![]() |
Kailasavadivoo Sivan |
कैलासावदिव शिवान (जन्म 14 अप्रैल 1 9 57) एक भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष हैं। वह विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर और तरल प्रोपल्सन सेंटर के पूर्व निदेशक हैं।
आप ने यह सिद्ध कर दिया कि सफलता संसाधनों की मोहताज नहीं होती है।
गरीबी को सफलता की राह में बाधक न मानें
गरीबी सफलता की राह में बाधक नहीं होती और न ही सफल होने के लिए कोचिंग क्लास जैसा कोई सपोर्ट सिस्टम जरूरी होता है।
अपने लिए नहीं तो उन लोगों के लिए कामयाब बनो, जो आपको नाकामयाब देखना चाहते हैं |
इस दुनिया में न जाने कितने महान लोग हैं, जिन्होंने गरीबी में जन्म लेकर महान कार्य किये| अमेरिकी राष्ट्रपति क्लिंटन का जन्म तो एक झोपड़ी में हुआ था| और से भी कई महान लोग हुए जो गरीबी में पले- बढे और देश का नाम रौशन किया|
अब्राह्म लिंकन, भारत देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आदि ,आज भी कुछ इसी तरह के समाचार पढने को मिलते रहते हैं| इनसे हमें प्रेरणा मिलती है कि अगर लगन सच्ची, दृढ संकल्प और लक्ष्य के प्रति समर्पण हो, तो कोई भी लक्ष्य नामुमकिन नहीं है| शायद आपको भरोसा न हो लेकिन यह सच है कि आज भी गुदरी के लाल छिपे हैं| एक कचरा बीनने वाले का बेटा एम्स में एमबीबीएस की पढ़ाई करेगा| सुनकर आश्चर्य लगता है, लेकिन यह उस छात्र की मेहनत, लगन और समर्पण का ही परिणाम है|
बंधुओं अगर आप सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो सिर्फ और सिर्फ सफल लोगों से दोस्ती कीजिये। असफल लोग चाहे कितना भी योग्य क्यों न हो आपके सफलता में बाधक ही होंगे। इसलिए जहॉं तक संभव हो असफल लोगों से दूर रहे। आप अपनी असफलताओं का कारण आप स्वयं ढूॅंढ़ सकते हैं, दूसरा नहीं बता सकता है। अगर आप असफलता का कारण ढूॅंढ़ लिये हैं तो उसका निदान या तो आप स्वयं कर सकते हैं या कोई आपके क्षेत्र के सफल व्यक्ति। असफल व्यक्ति आपको नकारात्मक बातें ही बतायेंगे। असफल व्यक्ति के संपर्क में लगातार रहने से आपके भी सोच नकारात्म हो जायेगी। जिसका परिणाम असफलता के अलावा कुछ भी नहीं हो सकता है।
रोगों के बारे में अध्ययन कर स्वास्थ्य की परिकल्पना नहीं की जा सकती। गरीबी का अध्ययन कर अमीर नहीं बना जा सकता है। इसी वजह से आयुर्विज्ञान के विकास के वावजूद भी संसारभर में तरह—तरह के रोग मौजूद हैं। और रोज नये—नये रोग उत्पन्न हो रहा है। एक से एक अर्थशास्त्री होने के बावजूद भी गरीबी आज भी दुनियाभर में कायम है। ठीक इसी तरह हम असफलता के बारे में गंभीर विचार—विमर्श, चिंतन—मनन करने से असफलता ही हाथ लगेगी, सफलता नहीं।
अगर आपको अमीर पसंद नहीं हैं तो आप अमीर कभी नहीं बन सकते है। अगर आपको अमीर बनना है तो अमीर और अमीरी दोनों से प्रेम करना होगा। ज्यादातर लोग अमीर बनना तो चाहते हैं पर जाने—अंजाने में वे गरीबों की बड़ाई और अमीरों की बुराई में लगे रहते हैं। फलत: वे जीवने में कभी अमीर नहीं बन पाते हैं और बाद में अपने भाग्य को कोसते हैं। इसे विधि का विधान मानते हैं। उन्हें ऐसा लगात है कि उनके भाग्य में अमीर बनना नहीं लिखा था। प्रयास और परिश्रम तो उसने पूरा किया था।
तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है,
दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है।
महामारी और छूत की बिमारी से सभी अवगत हैं । असल में महामारी या संक्रामक रोग नहीं भी हो फिर भी बिमारों के बीच एकम स्वस्थ व्यक्ति भी लंबे समय ते रहे तो वे भी अस्वथ जो जायेगा। इसे विपरीत स्वस्थ व्यक्ति के संपर्क रहकर एक अस्वथ व्यक्ति भी अपनी दिनचर्या, आचार—विचार, खान—पान इत्यादि में आवश्यक बदलाव कर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो जाता है।
