राजगढ़ से वायरल हुए वीडियो में दिखाई दे रहा है कि लक्ष्मी बाई नाम की महिला अपना थोड़ा सा सामान और मासूम बच्ची के साथ बैलगाड़ी को हाथों से खींचती हुई पचोर से 30 किलोमीटर दूर सारंगपुर जा रही थी. उसने तकरीबन 15 किलोमीटर का सफर तय कर लिया था. इस दौरान दो लोगों की नजर महिला पर पड़ी. उन्होंने उसकी बैलगाड़ी को बाइक से बांधा और सारंगपुर तक छोड़ दिया.
न्यूज डेस्क:मध्य प्रदेश में बैलगाड़ी में बैल की जगह खुद अपने साथ से इसे खींच रही एक महिला का वीडियो वायरल हो रहा है। वो इसपर बच्ची को बैठा कर अपने हाथों से बैलगाड़ी खींच रही है। महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ है। बताया जा रहा है कि यह महिला अपनी बेटी को पचोर से सारंगपुर ले जा रही थी। इस वीडियो में साफ़ तौर पर दिख रहा है कि किस तरह महिला बैलगाड़ी को बैलों की जगह खुद ही खींचते हुए लेकर जा रही है। इस वीडियो ने हर किसी राहगीर को न सिर्फ हैरान किया बल्कि सिस्टम पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
बेबसी और बदहाली की तस्वीर
पचोर जिले से सारंगपुर जा रही महिला कान लक्ष्मी बताया जा रहा है। पचोर से 15 किलोमीटर आगे जाने पर दो बाइक सवारों ने जब महिला को बैलगाड़ी को हाथों से खींचते देखा तो बरबस ही उनसे पूछ लिया। बातचित करते हुए युवकों ने उनकी इस गाड़ी को अपनी मोटरसाइकिल से बांधकर 15 किलोमीटर सारंगपुर तक छोड़ दिया। यह वीडियो मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले से वायरल हुआ है। इस वाइरल वीडियो की जब जानकारी निकाली गई तो पता चला की महिला लक्ष्मी के पास ना तो कोई घर है और ना ही कोई उनकी मदद करने आता है। राजगढ़ से वायरल हुए वीडियो में दिखाई दे रहा है कि लक्ष्मी बाई नाम की महिला अपना थोड़ा सा सामान और मासूम बच्ची के साथ बैलगाड़ी को बिना बैलों के खुद ही हाथों से खींचती हुई पचोर से 30 किलोमीटर दूर सारंगपुर जा रही हैं।
पति की मृत्यु हो गई है
लक्ष्मी ने बताया की मेरे पति की मृत्यु हो चुकी है और बड़ी मुश्किल से एक समय का खाना जुटा पाती हूं। मेरे पास ना तो कोई घर है और ना ही ठिकाना। शासन-प्रशासन से भी कोई मदद नहीं मिलती है। मेरा हाथ जोड़कर सरकार से निवेदन है की मेरी किसी तरह मदद की जाये जिससे में और मेरी बेटी जी सकें। इस दौरान महिला ने बताया कि वह सारंगपुर जा रही है उसने और उसकी बेटी ने कुछ खाया तक नहीं है।
राहगीरों ने दी मदद
महिला की मदद करने वाले शिक्षक देवी सिंह नागर का कहना है कि वो अपने साथी के साथ कहीं जा रहे थे। इस दौरान उनकी नजर एक महिला पर पड़ी, जो कि अपने दोनों हाथों से बैलगाड़ी खींचती हुई जा रही थी। हमने अपनी बाइक रोककर उसकी मदद की कोशिश की फिर हमने महिला से रस्सी के बारे में पूछा तो उसने बैलगाड़ी से निकालकर रस्सी दी और हमने उसकी बैलगाड़ी को बाइक से बांधा और सारंगपुर पहुंचाया।