बस्ती । उदगार ब्रह्माकुमारी संस्था के मुख्यालय माउंट आबू राजस्थान से आये हुए ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि यह कारागृह आपके जीवन को सुधार लाने हेतु तपोस्थली है, संस्कार परिवर्तन का केंद्र है। भविष्य में कभी किसी का बदला लेने के बजाय स्वयं को ही बदलकर दिखाने की प्रवृति रखनी है । एक दुसरे का बदला लेने से जीवन में समस्याए ओर ही बढ़ जाती है ।
वे जिला कारागृह (जेल) में बंद कैदियों को कर्म गति और व्यवहार शुद्धि विषय पर बोल रहे थे। भगवान भाई ने कहा कि यह कारागृह नही, बल्कि सुधारगृह है। इसमें आपको स्वयं में सुधार लाने हेतु रखा हुआ है, शिक्षा देने हेतु नहीं। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल होता है। उसे व्यर्थ कर्म कर व्यर्थ ऐसा ही नहीं गंवाना चाहिए। मजबूरी को परीक्षा समझकर उसे धैर्यता और सहनशीलता से पार करना हैं, तो अनेक दुख और धोखे से बच सकते हैं। उन्होंने ने कहा कि काम, क्रोध, लोभ, लालच, इर्ष्या, अंहकार, नशा यह मनोविकार मानव के दुश्मन है इनके वश होने से मानव भूले करता है |
उन्होंने बताया कि जीवन में नैतिक मूल्यों की धारणा करने की आवश्यकता है। जीवन में सद्गुण न होने के कारण ही समस्याएं पैदा होती है। जीवन में परिवर्तन लाकर श्रेष्ठ चरित्रवान बनने का लक्ष्य रखना है। तब कारागार आपके लिए सुधारगृह साबित होगा। स्थानीय ब्रह्माकुमारीज सेवा केंद्र कि बी.के गीता बहनजी ने कहा की आप का परिवार आप के कारण परेशान होता है आप अपने बुरे संस्कारो को परिवर्तन कर यहा से जाना ऐसे स्थान पर दुबारा न आने का संकल्प लेना। उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्था का विस्तार से परिचय दिया।
जेलर एस.सी त्रिपाठी ने भी ब्रह्माकुमारीज सस्था ऐसे कार्यक्रमों के लिए और भविष्य में बंदियों के सुधार हेतु ऐसे कार्यक्रम हेतु निमन्त्रण दिया और धन्यवाद किया। बी.के गंगाधर भाई ने बी.के.भगवान का परिचय देते हुए कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्था के मुख्यालय में सेवारत बी के भगवान भाई ने 800 से ज्यादा कारागृह में अपराध मुक्त जीवन पर कार्यक्रम दिए हैं और 5000 से अधिक स्कुलो में नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया है जिनके कारण उनका नाम इण्डिया बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हो जुका है।
कार्यक्रम के अंत में आपराध मुक्त बनने, मनोबल बढाने, बुरी आदतों को छोड़ने और सस्कार परिवर्तन के लिए भगवान भाई ने कॉमेंट्री द्वारा मेडिटेश राजयोग कराया।कार्यक्रम में बी.के दीपक भाई, बी.के आशीष, बी के रचना माता भी उपस्थित थी |