बिन मेहनत कोई फल नहीं मिलता
बैठे-बैठे प्यासे को जल नहीं मिलता,
खाए हों धक्के जिस इंसान ने अपनी जिंदगी में
वो कभी भी कम अक्ल नहीं मिलता।
असल में हम पहले माहौल बनाते हैं फिर माहौल हमें बनाता है। अक्सर देखा गया है कि लोग अपने जैसे लोगों से दोस्ती एवं संपर्क रखते हैं। असफल लोगों अपनी असफलता का कारण अपने अलावा दुनिया के हरएक संभव कारण बता देता है, और पूरी मनोयोग से अपनी भावी पीढ़ी को वे सभी गुर सिखाते हैं, जिन्हें अजमाकर वे असफल हुए हैं। बंधुओं अगर हम बीमार होते हैं तो एक सफल डॉक्टर के पास जाते हैं न कि एक असफल डॉक्टर या ऐसे व्यक्ति के पास जो मेडिकल इंट्रेंस में ही असफल हो गया हो। यह भी याद रखें जब हम बीमार होते हैं तो यार—दोस्त या सगे संबंधी जो डॉक्टर नहीं हैं, कई सारे नुक्से या दवाईयॉं बता देते हैं बिना किसी फीस के पर असल में जो डॉक्टर है वे पहले अपना फीस वसूलते हैं और बाद में ईलाज शुरू करते हैं। जीवन में हरकदम यही होता है। असफल लोग हमें सलाह देने के लिए हरसमय उपलब्ध रहते हैं। अगर आपको सफल होना है तो सफल लोगों से ही संगत कीजिये। अगर सफल लोगों से सलाह लेने के लिए कुछ खर्च भी करना पड़े तो अवश्य करें। यह निवेश आपको कई गुणा अधिक लाभदायक होगा।
अपने मेहमान को पलकों पे बिठा लेती है,
गरीबी जानती है घर में बिछौने कम हैं।
तो हम बात कर रहे हैं डॉ कै शिवान के बारे में ,
डा.कै शिवन का जन्म भारत के तमिलनाडु राज्य के कन्याकुमारी जिले के नागरकोइल के पास सरककालविलाई में हुआ था। उनके माता-पिता कैलासावदिवु और चेल्लम हैं। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए, क्राइजनिक इंजन के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए शिवान को "रॉकेट मैन" के रूप में जाना जाता है।
शिक्षा के बारे में बताता हूं-
शिवान एक किसान का बेटा है और सरककालविलाई गांव में तमिल माध्यम सरकारी स्कूल में और बाद में कन्याकुमारी जिले के वल्लंकुमारनविलाई में पढ़ाया जाता है। वह अपने परिवार के पहले स्नातक हैं। बाद में शिवान ने 1 9 80 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्हें 1 9 82 में भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री मिली और इसरो में काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने 2006 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की डिग्री अर्जित की। वह इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग, भारत की एयरोनॉटिकल सोसाइटी और सिस्टम्स सोसाइटी ऑफ इंडिया के फेलो हैं।
कर्म तेरे हाथों में हैं मन में आगे बढ़ने की आस
मेहनत से कभी न पीछे हटना खुद पर रखना विश्वास,
पूरे होंगे सपने फिर ही पूरी होगी सफलता की प्यास
बदल जायेगी जिंदगी तेरी तू आम से बन जगा ख़ास।
डा कै शिवान के कैरियर के बारे में जानकारी-
शिवन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए लॉन्च वाहनों के डिजाइन और विकास पर काम किया। शिवन 1 9 82 में पोलर सैटेलाइट लॉन्च वाहन (पीएसएलवी) परियोजना में इसरो में शामिल हो गए। उन्हें 2 जुलाई 2014 को इसरो के तरल प्रोपल्सन सिस्टम सेंटर के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था।
