उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में नोटों के खेल की जानकारी अब पुलिस को पड़ी तो वह भी मामला सुनकर सन्न रह गई। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर छापा मारा तो नजारा देखकर होश उड़ गए। यहां 2000 का नोट मात्र 700 रुपये में दिया जाता था। कमरे के अंदर 2000 और 500 के नोटों की गड्डियां बिखरी पड़ी थीं। कमरे के अंदर पुलिस को नोट को बनाने वाले सारे उपकरण भी मिले।पुलिस को फिर माजरा समझने में तनिक भी देर नहीं लगी। पुलिस ने मौके से तीन लोगों को भी गिरफ्तार किया। साथ ही पुलिस ने यहां से 54 हजार रुपये के नकली नोट और उन्हें बेचकर कमाए 58 हजार रुपये भी बरामद किए।
यूपी की सुहाग नगरी कहे जाने वाने फिरोजाबाद की रामगढ़ पुलिस और एसओजी टीम ने सोमवार को नकली नोट बनाने की फैक्ट्री पर छापा मार कार्रवाई की. फैक्ट्री में लंबे समय से नकली नोट बनाए जा रहे थे. पुलिस ने फैक्ट्री से तीन लोग गिरफ्तार किया है और उनके कब्जे से हजारों रुपए के नकली और असली नोट बरामद किए हैं. साथ ही पुलिस ने यहां से प्रिंटर मशीन और नोट बनाने की मशीन को भी अपने कब्जे में लिया है. करीब 4 महीने से ही यहां पर नकली नोट बनाने का काम किया जा रहा था.
फिरोजाबाद के एसएसपी आशीष तिवारी ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि थाना रामगढ़ क्षेत्र के जगजीवन नगर स्थित एक मकान में नकली नोट छापने की सूचना मिली थी. जिसके बाद करीब 7:30 बजे रामगढ़ थाने की पुलिस एसओजी और सर्विलांस टीम ने मौके पर जाकर छापामार कार्रवाई की. जिसमें पुलिस को 3 लोग नकली नोट छपते हुए मिले. जब उनकी तलाशी ली गई तो उनके पास से 53 हजार 900 रुपए के नकली और 9130 असली और नकली नोट को बाजार में चलाकर इकट्ठे किए गए ₹58 हजार बरामद हुए. साथ ही, नोट पर लगाने वाली महात्मा गांधी की मोहर और 71 ऐसे पेपर प्राप्त हुए जिनके एक तरफ ₹2000 का प्रिंट था. पुलिस ने यहां से प्रिंटर, सफेद श्याही का पेन और सफेद रंग की सेलोटेप और अन्य सामान बरामद किया है.
एसएसपी ने बताया कि जो तीन युवक यहां से गिरफ्तार किए गए हैं उनका नाम कमल प्रताप निवासी जगजीवन नगर सैलई रामगढ़, रामवीर निवासी राजा का ताल टूंडला, कुलवेंद्र उर्फ कुल्लू उर्फ विकास सिकेरा निवासी मटसेना है. यह शातिर नकली नोट इस तरह से बनाते थे कि कम पढ़े लिखे लोग उन्हें सही से पहचान ना पाए और यह लोग हर महीने करीब ₹50 हजार के नकली नोट बाजार में खपा देते थे. नकली नोट बनाने की फैक्ट्री में कमल प्रताप नोट छापने का काम करता था जबकि रामवीर और कुलवेंद्र फर्जी नोट को बाजार में खपाने का काम करते थे. यह लोग ठेल, ढकेल, शराब की ठेके और फुटकर विक्रेताओं की दुकान पर चलाते थे. और जो भी कमाई होती थी वह आपस में बांट देते थे. वहीं उन्होंने बताया कि कमल प्रताप फरवरी में आगरा के हरीपर्वत क्षेत्र में नकली नोट छपते हुए गिरफ्तार हुआ था. जेल से बाहर आने के बाद मई महीने से उसने फिर से काम शुरू कर दिया.