Bombay High Court: 'बिना यौन मंशा के नाबालिग लड़की की पीठ और सिर पर हाथ फेरना मर्यादा का अपमान नहीं', दोषी की सजा रद्द



मामला 2012 का है जब 18 साल के दोषी पर 12 साल की एक लड़की की शील भंग करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। पीड़िता के मुताबिक, आरोपी ने उसकी पीठ और सिर पर हाथ फेरकर कमेंट किया था कि वह बड़ी हो गई है।

Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने कहा कि नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना कोई 'यौन मंशा' का संकेत नहीं देता है। कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी को अग्रिम जमानत भी दे दी है। बता दें कि पीड़िता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि शख्स ने उसका हाथ पकड़ा और उससे छेड़छाड़ की थी।

2012 को दर्ज किया गया मुकदमा 

मामला 2012 का है जब 18 साल के दोषी पर 12 साल की एक लड़की की शील भंग करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। पीड़िता के मुताबिक, आरोपी ने उसकी पीठ और सिर पर हाथ फेरकर कमेंट किया था कि वह बड़ी हो गई है। न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने सजा को रद्द करते हुए कहा कि दोषी की ओर से कोई यौन मंशा नहीं थी और उसके कथन से संकेत मिलता है कि उसने पीड़िता को एक बच्चे के रूप में देखा था। सबसे महत्वपूर्ण महिला की लज्जा भंग करने का इरादा रखना। 

न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने 10 फरवरी को आरोपी ऑटोरिक्शा चालक की गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका मंजूर कर ली है। विस्तृत आदेश 13 फरवरी को उपलब्ध कराया गया है। 12 वर्षीय पीड़िता के पिता ने आरोपी के खिलाफ यवतमाल के एक पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने आरोपी ऑटोरिक्शा चालक पर छेड़छाड़ के लिए भारतीय दंड संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था।


पीड़िता का करता था पीछा

शिकायतकर्ता के अनुसार, कॉलेज और ट्यूशन जाने के लिए उसकी बेटी ने कुछ समय के लिए आरोपी के ऑटोरिक्शा से आना-जाना किया था। लेकिन जब उसने उसके ऑटोरिक्शा से जाना बंद कर दिया, तो आरोपी ने इसका कड़ा विरोध किया और पीड़िता का पीछा करना शुरू कर दिया।

शिकायत में कहा गया है कि 1 नवंबर, 2022 को आरोपी ने मोटरसाइकिल पर बैठने के लिए पीड़िता को कहा लेकिन जब लड़की ने मना कर दिया तो आरोपी ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे प्रपोज भी किया। शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि आरोपी उसे घर छोड़ना चाहता था, लेकिन लड़की ने इसका विरोध किया और मौके से भाग गई।

अभियोजन पक्ष मर्यादा भंग करने का सबूत नहीं कर सका पेश

बंबई हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष कोई भी इस तरह के सबूत पेश करने में विफल रहा कि अपीलकर्ता की ओर से लड़की की मर्यादा भंग करने की मंशा थी। पीठ ने कहा कि आरोपी के बयान से निश्चित रूप से संकेत मिलता है कि उसने उसे एक बच्चे के रूप में देखा था और इसलिए, उसने कहा कि वह बड़ी हो गई है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 15 मार्च, 2012 को अपीलकर्ता जो तब 18 साल की थी, पीड़िता के घर गई थी। फिर उसने उसकी पीठ और सिर को छुआ और कहा कि वह बड़ी हो गई है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, लड़की असहज हो गई और मदद के लिए चिल्लाई।

यौन इरादे से नहीं पकड़ा हाथ

अदालत ने अपने आदेश में कहा, 'लगाए गए आरोपों से, यह देखा जा सकता है कि, ये कोई यौन उत्पीड़न का कोई मामला नहीं है क्योंकि आवेदक ने किसी यौन इरादे से उसका हाथ नहीं पकड़ा था।


अदालत ने कहा कि आरोपी ने केवल अपनी पसंद व्यक्त की और लड़की के बयान से ये कोई यौन इरादा नहीं लगता है। इसलिए प्रथम दृष्टया, आरोपी गिरफ्तारी से सुरक्षा का हकदार है। अदालत ने आरोपी को चेतावनी दी कि वह ऐसा दोबारा नहीं करेगा और अगर उसने ऐसा किया तो उसे दी गई सुरक्षा वापस ले ली जाएगी।

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