1 जून 2015 को, वह वीएसएससी के निदेशक बने। वह पीएसएलवी परियोजना में इसरो में शामिल हो गए और मिशन योजना, मिशन डिजाइन, मिशन एकीकरण और विश्लेषण के अंत में अत्यधिक योगदान दिया है। पीएसएलवी के लिए मिशन मिशन की प्रक्रिया और अभिनव मिशन डिजाइन रणनीतियों को जीएसएलवी, जीएसएलवी-एमके 3 और आरएलवी-टीडी जैसे आईएसआरओ लॉन्च वाहनों की नींव बन गई है। वह 6 डी प्रक्षेपवक्र सिमुलेशन सॉफ्टवेयर के मुख्य वास्तुकार हैं, सितारा जो सभी इसरो लॉन्च वाहनों के वास्तविक समय और गैर-वास्तविक समय प्रक्षेपवक्र सिमुलेशन की पिछली हड्डी है। उन्होंने मिशन संश्लेषण और विश्लेषण के लिए इसरो में विश्व स्तरीय सिमुलेशन सुविधा शुरू की जिसका प्रयोग मिशन डिजाइन, उप-प्रणाली स्तर सत्यापन और सभी इसरो लॉन्च वाहनों में एवियनिक्स सिस्टम के एकीकृत सत्यापन के लिए किया जाता है। उन्होंने लॉन्च विंड बायेजिंग रणनीति के एक अभिनव दिन को विकसित और कार्यान्वित किया जिसने साल के किसी भी मौसम और मौसम की स्थिति में संभावित रॉकेट लॉन्च किया है। उन्होंने समांतर कंप्यूटिंग सुविधा और हाइपरसैनिक पवन सुरंग सुविधा की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसने कम्प्यूटेशनल तरल गतिशीलता के क्षेत्र में नए रास्ते खोले हैं, और पवन सुरंग परीक्षण में आत्मनिर्भरता है। उन्होंने पीएसएलवी, इसरो के कार्य घोड़े के माध्यम से भारत के एमएआरएस मिशन प्रयास शुरू करने के लिए उपन्यास रणनीतियों का विकास किया। उन्होंने आरएलवी-टीडी विकास कार्यक्रम का भी नेतृत्व किया और इसके डिजाइन, योग्यता, वायुगतिकीय चरित्रकरण और हार्डवेयर विकास का नेतृत्व किया। वह अप्रैल 2011 में जीएसएलवी परियोजना में जीएसएलवी की मजबूती और विश्वसनीयता को प्रदर्शित करने के साथ-साथ उड़ान स्वदेशी क्रायो स्टेज का प्रदर्शन करने के लिए एक जनादेश के साथ परियोजना निदेशक के रूप में शामिल हो गए। उनके नेतृत्व ने स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ सबसे सफल जीएसएलवी उड़ान की ऐतिहासिक उपलब्धि को जन्म दिया। इसरो में अपने करियर के दौरान, उन्होंने समूह निदेशक, एमएसएसजी, परियोजना निदेशक, आरएलवी-टीडी, उप निदेशक, एयरोनॉटिक्स इकाई, उप निदेशक, संरचनाएं इकाई, परियोजना निदेशक, जीएसएलवी, मुख्य नियंत्रक इत्यादि जैसी कई जिम्मेदारियां आयोजित की हैं।
जो बदला मेरा वक़्त है,
इसका राज है दृढ़ निश्चय
और साथ में मेहनत है।
यह शिवान की विशेषज्ञता थी जिसने इसरो को एक मिशन में 104 उपग्रह भेजने की क्षमता दी, जो पिछले साल फरवरी में विश्व रिकॉर्ड स्थापित कर रहा था। वह महत्वपूर्ण व्यक्ति थे जिन्होंने कक्षाओं में उपग्रहों को कैसे रखा जाएगा, इस बारे में तकनीकीताओं पर काम किया। नए इसरो चेयरमैन ने स्वदेशी भू-समकालिक उपग्रह लॉन्च वाहन एमके II के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और वह स्वदेशी स्पेस शटल (एक पुन: प्रयोज्य लॉन्च वाहन) पर विचार करने वाली टीम का हिस्सा था।
जनवरी 2018 में शिवान को इसरो के प्रमुख नियुक्त किया गया था और उन्होंने 15 जनवरी को पद संभाला था।
तो आगे मैं यही कहूंगा कि जिंदगी में कोई भी काम करने में मेहनत जरूर लगती है। चाहे वो शारीरिक हो या मानसिक। मेहनत करने का उद्देश्य जीवन यापन से जुड़ा होता है। हाँ मेहनत का परिणाम कई बार देर से मिलता है। लेकिन मिलता जरूर है। सफलता प्राप्त करने का आधार ही मेहनत है। आप जितनी ज्यादा मेहनत करते रहोगे उतने ज्यादा सफल होते रहोगे।
दिल में जज्बा और होठों पर मुस्कान हो
पसीना मेहनत का और कदमों में आसमान हो,
कुछ और तमन्ना नहीं है मेरे दिल में
बस जैसा चाहता हूँ वैसा ही मेरा जहाँ हो।
जय हिन्द
वन्देमातरम
अशोक कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश
लेख को पढ़ने के लिए आपका आभार।
आपकों हमारा ये ब्लाग कैसा लगा कमेंट कर हमें सुझाव अवश्य दें। और साथ ही साथ हमारे ब्लाग पेज को फालो भी कर सकते हैं 👉https://ashok68.blogspot.com