ऑपरेशन थियेटर का नाम सुनकर ही मन में घबराहट होने लगती है. डॉक्टर्स यहां किसी की जिंदगी को बचाने की भरपूर कोशिश करते हैं. लेकिन क्या आपने नोटिस किया है कि ये सारे डॉक्टर्स ओटी में नीले या हरे रंग के कपड़े ही पहनते हैं. आखिर क्यों?
हमारी जिंदगी में हम ऐसी कई चीजों के विटनेस बनते हैं, जिसे हम हर रोज देखते हैं लेकिन उसकी वजह नहीं जानते. वैसे तो इंसान सबसे ज्यादा क्यूरियस माना जाने वाला जीव है, लेकिन कुछ ऐसी चीजें होती हैं, जिसकी हमारी नजरों को इतनी आदत पड़ जाती है कि हम उसके बारे में कुछ नोटिस ही नहीं करते. वैसे तो ऑपरेशन थियेटर ऐसी जगह है, जहां शायद ही कोई इंसान जाना चाहेगा. लेकिन इसके बावजूद कई बार स्थितियां ऐसी हो जाती है कि जान बचाने के लिए इंसान को ये रिस्क उठाना पड़ता है. लेकिन क्या आपने कभी ये नोटिस किया है कि ऑपरेशन थियेटर में हर में मौजूद हर डॉक्टर और नर्स या तो हरे रंग के कपड़ों में होते हैं या नीले.
अगर आपको आजतक ऐसा लगता था कि ऐसा बिना किसी वजह के है, तो आप गलत हैं. ऑपरेशन थियेटर में इन्हीं दो रंग के कपड़ों को पहनने का ख़ास कारण है. अस्पताल या क्लिनिक में तो डॉक्टर्स सफ़ेद रंग के कपड़े पहनकर मरीज का चेकअप कर लेते हैं. लेकिन जैसे ही वो ओटी यानी ऑपरेशन थियेटर में आते हैं, उनके कपड़े हरे या नीले रंग के हो जाते हैं. एक ख़ास कारण है जिसकी वजह से ऐसा किया जाता है. आज हम आपको उसी वजह के बारे में बताने जा रहे हैं.
असल में ये है कारण
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सर्जरी के दौरान डॉक्टर्स और नर्स हरे या नीले रंग के ही कपड़े पहनते हैं क्यूंकि ये आंखों को आराम देती है. अगर आम लाइफ में भी आप तेज रोशनी से अंधेरे में आएंगे तो सूरज की रोशनी से चैंधियाई आंखों को हरा या नीला रंग आराम देता है. ये दो कलर्स सूदिंग होते हैं जो आंखों को रिलैक्स करते हैं. चूंकि ऑपरेशन के दौरान सर्जन को काफी अटेंटिव होना होता है, इस वजह से इन्हीं रंगों को अंदर अलाउ किया जाता है ताकि वो पूरी कॉन्सेंट्रेशन के साथ ऑपरेशन कर पाएं.ऐसा कहा जाता है कि पहले डॉक्टरों से लेकर अस्पताल के सभी कर्मचारी सफेद कपड़े पहने रहते थे, लेकिन साल 1914 में एक प्रभावशाली डॉक्टर ने इस पारंपरिक ड्रेस को हरे रंग में तब्दील कर दिया.टूडे सर्जिकल नर्स के 1998 के अंक में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, सर्जरी के समय डॉक्टरों ने हरे रंग का कपड़े पहनने इसलिए शुरू किए, क्योंकि ये आंखों को आराम देते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सर्जरी के दौरान डॉक्टर्स और नर्स हरे या नीले रंग के ही कपड़े पहनते हैं क्यूंकि ये आंखों को आराम देती है. अगर आम लाइफ में भी आप तेज रोशनी से अंधेरे में आएंगे तो सूरज की रोशनी से चैंधियाई आंखों को हरा या नीला रंग आराम देता है. ये दो कलर्स सूदिंग होते हैं जो आंखों को रिलैक्स करते हैं. चूंकि ऑपरेशन के दौरान सर्जन को काफी अटेंटिव होना होता है, इस वजह से इन्हीं रंगों को अंदर अलाउ किया जाता है ताकि वो पूरी कॉन्सेंट्रेशन के साथ ऑपरेशन कर पाएं.ऐसा कहा जाता है कि पहले डॉक्टरों से लेकर अस्पताल के सभी कर्मचारी सफेद कपड़े पहने रहते थे, लेकिन साल 1914 में एक प्रभावशाली डॉक्टर ने इस पारंपरिक ड्रेस को हरे रंग में तब्दील कर दिया.टूडे सर्जिकल नर्स के 1998 के अंक में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, सर्जरी के समय डॉक्टरों ने हरे रंग का कपड़े पहनने इसलिए शुरू किए, क्योंकि ये आंखों को आराम देते हैं।
विज्ञान का ये है कहना
बात अगर इसके पीछे छिपे विज्ञान की करें, तो इंसान की आंखों का निर्माण कुछ ऐसे हुआ है कि वो लाल, हरा और नीला रंग आसानी से देखने में सक्षम है. लेकिन सूरज की रोशनी के साथ रंग मिलकर अलग रंग का निर्माण करते हैं, जिन्हें हमारी आखें कैच करती हैं. सर्जरी के दौरान सर्जन्स के आसपास कई तरह के लाइट्स जलते हैं. ऐसे में उनकी आंखों को कोई कन्फ्यूजन ना हो जाए, इसी वजह से सर्जन ये दो रंग प्रेफर करते हैं. तो अब आप समझ गए ना कि आखिर इन्हीं रंगों कपड़े ओटी में क्यों पहने जाते हैं?
बात अगर इसके पीछे छिपे विज्ञान की करें, तो इंसान की आंखों का निर्माण कुछ ऐसे हुआ है कि वो लाल, हरा और नीला रंग आसानी से देखने में सक्षम है. लेकिन सूरज की रोशनी के साथ रंग मिलकर अलग रंग का निर्माण करते हैं, जिन्हें हमारी आखें कैच करती हैं. सर्जरी के दौरान सर्जन्स के आसपास कई तरह के लाइट्स जलते हैं. ऐसे में उनकी आंखों को कोई कन्फ्यूजन ना हो जाए, इसी वजह से सर्जन ये दो रंग प्रेफर करते हैं. तो अब आप समझ गए ना कि आखिर इन्हीं रंगों कपड़े ओटी में क्यों पहने जाते हैं?