इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एडवोकेट विभू राय की याचिका पर सुनवाई करते हुए संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है।
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में अपनी मांगों को लेकर बिजली विभाग के कर्मचारी आरपार की लड़ाई के मूड में नजर आ रहे हैं. वे 72 घंटे की सांकेतिक हड़ताल पर चले गए हैं और जिलों में अलग-अलग जगहों पर इकट्ठे होकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वाराणसी के भिखारीपुर इलाके में भी बिजली कर्मचारियों ने एकत्रित होकर सरकार को सद्बुद्धि की कामना के लिए यज्ञ किया. उनकी मांग है कि सरकार ने उनसे कुछ दिनों पहले जिन 14 मांगों पर समझौता किया था उन्हें लागू किया जाए. इन कर्मचारियों की हड़ताल कल से जारी है.
यूपी बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। यूपी के बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए संघर्ष समिति के अध्यक्ष सहित कई पदाधिकारियों व कर्मचारी नेताओं के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। कोर्ट ने सरकार को प्रदेशभर में जहां भी बिजली आपूर्ति गड़बड़ है, वहां तत्काल व्यवस्था बहाल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सोमवार को हड़ताली कर्मचारी नेताओं और विभाग के अधिकारियों की सोमवार को तलब किया है।
साथ ही योगी आदित्यनाथ सरकार को भी दिशा निर्देश जारी किए हैं। कहा कि प्रदेश में जहां-जहां गड़बड़ी है, वहां तत्काल व्यवस्था बहाल की जाए। कोर्ट ने 20 मार्च को हड़ताली कर्मचारी नेताओं और विभाग के अधिकारियों को तलब किया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने अधिवक्ता विभू राय की अर्जी पर दिया है। एडवोकेट विभू राय ने शुक्रवार सुबह खंडपीठ के समक्ष बिजली कर्मचारियों की प्रदेशव्यापी हड़ताल का मुद्दा उठाते हुए कहा कि गत वर्ष हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को अवैध करार देते हुए हड़ताल समाप्त करने का आदेश दिया था।
इसके बाद भी यह हड़ताल की गई है, जो कोर्ट के आदेश की स्पष्ट अवमानना है। इस पर कोर्ट ने बिजलीकर्मियों की हड़ताल को अवमाननाजनक मानते हुए संघर्ष समिति के अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों को जमानती वारंट जारी करते हुए सोमवार को सुबह दस बजे तलब किया है। साथ ही राज्य सरकार से प्रदेश में आपूर्ति बाधित न होने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है।
यूपी में बिजली कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आरपार की लड़ाई के मूड में, हड़ताल जारी
गौरतलब है कि बिजली कंपनियों में चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक के चयन और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर उत्तर प्रदेश के विद्युत कर्मी गुरुवार को रात 10 बजे से तीन दिन की हड़ताल पर चले गए हैं. राज्य सरकार ने हड़ताल पर कड़ा रुख अपनाते हुए काम पर नहीं आने वाले संविदा विद्युत कर्मियों को बर्खास्त करने और प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ होने पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी है.
हड़ताल का आह्वान करने वाली विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक दुबे ने गुरुवार को बताया था कि प्रदेश के करीब एक लाख विद्युत कर्मी गुरुवार को रात 10 बजे से तीन दिन की हड़ताल पर चले गए हैं. उन्होंने कहा था, “अनपरा, ओबरा, पारीछा और हरदुआगंज विद्युत संयंत्रों में गुरुवार की रात्रि पाली के सभी कर्मचारी, कनिष्ठ अभियंता और अभियंता हड़ताल पर चले गए हैं. ताप बिजलीघरों में रात्रि पाली में पूर्ण हड़ताल हो गई है.”
यूपी में 23 साल बाद बिजली कर्मियों की पूर्ण हड़ताल
दुबे ने कहा था कि प्रदेश में करीब 23 साल बाद बिजली कर्मियों की पूर्ण हड़ताल हो रही है. उन्होंने कहा था, “तीन दिसंबर 2022 को प्रदेश सरकार और बिजली कर्मियों के बीच समझौता हुआ था. सरकार की तरफ से ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने समझौते के बिंदुओं को लागू करने के लिए 15 दिन का समय मांगा था. हालांकि, अब तीन महीने से ज्यादा वक्त गुजर चुका है, लेकिन समझौते पर अमल नहीं हुआ है.”
दुबे ने दावा किया कि सरकार ने समझौते में कहा था कि बिजली कंपनियों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का चयन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति के जरिए ही किया जाएगा, लेकिन इस व्यवस्था को बंद करके अब इन पदों पर स्थानांतरण के माध्यम से तैनाती की जा रही है, जो टकराव का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है.