वर्तमान राजनीति केवल सत्ता आधारित हो गई है और मूल मुद्दे गायब हो गए हैं। हमारे नेताओं के पास कोई विजन नहीं है, जो लोगों को सही रास्ता दिखाए। कोई भी पार्टी जाति, सम्प्रदाय और धर्म के नाम पर विभाजनकारी राजनीति से दूर नहीं है। अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, किसानों की दयनीय स्थिति पर कोई बात नहीं करता। हम दूसरों के भरोसे देश को आगे ले जाना चाहते हैं, लेकिन हम खुद कुछ नहीं करना चाहते। सत्तारूढ़ पार्टी विकास का ढिंढोरा चारों ओर पीट रही है, जिसे समझने की जरूरत है। । दूसरों के भरोसे देश को आगे नहीं ले जाया जा सकता है, हमें कुछ आगे आकर नेतृत्व करना होगा। इतिहास के पन्ने पलटने से कुछ नहीं होगा और नया इतिहास लिखना होगा। यह कार्य देश की युवा पीढ़ी बेहतर तरीके से कर सकती है। एक तरफ कश्मीर में सेना पर पत्थर फेंकने वालों को गृहमंत्री माफ कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मुझ पर गुजरात राज्य सरकार ने तीन-तीन देशद्रोह के मुकदमें लगा रखे हैं, ये दोहरी नीति है।
आज मेक इन इंडिया की नहीं, मेड इन इंडिया की जरूरत है, ताकि हमारे युवाओं को रोजगार मिल सके। विडंबना है कि आज भी धरतीपुत्र किसान भाइयों को बैनर-पोस्टरों में कमजोर, बेबस और फटेहाल दिखाया जाता है। विडंबना यह है कि सरकार के पास सेना की वर्दी, जूते, मोजे, बेल्ट के लिए पर्याप्त बजट नहीं है, अब सरकार इसका खर्च उनके वेतन में से काटकर पूरा करने की बात कह रही है। चुनाव के दौरान वोट मांगने वाले नेताओं से आम जनता को यह पूछना चाहिए कि वे देश के लिए क्या करेंगे।
यदि हम विधानसभा और संसद में गलत नेताओं को चुनकर भेजते हैं तो इसके लिए नेता के बजाय जनता जिम्मेदार है।
दुर्भाग्य से आज समाज में नेतृत्व का अभाव सा हो गया है और दबी-कुचली व्यवस्थाओं से देश को चलाया जा रहा है। श्रम का कोई सम्मान नहीं कर रहा है और जाति आधारित वोट बैंक की राजनीति हो रही है।
गरीब, गरीब होता जा रहा है और अमीर और अमीर। आज देश ऐसे चौराहे पर खड़ा है, जहां उसे सही दिशा देने वाले कुशल नेतृत्व की आवश्यकता है। ऐसे दौर में वर्तमान विषय पर चर्चा करना प्रासंगिक है।