देश्य राज्य का लालच था। हमारे संबंधों के केंद्र में जैसी भावनाएं
होंगी, उसका परिणाम भी वैसा ही होगा। पांडव प्रेम से अंत तक साथ रहे, कौरव युद्ध में
मारे गए।
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महाभारत की कहानी केवल कोई पौराणिक कथा भर नहीं है। यह जीवन का सार है। अगर आधुनिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो मैनेजमेंट के सारे सूत्र महाभारत में मौजूद है। महाभारत हमें कर्म की शिक्षा और व्यवहारिक जीवन का ज्ञान दोनों बातें बताती हैं। महाभारत की घटनाओं से हम कई महत्वपूर्ण बातें सीख सकते हैं। हिंदू धर्म के चार प्रमुख ग्रंथ हमें चार बातें सिखाते हैं, रामायण रहना, महाभारत करना, गीता जीना और भागवत मरना सिखाती है।
अशोक कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश
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