ई-सिगरेट (इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट) एक डिवाइस है जो साधारण सिगरेट की तरह दिखता है. ई-सिगरेट का बाहरी भाग सिगरेट और सिगार के समान बनाया गया है. इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट एक बैटरी से चलने वाला डिवाइस है जो निकोटीन के घोल को धुएं में परिवर्तित कर देता है. इस धुएं को परम्परागत सिगरेट की तरह फेफड़ों तक लाया जा सकता है. ध्यान रहे कि ई-सिगरेट में तंबाकू नहीं होती है लेकिन इसके पीने वालों को यह एहसास होता है कि वे असली सिगरेट पी रहे हैं.
ई-सिगरेट का मतलब (Meaning of e-Cigarettes)
ई-सिगरेट (इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट) एक ऐसा डिवाइस है जो एक साधारण सिगरेट की तरह दिखता है. ई-सिगरेट का बाहरी भाग सिगरेट और सिगार के समान बनाया जाता है. इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट एक बैटरी से चलने वाला उपकरण है जो निकोटीन के घोल को धुएं में परिवर्तित कर देता है जिसे फेफड़ों में प्रवेश कराया जा सकता है. ई-सिगरेट में तंबाकू नहीं होता है. तो बता दें कि ई-सिगरेट यानी इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट. ई-सिगरेट एक तरह की ENDS (इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम) डिवाइस है. ENDS बैटरी से ऑपरेट होने वाले डिवाइस हैं, जिनका इस्तेमाल शरीर में निकोटिन पहुंचाने के लिए होता है. ENDS में सबसे ज्यादा डिमांड रहती है ई-सिगरेट की. युवाओं की बड़ी तादाद में ई-सिगरेट की डिमांड बढ़ती नजर आ रही है.
ई-सिगरेट नॉर्मल सिगरेट से कितनी अलग है?
नॉर्मल सिगरेट और ई-सिगरेट में सबसे बड़ा फर्क है कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट में तंबाकू नहीं होता है. ई-सिगरेट को बिल्कुल सिगरेटनुमा बनाया जाता है. इसके अंत में LED बल्ब लगा होता है. कश लगाने पर ये बल्ब जलता है तो सिगरेट के तंबाकू जलने जैसा फील देता है. इसके कई फ्लेवर आते हैं और ये सिगरेट से सस्ती होती है.
ई-सिगरेट के अंदर लिक्विड निकोटिन का कार्टेज मौजूद होता है. खत्म होने के बाद कार्टेज को बदला जा सकता है. हालांकि कुछ ई-सिगरेट में यूज-एंड-थ्रो वाला हिसाब होता है.
ई-सिगरेट में मौजूद लिक्विड निकोटिन जलता नहीं है, इसलिए इससे धुआं नहीं निकलता और सिगरेट जैसी गंध भी नहीं आती. लिक्विड निकोटिन गर्म होकर भाप बन जाता है. इसलिए जो लोग ई-सिगरेट पीते हैं वो धुंए की बजाय भाप खींचते हैं.
ई-सिगरेट के तीन हिस्से होते हैं-
- रिचार्जेबल लिथियम बैटरी
- निकोटिन कार्टेज
- एवोपोरेट चैंबर- इस हिस्से में छोटा हीटर लगा होता है, जो बैटरी से गर्म होता है निकोटिन को भाप में बदलता है.
ई-सिगरेट के नुकसान
निकोटिन की मौजूदगी, हार्ट, लीवर और किडनी के लिए खतरनाक है. इसमें कैंसर पैदा करने वाले एजेंट मौजूद होते हैं. WHO के मुताबिक ई-सिगरेट के फ्लेवर युवाओं को चुंबक की तरह खींचते हैं और अपना आदी बनाते हैं. टीनेजर्स और यूथ में फेफड़ों की बीमारियां बढ़ रही हैं.ई-सिगरेट धूम्रपान; फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है. ई-सिगरेट तम्बाकू सिगरेट के रूप में मसूड़ों और दांतों के लिए भी हानिकारक हैं.
कुछ अन्य शोधों के अनुसार, जो लोग ई-सिगरेट का उपयोग करते हैं, उनमें दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक होता है और अवसाद की संभावना दोगुनी हो जाती है. यहां तक कि लंबे समय तक ई-सिगरेट के इस्तेमाल से भी रक्त के थक्के जमने की समस्या और कैंसर भी हो सकता है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 18 सितंबर 2019 से देश में ई-सिगरेट के उत्पादन, बिक्री, निर्यात, आयात, विज्ञापन, भंडारण पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ई-सिगरेट क्या होती है और इस पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध क्यों लगाया है.
क्या ई-सिगरेट हानिकारक होती है? (Is e-Cigarette harmful?)
किंग्स कॉलेज लंदन में तंबाकू एडिक्शन का अध्ययन करने वाले प्रोफेसर एन. मैकनील का कहना है कि "जब लोग तम्बाकू सिगरेट पीते हैं, तो वे अपने अंदर धुएं के 7,000 घटक अपने अन्दर ले जाते हैं, जिनमें से 70 को कैंसर पैदा करने वाला माना जाता है. ये तत्व ई-सिगरेट में कम मात्रा में होते हैं. इसलिए हम कह सकते हैं कि ई-सिगरेट तंबाकू सिगरेट की तुलना में कम हानिकारक है. लेकिन यह सच है कि ई-सिगरेट भी हानिकारक है
भारत में बैन है ई-सिगरेट
भारत में ई-सिगरेट पर पूरी तरह से बैन किया गया है. सरकार ने इसके निर्माण, वितरण, बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है. ई-सिगरेट का चलन सबसे ज्यादा युवाओं में था, यहां तक कि स्कूल के बच्चे इसका ज्यादा उपयोग कर रहे थे, जिसके चलते सरकार ने इसे बैन कर दिया था. हेल्थ मिनिस्ट्री ने अध्यादेश में पहली बार नियम तोड़ने पर 1 साल की जेल और एक लाख रुपये जुर्माना लगाए जाने का प्रस्ताव रखा है. इसके अलावा एक से ज्यादा बार नियमों का उल्लंघन करने पर 3 साल की जेल और 5 लाख रुपये का जुर्माना प्रस्तावित किया है.