रिलायंस कैपिटल में शेयरों की ट्रेडिंग रोक दी गई है। एक्सचेंजों ने कंपनी के शेयरों को एडिशनल सर्विलांस मेजर यानी एएसएम में डाल दिया है। यह कंपनी दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है। रिलायंस कैपिटल में पब्लिक शेयरहोल्डिंग 94 फीसदी से ज्यादा थी। यह बताता है कि सबसे ज्यादा नुकसान इन्हें ही हुआ है।
बिजनेस डेस्कः रिलायंस कैपिटल, यूनिटेक, सुजलॉन, रिलायंस कम्यूनिकेशंस… फेहरिस्त लंबी है। इन कंपनियों के साथ एक चीज कॉमन रही है। कभी ये निफ्टी50 इंडेक्स (Nifty50) की शान हुआ करती थीं। इन शेयरों में निवेश करके लोग भूल जाया करते थे। लोगों को लगता था कि कयामत भी आ जाए तो इन शेयरों को कुछ नहीं होने वाला है। लेकिन, यही शेयर बाजार है। निफ्टी 50 में शामिल तमाम ऐसी कंपनियां जिनकी कभी तूती बोलती थी, एक समय आया जब उनकी हैसियत ढेलेभर की नहीं बची। इनमें से कई में तो अब ट्रेडिंग तक नहीं होती है। इसका सबसे ताजा उदाहरण अनिल अंबानी ग्रुप की रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) है। हाल में इस कंपनी के शेयरों को एक्सचेंज से हटा दिया गया। इस तरह कह सकते हैं कि इसके शेयरों की वैल्यू जीरो हो गई। निफ्टी देश की 50 टॉप कंपनियों का सूचकांक है। इस इंडेक्स में वो कंपनियां होती हैं जिनके लिए माना जाता है कि इनके साथ किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आ सकती है। लेकिन, बीते एक से डेढ़ दशक में निवेशकों (Investors’ Confidence) का यह भ्रम टूटा है।
रिलायंस कैपिटल के शेयरों की वैल्यू जीरो हो गई है। यह अनिल अंबानी के रिलायंस समूह की कंपनी है। इसमें कारोबार रोक दिया गया है। डीमैट से सभी शेयर डेबिट कर दिए गए हैं। इस कंपनी में पब्लिक शेयर होल्डिंग 94 फीसदी से ज्यादा थी। इसका मतलब यह हुआ कि सबसे ज्यादा नुकसान रिटेल निवेशकों को हुआ है। रिलायंस कैपिटल के खिलाफ भारतीय रिजर्व बैंक ने NCLT का रुख किया था।
यह कदम कंपनी को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया के तहत उठाया गया था। रिलायंस कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज देने वाली कंपनी थी। इसकी प्रमोटर रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह है। रिलायंस कैपिटल मिडकैप 50 का हिस्सा रही है। यह लाइफ, जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस में सेवाएं देती रही है। कमर्शियल, होम फाइनेंस, इक्विटी और कमोडिटी ब्रोकिंग जैसे क्षेत्रों में भी इसने सेवाएं दी हैं। शेयरों की वैल्यू जीरो हो जाने के बाद निवेशक पूरी तरह असमंजस में हैं। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है।
कर्ज में फंसी हुई थी कंपनी
रिलांयस कैपिटल काफी समय से कर्ज में फंसी थी। कर्जदाताओं की एक समिति ने बुधवार को कंपनी के रेजॉल्यूशन प्रोसेस की समीक्षा की थी। कंपनी के लिए बोली प्रक्रिया 29 अगस्त को समाप्त हुई है। रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण के लिए इंडसइंड बैंक, अमेरिका की संपत्ति प्रबंधन कंपनी ओकट्री कैपिटल और टॉरेंट ग्रुप छह कंपनियों ने बोली लगाई है। रिलायंस कैपिटल ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा था कि कंपनी की कर्जदाताओं की समिति की 18वीं बैठक गुरुवार को मुंबई में हुई थी। बैठक में समाधान योजना की समीक्षा की गई।