वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इंसान इस धरती को रहने लायक ही नहीं छोड़ेगा. वह धरती को न सिर्फ गर्म कर रहा है बल्कि 'जलवायु अराजकता' (Climate Chaos) भी बढ़ा रहा है. चारों तरफ पर्यावरण में बदलाव होगा. अफरा-तफरी का माहौल होगा. धरती का भविष्य एकदम अच्छा नहीं है. फ्लैश फ्लड्स, ग्लेशियरों का पिघलना, भूस्खलन, एवलांच, जंगल की आग, अचानक बारिश, हीटवेव की घटनाएं बढ़ जाएंगी. इन्हें नियंत्रित करना मुश्किल होगा.
यह स्टडी हाल ही में प्री-प्रिंट डेटाबेस arXiv में प्रकाशित हुई है. जिसमें इंसानी गतिविधियों से होने वाले नुकसान का बेहद सटीक आकलन किया गया है. और इस रिपोर्ट में धरती की जो तस्वीर दिखाई गई है. यकीन मानिए वो एकदम अच्छी नहीं है. पुर्तगाल स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्टो में डिपार्टमेंट और फिजिक्स और एस्ट्रोनॉमी के वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर हमनें बदलते पर्यावरण को सुधारने के लिए कुछ नहीं किया तो हालात प्रलंयकारी होंगे.
इस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता ओरफू बर्तोलामी ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के नुकसान हमें पता हैं. सूखा, बाढ़, हीटवेव, एक्स्ट्रीम वेदर आदि. अगर धरती की मौसम और पर्यावरण संबंधी प्रक्रियाएं जलवायु अराजकता की ओर बढ़ती हैं तो हम किसी भी तरह से इसे रोक नहीं पाएंगे. धरती पर बढ़ी तबाही की सीरीज चलने लगेगी. जैसे भगदड़ के समय इंसान कुछ सोचने समझने की ताकत भूल जाते हैं. या फिर जंगल में जब शेर शिकार करता है तो कैसे छोटे जानवरों के झुंड़ अलग-अलग दिशाओं में भागते हैं.
ओरफू बर्तोलामी ने कहा कि ऐसी प्राकृतिक घटनाएं होंगी. इंसानों को समझ नहीं आएगा कि अगले कुछ घंटों में मौसम किस तरह से बदलेगा. ज्वालामुखी विस्फोट की संख्या बढ़ सकती है. लेकिन इंसानों की गतिविधियों की वजह से जो बदलाव आएगा वो ऊपरी वातावरण में होगा. जैसे ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्री जलस्तर का बढ़ना. अचानक से बाढ़ आना. एकदम से धरती के किसी हिस्से में बाढ़ आ रही होगी, तो दूसरे हिस्से में सूखा पड़ा होगा. कहीं तूफान होगा तो कहीं टॉरनैडो तबाही मचा रहा होगा.
पृथ्वी पर जल प्रलय का कारण बनेगा चंद्रमा, NASA ने दी चेतावनी
पृथ्वी पर अचानक मौसम में बदलाव के लिए जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को जिम्मेदार माना जाता है, जिसके चलते कई देशों को खासकर अमेरिका को बाढ़ (Flood) जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है. ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming) और जलवायु परिवर्तन इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार है लेकिन अब एक नई स्टडी में इन मौसमी घटनाओं को पृथ्वी के पड़ोसी चंद्रमा (Moon) के साथ जोड़ा गया है.
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा द्वारा किए गए अध्ययन में दावा किया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के स्तर में बढ़ोत्तरी के साथ चंद्रमा की कक्षा का एक ‘कंपन’ संयुक्त रूप से पृथ्वी पर विनाशकारी बाढ़ ला सकता है. यह स्टडी 21 जून को नेचर क्लाइमेट चेंज जर्नल में प्रकाशित हुई थी.
2030 के बाद से लगातार आएंगी बाढ़
जब ज्वार दैनिक औसत उच्च ज्वार से लगभग 2 फीट ऊपर पहुंच जाता है तो तटीय क्षेत्रों पर इसे ‘विनाशकारी बाढ़’ कहते हैं. ये बाढ़ व्यवसायों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाती हैं क्योंकि अक्सर पानी सड़कों और घरों में घुस जाता है जिससे दैनिक जीवन प्रभावित होता है. नासा के एक अध्ययन के अनुसार 2030 के दशक के मध्य तक ये ‘विनाशकारी बाढ़’ लगातार और अनियमित रूप से जनजीवन को प्रभावित करेगी.
स्टडी के अनुसार ज्यादातर अमेरिकी तटरेखा में कम से कम एक दशक तक उच्च ज्वार में तीन से चार गुना वृद्धि देखी जाएगी. रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि ये बाढ़ पूरे साल प्रभावित नहीं करेगी बल्कि कुछ ही महीनों में बड़े पैमाने पर अपना असर दिखाएगी. नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा कि बढ़ती बाढ़ के चलते समुद्र तल के पास के निचले इलाके जोखिम के सबसे नजदीक हैं आने वाले समय में खतरा और ज्यादा बढ़ेगा.
समुद्र स्तर के साथ चंद्रमा का कंपन खतरनाक
उन्होंने कहा कि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल, समुद्र का बढ़ता स्तर और जलवायु परिवर्तन एक साथ मिलकर हमारे समुद्री तटों पर दुनिया भर में तटीय बाढ़ को बढ़ाएंगे. बाढ़ पर चंद्रमा के प्रभाव के बारे में बताते हुए, अध्ययन के प्रमुख लेखक फिल थॉम्पसन, हवाई विश्वविद्यालय में एक सहायक प्रोफेसर, ने कहा कि चंद्रमा की कक्षा में चक्कर को पूरा होने में 18.6 साल लगते हैं. उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर बढ़ती गर्मी के चलते बढ़ रहे समुद्र के स्तर के साथ चंद्रमा के कंपन का जुड़ना खतरनाक है.