सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार बनने पर जाति आधारित जनगणना कराई जाएगी। नोएडा पहुंचे सपा प्रमुख ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जनता का ध्यान बुनियादी मुद्दों से भटकाने की लगातार कोशिश कर रही है। साथ ही दावा किया कि सपा की सरकार बनने पर तीन महीने में जातीय जनणना कराएंगे। अखिलेश ने एक तरह से योगी सरकार को इसके लिए खुली चुनौती दी है।
अखिलेश ने कहा कि हमें उनके बहकावे में नहीं आना है। वर्तमान शासन काल में महंगाई चरम पर है। बेरोजगारी की दर बढ़ती जा रही है। भ्रष्टाचार बेलगाम है। किसान, नौजवान सहित समाज का हर वर्ग परेशान है। एक सवाल के जवाब में कहा कि भाजपा 'सबका साथ, सबका विकास' का नारा देती है, लेकिन जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहती। अखिलेश ने कहा कि बिना जातिगत जनगणना के भाजपा का यह नारा अधूरा है।
अखिलेश ने कहा कि जब बिहार में जाति आधारित जनगणना हो सकती है तो उप्र में क्यों नहीं हो सकती। यदि सपा की सरकार बनी तो तीन महीने के अंदर जातीय जनगणना करवाएंगे। उन्होंने कहा कि भले ही भाजपा ने दोबारा सरकार बना ली, पर न तो उसकी राजनीतिक विश्वसनीयता रह गई है और न ही वित्तीय विश्वसनीयता रह गई है क्योंकि सरकार वादे पूरे नहीं कर पा रही है।
जातीय जनगणना के मुद्दे पर पिछड़े नेताओं के निशाने पर रहे अखिलेश
सरकार के सहयोगी दल अपना दल (एस) के नेता आशीष सिंह पटेल व निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद के अलावा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि सपा के लिए यह मुद्दा सिर्फ सिर्फ राजनीतिक है, जबकि हमारे लिए यह एक भावनात्मक मुद्दा है। तीनों नेताओं ने जातीय जनगणना कराने पर सहमति जताते हुए कहा कि सपा इस मुद्दे को सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए उठा रही है।
बता दें कि राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान बृहस्पतिवार को विधानसभा में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर जातीय जनगणना न कराने का आरोप लगाते हुए इन तीनों दलों के नेताओं से इस मुद्दे पर पूछा था कि आप लोग इसके समर्थन में हैं या नहीं। इसी कड़ी में दूसरे दिन चर्चा शुरू होने पर तीनों नेताओं ने इस मुद्दे पर अखिलेश को कठघरे में खड़ा किया।
अपना दल के नेता आशीष पटेल ने कहा कि उनके लिए यह मुद्दा नया नहीं है। उनकी पार्टी इस मुद्दे को 2012 से ही उठा रही है। उन्होंने कहा सपा सदस्यों से पूछा कि चार बार सत्ता में रहने के दौरान सपा ने कितनी बार इस मुद्दे को लेकर पहल किया है। उन्होंने यह भी मांग की कि सराकर में रहते हुए सपा ने यदि इस मुद्दे को लेकर एक बार भी लिखा-पढ़ी की हो तो वह कॉपी सदन के पटल पर रखी जाए।
जातीय जनगणना के मुद्दे पर विधानसभा में पिछड़ी जाति की राजनीति पर आधारित अपना दल, निषाद पार्टी और सुभासपा के नेताओं ने सपा को करारा जवाब दिया। तीनों दल के नेताओं ने सपा को कठघरे में खड़ा करते हुए सपा से पूछा कि चार बार सरकार बनाने वाली सपा ने सत्ता में रहते हुए जातीय जनगणना को लेकर कोई पहल क्यों नहीं की?