यूपी के उन्नाव में फीस जमा न कर पाने पर 12 छात्रों को परीक्षा में बैठने से मना कर दिया गया। बच्चे काफी देर तक स्कूल गेट पर रोते रहे। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
UP/उन्नाव:शिक्षा का अधिकार अधिनियम बांगरमऊ के निजी स्कूल के गेट पर उस समय दम तोड़ता नजर आया जब परीक्षा से बाहर किए जाने पर छात्र-छात्राएं फूट फूटकर रोते नजर आए। किसी भी बच्चे को शिक्षा से वंचित न करने का नियम होने के बावजूद स्कूल प्रबंधन ने फीस जमा न होने पर गेट से बाहर किया तो छात्र-छात्राएं फूट-फूटकर रोते रहे। उनकी पीड़ा देखने वालों भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। कुछ लोगों ने उनका वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्म ट्वीटर, वाट़्सएप और फेसबुक पर वायरल करके शिक्षा का मंदिर कहेज जाने वाले स्कूलों की हकीकत खोल दी।
उन्नाव में फीस जमा करने में देरी होने पर पांचवीं कक्षा की छात्रा को प्रिंसिपल ने स्कूल में दिनभर खड़ा रखा और परीक्षा नहीं देने दिया. यह घटना सोमवार की है. छात्रा का रोते हुआ वीडियो वायरल हुआ है. वीडियो सामने आने के बाद उन्नाव के जिलाधिकारी और उप-जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए हैं. जांच में स्कूल के दस्तावेज में गड़बड़ी पाई गई और अब उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है.
बच्चे परीक्षा देने स्कूल पहुंचे थे मगर उन्हें परीक्षा भी नहीं देने की गई. बच्चों के स्कूल के बाहर खड़े होकर रोने का वीडियो वायरल हुआ है. बाहर खड़े एक बच्चे ने बताया कि स्कूल की फीस न जमा होने पर स्कूल के बाहर पूरा दिन खड़ा रखा गया है. पूरा मामला उन्नाव के बांगरमऊ बाल विद्या मंदिर का है.
एक बच्ची ने रोते हुए बताया कि फीस जमा नहीं होने के कारण उन्हें स्कूल में नहीं घुसने दिया गया. बच्ची ने बताया कि पूरे दिन के लिए उन्हें बाहर ही खड़ा रखा गया और परीक्षा भी नहीं देने दी गई. बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि स्कूल का यह रवैया बेहद खराब है. बच्चों को दिन भर स्कूल के बाहर खड़ा रखना एकदम गलत कदम है.
बीएसए संजय तिवारी ने बताया कि खंड शिक्षाधिकारी को भेजकर मामले की जांच कराएंगे।
बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने स्कूल प्रबंधन को घेरा
वहीं, अब बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने भी स्कूल प्रबंधन और व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं. वरुण गांधी ने ट्वीट किया, ' इस बेटी के आंसू उन लाखों बच्चों की संयुक्त पीड़ा बता रहे हैं जिन्हें फीस न जमा होने के कारण उपहास झेलना पड़ता है. आर्थिक तंगी बच्चों की शिक्षा में रोड़ा ना बने यह हर जिले के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की नैतिक जिम्मेदारी है. निजी संस्थान मानवता न भूलें, शिक्षा व्यापार नहीं है.'
इस बीच ‘भारत समाचार’ के एडिटर-इन-चीफ ब्रजेश मिश्रा ने दरियादिली दिखाते हुए सोमवार को अपने ट्विटर अकाउंट से बच्चों के पूरे सत्र की फीस खुद से जमा कराने की बात कही और साथ ही स्कूल प्रबंधन से यह मांग की कि बच्चों को परीक्षा में शामिल होने से न रोका जाए। हालांकि इसके बाद मंगलवार को उनकी ओर से बच्चों की पूरे सत्र की फीस जमा करा दी गई।