लखनऊ में बना दुनिया का सबसे ऊंचा दुर्गा पंडाल, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम होगा दर्ज
(World's tallest Durga pandal built in Lucknow, name will be recorded in Guinness Book of World Records)
लखनऊ: देश और प्रदेश में शारदीय नवरात्रि की धूम है। ऐसे में जगह-जगह पर मां दुर्गा की पूजा अर्चना के लिए तमाम तरह के आयोजन किए जा रहे हैं। वहीं, यूपी की राजधानी लखनऊ में जानकीपुरम सेक्टर-एफ स्थित दुर्गा पूजा पार्क में करीब 137 फीट ऊंचा पंडाल तैयार किया गया है, जो बेहद खूबसूरत और विशेषताओं से भरपूर है। बता दें कि इस ऊंचाई का यह दुनिया का पहला ऐसा पंडाल है, जिसमें दुर्गा पूजा सम्पन्न होगी। इसी के चलते इसका नाम गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हुआ है।
पश्चिम बंगाल में बना था 135 फीट ऊंचा पंडाल
बता दें कि इसे बनाने के लिए बांस आसाम से लाये गए हैं। कपड़ा गुजरात से आया है। लाइट महाराष्ट्र से आ रही है। बनाने वाले कारीगर पश्चिम बंगाल के हैं और दुर्गा पूजा से लेकर दशहरे तक पूजा कराने के लिए पुजारी भी बंगाल से ही आएंगे। अब तक बने पंडाल के ढांचे पर 56 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। गौरतलब है कि 135 फीट की ऊंचाई का एक पंडाल साल 2021 में ही पश्चिम बंगाल के लेकटाउन में बनाया गया था। इसकी डिजाइन हूबहू बुर्ज खलीफा जैसी थी, लेकिन एयर ट्रैफिक कंट्रोल से परमीशन न मिलने की वजह से, इसमें लाइटिंग नहीं हो पाई और इसे अगले ही दिन बंद करना पड़ा।
चंद्रोदय मंदिर की प्रतिकृति के रूप में बना पंडाल
सौरव बंदोपाध्याय ने बताया कि दुर्गा पूजा पंडाल को बनाने के लिए बांस, कपड़ा और थर्माकोल का उपयोग किया है। वृंदावन के चंद्रोदय मंदिर की प्रतिकृति के रूप में बनाया गया यह पंडाल पूरी तरह से भूकम्प रोधी है, जिसके लिए 32 फुट लंबे बांसों को विशेष तौर पर असम से मंगवाया गया है। इसमें करीब 12 हजार बांस और 4 ट्रक थर्माकोल से तैयार किया है। सौरव ने बताया कि इसे तैयार करने की परिकल्पना तो एक साल से की जा रही थी, लेकिन 52 कारीगरों ने इसे डेढ़ महीने में बनाया है। वहीं, यह भी कहा कि इसमें सबसे ज्यादा कठिनाई बांस को लाने में हुई है।
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम
उत्सव संस्था के चेयरपर्सन सौरव ने कहा कि इसकी सुंदरता और विशेषताओं की वजह से ही इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड शामिल हुआ है। इसे बनाने में लगातार इस बात का ध्यान रखा गया है कि यह पूरी मजबूती के साथ खड़ा रहे। बता दें कि इसे बनाने के लिए बांस असम से लाए गए हैं। कपड़ा गुजरात से आया है। लाइट महाराष्ट्र से आई हैं। वहीं, बनाने वाले कारीगर पश्चिम बंगाल के हैं। दुर्गा पूजा से लेकर दशहरे तक पूजा कराने के लिए पुजारी भी बंगाल से आए हैं। सौरव ने बताया कि पंडाल के ढांचे पर करीब 58 लाख रुपये खर्च हुए हैं।