ऐसा कौन सा व्यक्ति था जिसने भारत में सबसे पहली कार खरीदी थी ...जानिए उसका नाम
एक वक्त ऐसा था जब भारत में कारों की गिनती कुछ गिनी हुई ही थी। क्या आप जानते हैं कि देश में पहली कार किसके पास थी। वह कौन शख्स था जिसने अंग्रेजों को चुनौती देते हुए पहली कार खरीदी थी। यह कार क्राम्पटन ग्रीव्स कंपनी की थी। आइए जानते हैं किस भारतीय ने खरीदी थी पहली कार...
सड़कों पर आज के समय में भारत के छोटे शहर और गांवों मं भी कार बहुत आसानी से दिख जाती हैं बल्कि कारों की भीड़ की वजह से सड़कों पर जाम तक लगने लगा है। एक वक्त ऐसा था जब भारत में कारों की गिनती कुछ गिनी हुई ही थी। आज हम आपको ये बता रहे हैं कि भारत में सबसे पहली कार कौन सी थी और उसे किसने खरीदा था।
भारत में चलने वाली महली मोटर कार को 1897 में पहली कार कोलकाता में मिस्टर फोस्टर के मालिक क्रॉम्पटन ग्रीवेस ने खरीद थी। इसी के साथ मुंबई शहर में सन् 1898 में चार कारें खरीद गई थी। इन्हीं चार कारों में से एक कार को जमशेदजी टाटा ने खरीदा था। कारों की मदद से एक स्थान से दूसरे स्थान पर बहुत ही आसानी से पहुंचा जा सकता है। देश और दुनिया की जानी-मानी ऑटोमोबाइल कंपनियां एक से बढ़कर एक बेहतरीन कारें लॉन्च करती रहती हैं और अब कारों का डिजाइन शानदार और फीचर्स हाइटेक होते जा रहे हैं।
भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में से एक है, शायद आपको यह भी पता नहीं होगा। ज्यादा नहीं, तो अपने जमशेदपुर का आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया देख लें। यहां करीब 1400 कंपनियां हैं, जिसमें लगभग 850 सिर्फ ऑटो-एंसिलरी है। इसी की वजह से यह कभी देश का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र था। हालांकि एक कंपनी पर निर्भर होने की वजह से इसकी हालत बहुत पतली हो गई है। बहरहाल, देश में ऑटो इंडस्ट्री काफी तेजी से बढ़ेगी, खासकर स्क्रैप पालिसी से इसमें नई जान आएगी।
आज हम इसी के साथ दुनिया की पहली कार की भी बात करेंगे फ्रांस के निकोलस जोसफ कगनोट ने आर्मी की मांग पर 1769 में दुनिया की पहली कार का आविष्कार किया था। दिखने में ये कार काफी शानदार लग रही है, दुनिया की ये पहली कार वैसी नहीं है जैसी आज की कारें होती हैं। इस कार को 1769 में लोगों के सामने पेश किया था। फ्रांस में इस कार का निर्माण सिर्फ आर्मी के लिए किया गया था। ये एक भाप से चलने वाली कार थी, जिसे सड़कों पर बिना किसी अन्य मदद के चलने लायक बनाया गया था। इस कार को मिलिटरी के लिए तैयार किया गया था, ताकि इस पर रखकर वो खुद एक जगह से दूसरी जगह जा सकें और अपना सामान जैसा हथियार, बम और गोले एक जगह से दूसरी जगह लेकर जा सकें।
एंबेसडर थी भारत में बनने वाली पहली कार
अब हम आपके सवालों पर आते हैं। आप जान लें कि अपने देश में भारतीय कारों की सबसे पुरानी फैक्ट्री गुजरात में हिंदुस्तान मोटर्स के नाम से स्थापित हुई थी, जो एंबेसडर ब्रांड से कार बनाती थी। इसका ढांचा व डिजाइन यूके की मॉरिस ऑक्सफोर्ड से काफी मिलती-जुलती थी। इसकी वजह है कि हिंदुस्तान मोटर्स की स्थापना में मॉरिस ऑक्सफ़ोर्ड मॉडल का उत्पादन करने के लिए मॉरिस मोटर्स के साथ तकनीकी सहयोग हुआ था। पहले इसका नाम हिंदुस्तान एंबेसडर और बाद में एचएम एंबेसडर भी कहा जाने लगा। हिंदुस्तान मोटर्स में एंबेसडर का का उत्पादन 1948 में शुरू हुआ था। गुजरात के बाद यह कंपनी कलकत्ता या कोलकाता में चलने लगी। लेकिन बाद में इसे कोलकात शिफ्ट कर दिया गया.
(जमशेद जी टाटा )
जेएन टाटा ने 1897 में खरीदी थी कार
कार के शौकीन उस वक्त भी भारत में बहुत थे। अंग्रेज और भारतीय जमींदारों के पास भी कार थी, लेकिन तब भारत में विदेशी कार ही उपलब्ध थी। कार खरीदने वाले पहले भारतीय व्यक्ति जेएन टाटा रहे। उन्होंने 1897 में भारत आने वाली पहली कार क्रॉम्पटन ग्रीव्स खरीदी थी। इससे पहले यह कार फोस्टर नामक एक अंग्रेज के पास थी। फोस्टर के पास कार आने के एक वर्ष बाद जेएन टाटा के पास भी यह कार आ गई थी।