न तो माता-पिता जीवित हैं ना भाई, गांव की अनाथ बेटी के शादी में मदद के लिए आया पूरा गांव, 10 लाख का चढ़ावा चढ़ा, पांच घंटे लगें
फतेहाबाद। हरियाणा के फतेहाबाद के दो बेटियों की शादी की कहानी भावुक कर देनी वाली है। शादी में ननिहाल की तरफ से भात भरने की रस्म निभाने वाला कोई नहीं था, पिता की पहले ही मौत हो चुकी थी। मॉं के कंधों पर बेटियों की शादी की जिम्मेदारी थी। परिवार के सामने बड़ा सवाल यह था कि भात भरने की रस्म कौन निभाएगा। दुखी मॉं ने अपने भाई की समाधि पर ही टीका लगाकर न्यौता दे दिया। यह देखकर गांव वाले भावुक हो गए और बेटियों के भात भरने की रस्म निभाने का फैसला लिया। अचानक शादी में बेटियों के ननिहाल के गांव के 700 लोग पहुंचे और भात भरने की रस्म को पूरा किया। यह देखकर सभी के आंखों में आंसू छलक आए। भावुक कर देने वाली इस शादी की पूरे प्रदेश में चर्चा है।
नानी बाई का मायरा कथा क्या है?
राजस्थान में नानी बाई का मायरा (भात) की एक लोक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार नरसी मेहता गरीब ब्राह्मण थे। वे भगवान कृष्ण के भक्त थे। नरसी जी की बेटी नानी बाई की बेटी सुलोचना की शादी हुई तो नानी बाई के ससुराल वालों ने उसके पिता नरसी की गरीबी को लेकर ताने मारे और भात भरने के लिए नरसी जी हैसियत से अधिक गहने, कपड़े आदि सामान लाने को बोल दिया।
नरसी जी को विश्वास था कि नानी बाई के मायरा भरने में भगवान कृष्ण उसकी लाज बचाएंगे। ऐसा ही हुआ रास्ते में भगवान श्रीकृष्ण एक नगर सेठ का वेश बदलकर बैलगाड़ी लिए हुए मिले। फिर नरसी जी के साथ उनकी बेटी नानीबाई का मायरा पूरे ठाठ बाट से भरा।
इस अनोखे भात की खूब चर्चा
करीब 10 लाख रुपए का भात भरा गया। घर में प्रवेश के लिए मायके के लोग पाटड़े पर चढ़े तो घंटों तक इनकी लाइन लगी रही। ग्रामीणों का कहना कि नरसी के भात, जो कि श्रीकृष्ण ने भरा था, के बाद अब मीरा के भात की ही चर्चा है।
क्या है भात की कथा?
भात भरने के लिए, मानो जैसे भगवान श्री कृष्ण मीरा के द्वार पहुंचे गए हों.मीरा देवी भात भरने आए गांव के लोगों को टीका करने में पांच घंटे लग गए. इस भात में 10 लाख नगद राशि आई है. इसके साथ ही मीरा देवी और उसकी बेटियों और अन्य परिवार के सदस्यों के लिए कपड़े अलग से दिए गए हैं. महिलाओं की संख्या इसमें खूब रही. हरियाणा में एक पौराणिक कथा बहुत ही प्रचलित है. जिसमें बताया गया है कि नरसी भगत की बेटी हरनंदी के भात में भगवान श्रीकृष्ण पहुंचे थे.
बहन ने भाई की समाधि पर टिका कर भात का न्योता दिया पूरा गावँ पहुंचा भात भरने। अनोखी भात की हर कोई कर रहा हैं तारीफ मीरा देवी भात भरने आए पूरे गांव वालों को देखकर भावुक हो गई आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे।
क्या है भात की रस्म?
...शादी में भात भरने की एक रस्म होती है, जिसे दूल्हा या दुल्हन के ननिहाल पक्ष के लोग यानि दूल्हे या दुल्हन के मामा निभाते हैं। रस्म में मामा शादी से पहले भांजे या भांजी की थाल सजाकर पूजा करते हैं। फिर उन्हें टीका लगाकर पैसे व सामान का कुछ शगुन देते हैं। शादी की रस्में उसके बाद शुरु होती हैं।
कौन है मीरा?
फतेहाबाद के भट्टूकलां क्षेत्र के गांव जांडवाला बागड़ में महाबीर माचरा के साथ मीरा का विवाह हुआ था। उनके पिता जोराराम बेनीवाल राजस्थान के पास स्थित गांव नेठराना के रहने वाले थे। मीरा के पति महाबीर माचरा और उनके पिता का देहांत हो गया। अब घर में अकेली सिर्फ मीरा ही बची थी। यहां तक तो गनीमत थी। समय के साथ मीरा के मायके में भी कोई नहीं बचा। उनके पिता जोराराम का भी निधन हो गया। इकलौता भाई संतलाल जीवित था। पर उसकी शादी नहीं हुई थी। वह संत बन गया था। बीतते समय के साथ्ज्ञ भाई की भी मौत हो गई और गांव में उनकी एक समाधि बना दी गई थी।
मंगलवार को मीरा भातियों का इंतजार कर रही थी.गाड़ियों का बड़ा हजूम भात भरने के लिए उनके गांव पहुंच चुका था. अपने गांव के लोगों को देखकर जहां मीरा भावुक हो गईं. वही दोनों बेटियां मीनू और सोनू की आंखों में आंसू की धारा निकल गई. चारों और इस अनोखी भात को लेकर भावुक माहौल बन गया.
मीनू और सोनू मीरा की दो बेटियां हैं। मीरा ने ही उनका लालन पालन किया है और अब उनकी शादी तय कर दी थी, जो जिले के जांडवाला बागड़ गांव में हो रही थी। विवाह के दौरान भात भरने की रस्में भी निभाई जाती हैं। पर बेटियों के ननिहाल में कोई जीवित नहीं बचा था, जो भात भरने की रस्म पूरा करने आ सके तो मीरा नेठराना गांव स्थित अपने भाई की समाधि पर पहुंच गईं और टीका लगाकर भात भरने का न्यौता दिया था।