Cow Slaughter: नर्क में सड़ता है गाय की हत्या करने वाला , इलाहाबाद हाईकोर्ट

 


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पर आगे कहा कि सभी धर्मों का सम्मान करना महत्वपूर्ण है। क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्मों समेत सभी उन धर्मों का सम्मान करना चाहिए जो गाय को दैवीय मानते हैं।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने गोहत्या को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। बेंच ने हिंदू धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा है कि गाय की हत्या करने वाला व्यक्ति नरक में सड़ता है। पीठ ने केंद्र सरकार से गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने और इसे संरक्षित पशु घोषित करने के लिए राष्ट्रव्यापी कानून बनाने के लिए भी कहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शमीन अहमद ने एक मवेशी की हत्या के आरोपी व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हिंदू धर्म सहित सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए, उन्होंने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। जो मानता है कि गाय की रक्षा और सम्मान किया जाना चाहिए, क्योंकि यह दैवीय और प्राकृतिक भलाई का प्रतिनिधित्व करती है।



कोर्ट ने कहा कि पुराणों में यह भी कहा गया है कि ब्रह्मा ने पुजारियों और गायों को एक ही समय में जीवन दिया था ताकि पुजारी धार्मिक ग्रंथों का पाठ कर सकें और गाय अनुष्ठानों में प्रसाद के रूप में घी दे सकें। कोर्ट ने कई मान्यताओं का भी जिक्र किया। इसमें कहा गया कि गाय लोगों को दूध देकर उन्हें जीवन देती है। वह एक सरोगेट मां की भूमिका भी निभाती है। इसलिए उसे मां के रूप में पूजा जाता है।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाय के महत्व को बताते हुए कहा कि गाय से पंचगव्य प्राप्त होता है। यानी पांच उत्पाद जैसे दूध, मक्खन, घी, दही, मूत्र और गोबर। उन्होंने कहा कि गाय के चार पैर चार वेदों के प्रतीक हैं। गाय का चेहरा सूर्य और चंद्रमा का प्रतीक है। गाय का कंधान अग्नि की प्रतीक है और गाय का सींग देवताओं का प्रतीक है।


आदेश पारित करते हुए न्यायमूर्ति अहमद ने कहा गाय विभिन्न देवी-देवताओं से भी जुड़ी हुई है. खास तौर से भगवान शिव (जिनकी सवारी है, नंदी), भगवान इन्द्र (कामधेनु गाय से जुड़े हैं) भगवान कृष्ण (जो बाल काल में गाय चराते थे) और सामान्य देवी-देवता। उन्होंने कहा, ‘‘किंवदंतियों के अनुसार, वह (गाय) समुन्द्रमंथन के दौरान दूध के सागर से प्रकट हुई थी। उसे सप्त ऋषियों को दिया गया और बाद में वह महर्षि वशिष्ठ के पास पहुंचीं।’’ न्यायमूर्ति ने आगे कहा, ‘‘उसके (गाय) पैर चार वेदों के प्रतीक हैं, उसके दूध का स्रोत चार पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) है, उसके सींग देवताओं का प्रतीक हैं, उसका चेहरा सूर्य और चंद्रमा और उसके कंधे अग्नि या अग्नि के देवता हैं। गाय को अन्य रूपों में भी वर्णित किया गया है, जैसे नंदा, सुनंदा, सुरभि, सुशीला और सुमना। 

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