निकाय चुनाव 2023ः मेयर और अध्यक्ष की सीटों पर नए सिरे से होगा आरक्षण, पूर्व में जारी आरक्षण को शून्य माना जाएगा



 उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में होने वाले निकाय चुनाव (body elections) की सीटों का आरक्षण ट्रिपल टेस्ट (triple test) के आधार पर करने के लिए नगर निगम (Municipal council) और पालिका परिषद अधिनियम (Municipal Council Act) में संशोधन किया जाएगा। जल्द ही कैबिनेट से इस प्रस्ताव को पास कराने की तैयारी की जा रही है। इस प्रस्ताव के पास होने से मेयर और अध्यक्ष की सीटों का आरक्षण पूरी तरह से बदल जाएगा।


सूत्रों के अनुसार, हाईकोर्ट (High Court) के आदेश पर गठित UP राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग ने सभी जिलों का सर्वे करते हुए रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट को जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) को सौंपा जाएगा। इसके आधार पर पिछड़े वर्गों की हिस्सेदारी तय की जाएगी। आरक्षण करने से पहले नगर विकास विभाग आयोग की रिपोर्ट से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराएगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 31 मार्च तक का समय दिया था।

आयोग की रिपोर्ट आने के बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी और इसकी जानकारी देते हुए चुनाव कराने की अनुमति मांगेगी। सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के तुरंत बाद यूपी में निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। वहीं सरकार की भी यही चाहती है कि अप्रैल तक निकाय चुनाव करा लिए जाएं।


राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट से मांगेगी चुनाव की अनुमति

मिली जानकारी के मुताबिक, रिपोर्ट आने के बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जाएगी और इसकी जानकारी देते हुए चुनाव कराने की अनुमति मांगेगी। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2010 में ट्रिपल टेस्ट के आधार पर सीटों के आरक्षण की व्यवस्था दी थी। UP में इसके बाद वर्ष 2012 व 2017 में पुरानी व्यवस्था के आधार पर निकाय चुनाव हुए थे। इसलिए इन दोनों आरक्षण दरों को शून्य मान लिया जाएगा। वहीं, 2023 के चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश पर पिछड़ों के लिए हिस्सेदारी तय करते हुए सीटों का आरक्षण होगा।  

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