वह गरीब बच्चों को मुफ्त कोचिंग देना चहाते हैं…
टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में प्रदीप कुमार ने कहा कि 52 साल की उम्र में मैंने 98.98 पर्सेंटाइल हासिल किया. हालांकि, मेरा मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने का कोई इरादा नहीं है. मैं गरीब छात्रों के लिए नीट की मुफ्त कोचिंग शुरू करना चाहता हूं. उन्होंने बताया कि मेरी तैयारी में मेरे बेटे बिजिन स्नेहांश का पूरा सहयोग मिला. वह एनएचएल मेडिकल कॉलेज के थर्ड ईयर का छात्र है.
प्रदीप कुमार ने कहा कि 1987 में दिल्ली से उन्होंने 12वीं की परीक्षा पास की थी. 12वीं में उन्हें 71 फीसदी मार्क्स मिले थे. बाद में उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से बिजनेस इकोनॉमिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की. शुरू में उन्होंने कई नौकरियां कीं, लेकिन बाद में अपना व्यवसाय शुरू किया.
प्रदीप कुमार ने कहा कि 2019 में बिजिन ने नीट के लिए अप्लाई किया था. उसे 595 अंक मिले थे. उन्होंने कहा कि जब मेरे बेटे ने नीट की तैयारी शुरू की तो मैंने उसमें रुचि लेना शुरू किया. मुझे अहसास हुआ कि कोचिंग संस्थान मोटी फीस लेते हैं. वर्तमान माहौल में गरीब बच्चों के डॉक्टर बनने का सपना शायद ही पूरा हो.
मैंने अपने सपने को बेटे शेयर किया. बेटे का बायोलॉजी अच्छा है और मेरी रुचि फिजिक्स में है. हम दोनों ने मिलकर मुफ्त कोचिंग देने का फैसला किया है. फिलहाल हम अपने घर पर कुछ गरीब छात्रों को पढ़ाते हैं. हालांकि, एक विश्वास की कमी थी, वह नीट क्लियर करने के बाद दूर हो गई.
ध्यान रहे कि 2021 नेशनल मेडिकल काउंसिल ने NEET की ऊपरी आयु सीमा हटाने का निर्णय लिया था. इसी का फायदा उठाकर मैंने नीट की परीक्षा पास की.
जब अपने बेटे की फीस भरी तो मिली प्रेरणा
साल 2019 में स्नेहांश ने नीट की परीक्षा दी और 595 अंक हासिल किए थे। सिंह कहते हैं, 'जब मेरे बेटे ने नीट की तैयारी करने की शुरुआत की, तो मुझे एहसास हुआ कि कोचिंग इंस्टीट्यूट्स मोटी फीस लेते हैं और यह गरीब उम्मीदवारों की पहुंच से बाहर है।' उन्होंने कहा, 'मेरा बेटा बायो में अच्छा है और मेरी फिजिक्स और केमिस्ट्री अच्छी है। हमने इन विषयों को मुफ्त में पढ़ाने का फैसला किाय। फिलहाल, हम कुछ छात्रों को पढ़ाते हैं, जिनके माता-पिता मनरेगा में काम करते हैं।'