वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) यानी GHI में भारत 107वें स्थान पर खिसक गया है। पिछली बार के मुकाबले भारत छह पायदान नीचे है। GHI के लिए दुनिया के 136 देशों से आंकड़े जुटाए गए। इनमें से 121 देशों की रैंकिंग की गई। बाकी 15 देशों से समुचित आंकड़े नहीं होने के कारण उनकी रैंकिंग नहीं की जा सकी।
इस रैंकिंग में भारत अपने लगभग सभी पड़ोसी देशों से पीछे है। केवल अफगानिस्तान से ही भारत की स्थिति थोड़ी सी बेहतर है। अफगानिस्तान इस सूची में 109वें स्थान पर है। 29.1 स्कोर के साथ GHI के प्रकाशकों ने भारत में 'भूख' की स्थिति को गंभीर बताया है।
आखिर ये GHI क्या है? इस बार सबसे बेहतर रैंकिंग किन देशों की है? सबसे खराब रैंकिंग वाले देश कौन से हैं? भारत और उसके पड़ोसी देशों क्या हाल है? अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों क्या? GHI निकालते कैसे हैं? बीते दो दशक में भारत की रैंकिंग और GHI स्कोर कितनी सुधरी या बिगड़ी है? भारत का इस रैंकिंग को लेकर क्या कहना है? आइये जानते हैं…
सन 2000 से लगभग हर साल GHI जारी होता है। इस रिपोर्ट में जितना कम स्कोर होता है उस देश का प्रदर्शन उतना बेहतर माना जाता है। कोई देश भूख से जुड़े सतत विकास लक्ष्यों को कितना हासिल कर पा रहा है। इसकी निगरानी करने का साधन वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) यानी GHI है। जिसका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग के लिए किया जाता है। GHI किसी देश में भूख के तीन आयामों को देखता है। पहला देश में भोजन की अपर्याप्त उपलब्धता, दूसरा बच्चों की पोषण स्थिति में कमी और तीसरा बाल मृत्यु दर(जो अल्पपोषण के कारण है)।
GHI रैंकिंग दी कैसे जाती है?
जहां तक रैंकिंग दिए जाने की बात है तो यह चार पैमानों पर दी जाती है। कुल जनसंख्या में कुपोषितों की आबादी कितनी है, पांच साल से कम उम्र के बच्चों में समुचित शारीरिक विकास नहीं होने की समस्या कितनी है, पांच साल से कम उम्र के बच्चों में लंबाई नहीं बढ़ने की समस्या कितनी है, 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्युदर कितनी है।
इन मानकों पर अलग-अलग देशों को 100-बिंदु पैमाने पर रैंक किया जाता है। इसमें 0 और 100 क्रमशः सर्वश्रेष्ठ और सबसे खराब संभव स्कोर हैं। नौ या नौ से कम स्कोर का मतलब उस देश में स्थिति बेहतर है। भूख की समस्या कम है। 10 से 19.9 तक के स्कोर वाले देशों में भूख की समस्या नियंत्रित स्थिति में मानी जाती है। 20.0 से 34.9 के बीच वाले स्कोर वाले देशों में भूख की समस्या गंभीर मानी जाती है। वहीं, 35.0 से 49.9 के बीच स्कोर वाले देशों में भूख की समस्या खतरनाक तो 50 से ज्यादा बेहद खतरनाक मानी जाती है।
भुखमरी का इंडेक्स कैसे तैयार किया जाता है?
किसी देश का GHI स्कोर 4 पैमानों पर कैलकुलेट किया जाता है…
1. कुपोषण: अंडरनरिशमेंट यानी एक स्वस्थ व्यक्ति को दिनभर के लिए जरूरी कैलोरी नहीं मिलना। आबादी के कुल हिस्से में से उस हिस्से को कैलकुलेट किया जाता है जिन्हें दिनभर की जरूरत के मुताबिक पर्याप्त कैलोरी नहीं मिल रही है।
2. बाल मृत्यु का दर: बाल मृत्यु का दर का मतलब हर 1 हजार जन्म पर ऐसे बच्चों की संख्या जिनकी मौत जन्म के 5 साल की उम्र के भीतर ही हो गई।
3. उम्र के हिसाब से वजन कम होना: चाइल्ड वेस्टिंग यानी बच्चे का अपनी उम्र के हिसाब से बहुत दुबला या कमजोर होना। 5 साल से कम उम्र के ऐसे बच्चे, जिनका वजन उनके कद के हिसाब से कम होता है। ये दर्शाता है कि उन बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिला इस वजह से वे कमजोर हो गए।
4. उम्र के हिसाब से कम लंबाई: चाइल्ड स्टंटिंग यानी ऐसे बच्चे जिनका कद उनकी उम्र के लिहाज से कम हो। यानी उम्र के हिसाब से बच्चे की हाइट न बढ़ी हो। हाइट का सीधा-सीधा संबंध पोषण से है। जिस समाज में लंबे समय तक बच्चों में पोषण कम होता है वहां बच्चों की लंबाई बढ़नी कम हो जाती है।
इन चारों आयामों को मिलाकर 100 पाइंट का स्टैंडर्ड स्कोर दिया जाता है। स्कोर स्केल पर 0 सबसे अच्छा स्कोर होता है, वहीं 100 सबसे बुरा।
यहां एक ध्यान रखने वाली बात ये है कि हंगर इंडेक्स में सिर्फ भोजन की कमी नहीं बल्कि भोजन में सही मात्रा में न्यूट्रिशन की कमी है या नहीं इस बात को भी बताता है।
इस बार सबसे बेहतर रैंकिंग किन देशों की है?
