Tamil Nadu में एक भिखारी ने CM रिलीफ फंड में दान किए 50 लाख रुपए, झकझोर देगी असल जिंदगी की दर्दनाक कहानी; पढ़िए ...



Tamil Nadu में एक भिखारी ने CM रिलीफ फंड में दान किए 50 लाख रुपए, झकझोर देगी असल जिंदगी की दर्दनाक कहानी; पढ़िए ...

तमिलनाडु: कुछ लोग अक्सर ये दलील देते हैं कि भिखारी कभी गरीब नहीं होते बल्कि उनके पास लाखों रूपये होते हैं. जो वो लोगों से छुपा कर रखते हैं. तमिलनाडु में रहने वाले ऐसे ही एक बुजुर्ग ने चीफ मिनिस्टर रिलीफ फंड में पचास लाख रुपये दान किए हैं. और एक नई मिसाल कायम की है. दान (Donation) को कई धर्मों में सबसे बड़ा गुण माना गया है. लेकिन ऐसे बहुत कम होता है कि कोई दाम में मिले धन को ही डोनेट कर दे. कुछ ऐसा ही तमिलनाडु (Tamil Nadu) के एक भिखारी ने किया. उन्होंने मुख्यमंत्री राहत कोष (Chief Minister’s relief fund) में करीब 50 लाख रुपये का दान करके एक मिसाल कायम की है. बता दें कि 72 साल के पूलपांडियन (Poolpandian) ने सीएम रिलीफ फंड में रकम डोनेट की है. तमिलनाडु के तूतूकड़ी जिले के रहने वाले पूलपांडियन ने मई 2020 में भी सीएम राहत कोष में 10 हजार रुपये दान किया था.


पूलपांडियन का था हंसता खेलता परिवार

बताया जाता है कि कभी पूलपांडियन का एक बड़ा परिवार हुआ कता था. वो अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ रहता था. 1980 में वो मुंबई चला गया. वहां परिवार का भरण पोषण करने उसने एक छोटी से जॉब शुरू की. हालांकि, संसाधनों की कमी और खराब हालातों के कारण उनकी पत्नी सरस्वती का 24 साल पहले निधन हो गया. पत्नी को खोने के बाद पूलपांडियन ने अपने बच्चों की परवरिश की और वापस तमिलनाडु लौटने से पहले उनकी शादी कर दी. हालांकि इसके बाद दोनों बच्चों ने पूलपांडियन को सपोर्ट नहीं किया और वे उन्होंने मजबूरी में भीख मांगना पड़ा.

उनका कहना है कि मुझे भीख मांगनी पड़ी, क्योंकि मेरे बेटों ने मेरी देखभाल करने से इनकार कर दिया. पूलपांडियन फिर पैसे बचाने लगे और स्कूलों, कोविड-19 राहत कोष और मुख्यमंत्री राहत कोष में मदद के तौर पर दान करते गए. 2020 में पूलपंडियन को उनके इन नेक काम के लिए पहचाना गया और स्वतंत्रता दिवस पर कोविद -19 राहत कोष में उनके योगदान के लिए मदुरै जिला कलेक्टर से पुरस्कार भी मिला.

COVID में 90 हजार दान किए

कोविड 19 के समय मुदुरई के जिला प्रशासन की मदद से पूलपंडी ने सीएम रिलीफ फंड में 90 हजार रुपये दान किए. ये दान उन्होंने दस – दस हजार रुपये की नौ किश्तों में किया. पूलपंडी के इस जज्बे को देख जिला प्रशान ने उन्हें स्वंत्रता दिवस के मौके पर अवॉर्ड भी दिया. पूलपंडी के मुताबिक उनके बेटों ने उनका ध्यान रखने से इंकार कर दिया. जिसके बाद उन्हें भीख मांगने का काम वापस शुरू करना पड़ा.

दान का सिलसिला जारी रखते हुए पूलपंडी 21 फरवरी को नमक्कल जिले के कलेक्टर ऑफिस पहुंचे. जहां उन्होंने फिर 10 हजार रुपये सीएम रिलीफ फंड में दान किए. उन्होंने कलेक्टर के सामने वो रसीद भी पेश की, जो उन्हें 10 हजार रुपये दान करने के बाद मिली थी.

पूलपंडी कहते हैं कि उनका कोई परिवार नहीं है. वो प्रदेश के अलग अलग जिलों में जाते हैं. भीख मांग कर पैसे इकट्ठा करते हैं. जिला बदलने से पहले वो वहां के कलेक्टर ऑफिस जाकर रकम दान करते हैं. 

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