Hindenburg Report: अडानी समूह ने हिंडेनबर्ग रिसर्च को दिया चार सौ पृष्ठ का जवाब, कहा उसकी रिपोर्ट धोखा

 


अडानी समूह ने हिंडेनबर्ग रिसर्च को दिया चार सौ पृष्ठ का जवाब, कहा उसकी रिपोर्ट धोखा

नई दिल्ली। अरबपति उद्यमी गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी समूह ने अमरीकी सट्टा बाजार कंपनी हिंडेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का चार सौ पृष्ठों का कड़ा जवाब देते हुए रविवार को कहा कि यह रिपोर्ट निहित उद्देश्यों से जारी की गई है और इसमें निराधार भ्रम फैलाया गया है।

अडानी समूह ने कहा है कि हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट उसके शेयरधारकों और सार्वजनिक निवेश की लागत पर मुनाफा कमाने के लिए तैयार की गई है और यह पूरी तरह से अस्पष्ट है।


अडानी समूह ने अपने जवाब के साथ प्रासंगिक दस्तावेज और संदर्भ भी प्रस्तुत किए है। समूह की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के अनुवर्ती शेयर निर्गम (एफपीओ) के समय विवाद उत्पन्न करने वाली हिंडेनबर्ग की इस रिपोर्ट के विस्तृत जवाब के संबंध में जारी एक मीडिया नोट में अडानी समूह ने कहा है कि अमरीकी कंपनी ने उसके संबंध में अपनी रिपोर्ट में भारत की न्यायपालिका और नियामकीय व्यवस्था को अपनी सुविधा के अनुसार नजरअंदाज किया है।


अडानी समूह ने जवाब में अपनी कम्पनियों में अपनाए जाने वाले संचालन के आदर्शों, प्रतिष्ठा, साख और पारदर्शी व्यवहार तथा वित्तीय परिचालन के परिणामों और उत्कृष्टता का जिक्र किया है।


समूह ने कहा है कि यह रिपोर्ट न तो स्वतंत्र है और न ही तथ्यपरक है। इसे केवल एक तिकड़मभरा दस्तावेज कहा जा सकता है। जिसमें हितों का टकराव जगह जगह झलकता है। अडानी समूह ने कहा है कि इस रिपोर्ट का उद्देश्य लाभ काटने के लिए एक प्रतिभूतियों का छलावापूर्ण बाजार तैयार करना है जो कि भारतीय कानून के अनुसार शेयर बाजार की धोखाधड़ी है।


अडानी समूह ने कहा है कि हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट में 88 सवाल उठाए गए थे जिसमें से 68 के बारे में समूह की कम्पनियां ने अपनी वार्षिक रिपोर्टो , पेशकश के प्रस्तावों , वित्तीय विवरणों और शेयर बाजार को दी गई जानकारियों में उनका विवरण पहले ही प्रकाशित कर रखा है। बाकी 20 में से 16 सवाल सार्वजनिक शेयर धारकों और उनके धन के स्रोत के बारे में है। इनके अलावा बाकी चार सवाल निराधार आरोप के अलावा कुछ नहीं है।


अडानी समूह ने कहा है कि हिंडेनबर्ग ने यह सवाल इसलिए पैदा किए कि ताकि वह अपने लक्षित व्यक्तियों का ध्यान भटका सके और अडानी समूह की प्रतिभूतियों के कारोबार में निवेशकों की लागत पर अपनी शार्ट पॉजीशन का फायदा उठा सके।


अडानी समूह ने कहा है कि अमरीकी कम्पनी यह दावा करती है कि उसने इस रिपोर्ट के लिए दो साल जांच की और कई सबूत इकठ्ठा किए लेकिन उसका यह दावा केवल सार्वजनिक सूचनाओं की चुनिंदा और अपूर्ण हिस्सों के संकलन के अलावा कुछ भी नहीं।


अडानी समूह ने कहा है कि यह रिपोर्ट उसकी प्रतिष्ठा और उसके प्रति विश्वास पर हमला है और यह जिस तरह उसके एफपीओ समय जारी की गई है वह भारतीय एवं विदेशी निवेशकों के संबंध में भ्रम और आशंका पैदा करने के लिए लायी गई है और वह इसकी गंभीरतापूर्वक आपत्ति करते है।


उल्लेखनीय है कि अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ के ठीक पहले आयी इस रिपोर्ट के बाद इस कंपनी का शेयर टूटकर 2762 के रुपये के भाव आ गया है जबकि कंपनी ने एफपीओ के लिए आवेदन मूल्य का दायरा 3112 रुपये से लेकर 3276 रुपये प्रति शेयर तय किया है। 31 जनवरी को यह निर्गम बंद हो रहा है।

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