इस बार की रैंकिंग में 17 देशों का GHI स्कोर 5 से कम है। इन सभी देशों को अलग-अलग रैंकिंग नहीं देकर सभी को एक से 17 की रैंकिंग दी गई है। GHI की ओर से कहा गया है कि इन देशों के बीच आंकड़ों में अंतर बहुत कम है। इन 17 देशों में बेलारूस, बोस्निया और हर्जेगोविना, चिली, चीन, क्रोएशिया, एस्टोनिया, हंगरी, कुवैत, लातविया, लिथुआनिया, मोंटेनेग्रो, उत्तरी मैसेडोनिया, रोमानिया, सर्बिया, स्लोवाकिया, तुर्की और उरुग्वे शामिल हैं।
सबसे खराब रैंकिंग वाले देश कौन से हैं?
दुनिया के नौ देश ऐसे हैं जहां भूख की समस्या खतरनाक स्तर पर है। यानीं, इन देशों का GHI स्कोर 35.0 से 49.9 के बीच है। इन देशों में चाड, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, मेडागास्कर, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, यमन, बुरुंडी, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सीरियाई अरब गणराज्य शामिल है। इनमें चाड, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, मेडागास्कर, मध्य अफ्रीकी गणराज्य और यमन को क्रमश: 117 से 121 तक की रैंकिंग मिली है। बाकी देशों को डेटा कम होने के कारण रैंकिंग नहीं दी गई है।
भारत और उसके पड़ोसी देशों क्या हाल है?
भारत के पड़ोसी देशों की बात करें तो पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार की स्थिति हमसे बेहतर है। 121 देशों की सूची में श्रीलंका 64वें, म्यांमार 71वें, नेपाल 81वें, बांग्लादेश 84वें और पाकिस्तान 99वें पर है। भारत से पीछे सिर्फ अफगानिस्तान है। अफगानिस्तान 109वें नंबर पर है। चीन की बात करें तो चीन दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां इसकी समस्या कम है। चीन को एक से 17 की रैंकिंग पाने वाले देशों में शामिल है। वहीं, भूटान उन देशों में शामिल है जहां ये रैंकिंग नहीं निकाली गई है।
अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों क्या?
GHI में 136 देशों का सर्वे किया गया है। 2021 में 116 देशों के मुकाबले इस बार देशों में इजाफा हुआ है। इसके अलावा कई देश ऐसे हैं जो इसमें शामिल नहीं है। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे कई देश शामिल हैं। भारत का पड़ोसी देश भूटान भी ऐसे देशों में शामिल है।
बीते दो दशक में भारत की रैंकिंग और GHI स्कोर कितना सुधरा या बिगड़ा है?
2000 से इस रैंकिंग शुरुआत हुई। इसका उद्देश्य 2030 तक दुनियाभर में भुखमरी की समस्या को खत्म करना था। तब भारत का GHI स्कोर 38.8 था। जो 2007 आते-आते घटकर 36.3 हो गया। 2014 में ये स्कोर खतरनाक स्तर से नीचे आया। 2014 में यह स्कोर 28.2 था। तब भारत गंभीर श्रेणी के देशों में शामिल था। यह अभी भी गंभीर स्तर पर बरकरार है। हालांकि, इस स्कोर में इजाफा(29.1) हुआ है।
जिन चार संकेतकों के आधार पर यह रैंकिंग तैयार की जाती है उनमें दो में भारत लगातार सुधार कर रहा है। इनमें बच्चों की मृत्युदर और लंबाई नहीं बढ़ने की समस्या शामिल है। इसके बाद भी बीते आठ साल में भारत के GHI स्कोर में इजाफा हुआ है। इसकी वजह बच्चों के समुचित शारीरिक विकास में कमी की मामले बढ़ने और कुल जनसंख्या में कुपोषित आबादी की समस्या बढ़ने को बताया गया है।
भारत का इस रैंकिंग को लेकर क्या कहना है?
भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। सरकार का कहना है कि यह सरकार को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इसे गलतियों का पुलिंदा करार दिया है। उसका कहना है कि यह रिपोर्ट गलत और भ्रामक सूचनाओं पर आधारित है। सूचकांक के मापदंड और कार्यप्रणाली भी वैज्ञानिक नहीं हैं। मंत्रालय का कहना है कि इसके चार संकेतकों में से तीन बच्चों से जुड़े हैं जो संपूर्ण आबादी की जानकारी नहीं देते हैं। मंत्रालय के मुताबिक चौथा और सबसे अहम सूचकांक कुल जनसंख्या में कुपोषित आबादी का है। यह केवल 3,000 लोगों के बहुत ही छोटे सैंपल पर किए गए जनमत सर्वेक्षण पर आधारित है।