Story of Mansa Musa: आज हम आपको दुनिया के सबसे अमीर राजा के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अकेला दुनिया के आधे सोने का मालिक था. अपनी दरियादिली के चलते इस राजा ने अपने राज्य को बर्बाद कर दिया.
दौलत किसे प्यारी नहीं और अमीर कौन नहीं होना चाहता. जिसके पास जितना पैसा है पैसे के प्रति उसकी लालसा उतनी ही ज़्यादा है. टेस्ला कंपनी के मालिक एलन मस्क और अमेजन के मालिक जेफ बेजोस के बीच दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बनने की होड़ लगी रहती है. कभी जेफ आगे थे तो फिलहाल एलन मस्क आगे हैं. लेकिन क्या सबसे अमीर इंसान बनने के बावजूद भी ये लोग सच में सबसे अमीर हो पाएंगे? अगर इतिहास उठा कर देखा जाए फिर तो ये फिलहाल दुनिया के सबसे अमीर शख्स नहीं कहला सकते.
नहीं लगा पाया कोई मूसा की दौलत का अंदाज
जी हां इनकी इतनी दौलत के बावजूद भी इतिहास में एक नाम ऐसा दर्ज है जो इन दोनों से ज़्यादा संपत्ति का मालिक था. उस शख्स की संपत्ति इतनी थी कि आज तक कोई अंदाज ही नहीं लगा पाया कि उसके पास दौलत कितनी थी. ये अनगिनत दौलत ही उस शख्स के इतिहास में सबसे अमीर होने का प्रमाण है.
इतिहास के पन्नों पर दुनिया के सबसे अमीर शख्स के रूप में नाम दर्ज है पश्चिमी अफ्रीका के बादशाह मंसा मूसा का. जिन्होंने 14वीं शताब्दी में यहां शासन किया. 1280 में जन्मे मंसा मूसा के बड़े भाई मंसा अबू बक्र ने 1312 तक शासन किया. इसके बाद जब वो एक लंबी यात्रा पर निकल गए तब मंसा मूसा ने गद्दी संभाली.
मंसा मूसा के दौलत के बारे में बताते हुए मनी मैगजीन ने लिखा था कि ‘उससे भी ज़्यादा दौलतमंद जितना कोई अनुमान लगा सकता है’. मंसा मूसा प्रथम के बारे में यह बात भी काही जाती है कि वह टिम्बकटू के राजा थे. मूसा के इतना अमीर होने का एक कारण यह भी है कि वह जब राजा बने तब दुनिया भर में सोने की मांग चरम पर थी और दुनिया का आधा सोना मूसा के पास था. तब वह माली की सल्तनत पर हुकूमत कर रहे थे जहां सोने के बहुत बड़े भंडार थे.
400 बिलियन डॉलर से कहीं ज़्यादा के मालिक थे मूसा
मंसा मूसा का असली नाम मूसा कीटा प्रथम था. मंसा बादशाह को कहा जाता था इसलिए गद्दी पर बैठने के बाद वो मंसा कहलाए. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार मूसा की सल्तनत का अंदाजा लगाना तक नामुमकिन था. आज के मॉरीटानिया, सेनेगल, गांबिया, गिनिया, बुर्किना फासो, माली, नाइजर, चाड और नाइजीरिया ये सभी देश तब मूसा की सल्तनत का हिस्सा हुआ करता थे.
मूसा की दौलत और उनके दयालु मन के कारण एक पूरे देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई थी. एक अंदाजे के मुताबिक उनकी संपत्ति 400 बिलियन डॉलर से ज्यादा थी. लेकिन ये मात्र एक अंदाजा है, कई इतिहासकारों के मुताबिक मूसा की दौलत इससे कहीं ज़्यादा थी.
2000 मील तक फैला था राजपाठ
- अफ्रीका के जंगलों में रहने वाले माली साम्राज्य के राजा मंसा मूसा ने करीब 1312 से 1337 तक शासन किया। उस दौर में यूरोप में भूखमरी फैली हुई थी और सिविल वॉर का दौर था, लेकिन कई अफ्रीकी साम्राज्य फल-फूल रहे थे।
- सेलिब्रिटी नेटवर्थ वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, मूसा के पास उस वक्त 27,34,200 करोड़ रु. की दौलत थी। मूसा जब सत्ता में था, तब उसने बहुत तेजी से अपना साम्राज्य बढ़ाया और इसे दो हजार मील तक फैला लिया था। मॉर्डन दौर में मॉरिटेनिया, सेनेगल, जाम्बिया, गिनी, बुर्किला फासो, माली, नाइजर, नाइजीरिया और चाड के नाम से पहचाने जाने वाले देश मूसा के साम्राज्य का हिस्सा थे। यानी आधे से ज्यादा अफ्रीका महाद्वीप पर राज।
- जिस वक्त मूसा अफ्रीका पर राज कर रहा था, उस वक्त उसके पास करीब दो लाख सैनिक थे, जिसमें से 40 हजार तो सिर्फ निशानेबाज ही थे। मूसा का नमक और सोने का कारोबार था। उसके दौर में माली दुनियाभर में सोने का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर देश था।
जब दुनिया ने देखी उसकी दौलत
- मूसा की लाइफ पर एनिमेशन क्लिप तैयार करने वाली जेसिका स्मिथ के मुताबिक, घूमने-फिरने में मूसा ने जितना खर्च किया उतनी दौलत शायद ही कोई खर्च करे। उसकी तरह दौलत लुटाना भी आसान नहीं था।
- काफी समय तक दुनिया को अफ्रीकी राजा की असल दौलत का अंदाजा नहीं था। दुनिया उसकी दौलत से तब वाकिफ हुई, जब उसने 1324 में चार हजार मील की मक्का की यात्रा की। वो काहिरा होते हुए मदीना और फिर मक्का पहुंचा था और इस दौरान उसने बेइंतेहा दौलत लुटाई। इस सफर में उसके साथ 10 हजार सैनिक, नागरिक और गुलाम, सैकड़ों ऊंट-घोड़े और बड़ी मात्रा में सोने की मोहरे और ईंटें थीं।
इतना सोना बांटा कि संकट खड़ा हो गया
- मक्का की यात्रा के दौरान मूसा रास्ते में जनता को सोना बांटता जा रहा था। अपने सफर के दौरान वो मिस्र की राजधानी काहिरा में भी रुका था। इस दौरान मूसा ने वहां के गरीबों पर भी खूब दौलत लुटाई, जिसका असर ये हुआ था कि अचानक वहां सोने की कीमत गिर गई है और मिस्र में करेंसी क्राइसिस खड़ा हो गया। देश को इस हालात से उबरने में एक साल लग गए थे।
टिम्बकटू की सूरत बदल दी
उसने अपने साम्राज्य के लिए बहुत काम किया था। स्मिथ के मुताबिक, वो खुद को सच्चा मुसलमान मानता था और टिम्बकटू में उसकी गहरी रूचि थी। इस जगह को नया रूप देने में उसी का योगदान है। उसने अपने शासन के दौरान कई मस्जिद बनवाईं। इसके अलावा कई यूनिवर्सिटी, स्कूल और एजुकेशन सेंटर भी खुलवाए। उसने माली की लाइब्रेरी में आला दर्जे के इस्लामी धर्मशास्त्र जमा करवाए। मूसा ने माली में कुरानिक स्कूल की स्थापना की और यहां हर शुक्रवार को सामूहिक तौर पर दुआ करने की परंपरा शुरू की।
अगली पीढ़ी नहीं संभाल पाई दौलत
स्मिथ के मुताबिक, मूसा ने करीब 25 साल तक शासन किया और 1332 में उसकी मौत हो गई। इसके बाद उसकी सत्ता बेटे मंसा मेघन ने संभाली। हालांकि, आगे की पीढ़ी उसका कारोबार ढंग से नहीं संभाल पाईं। माना जाता है कि लंबे सिविल वॉर और विदेशी हमलों के चलते उसका कारोबार तबाह हो गया और दौलत लुटती चली गई।
60,000 लोग और 135 मन सोना साथ लेकर निकले थे मक्का की यात्रा पर
मूसा की दौलत से जुड़ा एक किस्सा बहुत प्रसिद्ध है. 1324 में वो मक्का की यात्रा के लिए निकले. इस सफर में मंसा मूसा ने साढ़े छह हज़ार किलोमीटर की दूरी तय की थी. मूसा का कारवां जहां से गुजरा वहां के लोग इसे देख कर हैरत में पड़ गए. कहा जाता है कि उनके कारवां में 60 हज़ार लोग शामिल थे जिसमें 12 हज़ार केवल मूसा के निजी अनुचर थे. मूसा के घोड़े के आगे 500 लोग रेशमी लिबास पहने और सोने की छड़ियां लिए चल रहे थे. इसके साथ ही इस कारवां में 80 ऊंटों का जत्था था जिस पर 136 किलो सोना लदा हुआ था.
अपनी दरियादिली से बर्बाद कर दी मिस्र की अर्थव्यवस्था
मूसा के इसी सोने ने पूरे मिस्र को कंगाली के हाल तक पहुंचा दिया. उन्होंने अपनी उदारता दिखते हुए मिस्र की राजधानी काहिरा से गुजरे वक्त यहां के गरीबों को इतना सोना दान में दिया कि इस पूरे देश में सोने के दाम घट गए और अर्थव्यवस्था चरमरा गई. जिसके बाद इस देश में अचानक से महंगाई बढ़ गई. 57 साल की उम्र में मूसा इस दुनिया को अलविदा कह गए. इसके बाद उनके बेटे ने गद्दी संभाली लेकिन वो इस साम्राज्य को चला नहीं पाया. जिसके बाद मूसा की सल्तनत समय के साथ छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट गई.
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