बता दें कि मगावा को ट्रेनिंग दी गई थी कि वह बारूदी सुरंग का पता लगा सके. वह बारूद को सूंघकर अपने हैंडलर यानी उसकी देखभाल करने वाले को अलर्ट कर देता था. जानकारी के मुताबिक, बहादुर चूहे मगावा ने अपने करियर में 71 लैंडमाइन्स का पता लगाया और इसके अलावा 38 जिंदा बमों की जानकारी अपने हैंडलर को दी. मगावा का करियर 5 साल का था और उसने इस दौरान बहुत सारे लोगों के जीवन को बचाया.
Magawa Famous Mine Mouse: आठ साल के बहादुर चूहे मागवा (Magawa) का निधन हो गया है। यह अफ्रीकी नस्ल का चूहा दुनियाभर में एक 'हीरो' के रूप में मशहूर था। हजारों लोगों की जान बचाने के लिए मागवा को गोल्ड मेडल से भी सम्मानित किया था। उसकी बहादुरी जानकर बहुत से लोग हैरान रह जाते हैं। दरअसल, मगावा ने अपने 5 साल के बम स्निफिंग करियर में हजारों लोगों की जिंदगी बचाई थी। जी हां, उसने दक्षिण पूर्व एशियाई देश कम्बोडिया में बारूदी सुरंगों का पता लगाने का काम बड़ी जिम्मेदारी के साथ किया था।
मगावा को इस तरह से ट्रेनिंग दी गई थी कि वह बारूद को सूंघकर वक्त रहते अपने हैंडलर (चूहे की देखभाल करने वाला) को अलर्ट कर सके। उसने ड्यूटी के दौरान 71 लैंडमाइन्स और 38 जिंदा विस्फोटों का पता लगाकर हजारों लोगों की जान बचाई थी। मगावा की हैंडलर ने उसकी रिटायरमेंट पर कहा था कि उसने अपनी सर्विस में शानदार काम किया। भले ही वो छोटा था लेकिन मुझे उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने पर गर्व है।'मगावा को उसके काम के लिए ‘ब्रिटिश चैरिटी’ द्वारा मेडल से सम्मानित किया गया था। दरअसल, ‘ब्रिटिश चैरिटी’ का जानवरों के लिए शीर्ष पुरस्कार... जो अब तक खासतौर पर कुत्तों के लिए आरक्षित था, वह मगावा अपने नाम किया था। बता दें, जब मगावा को साल 2016 में कम्बोडिया लाया गया था तो वह सिर्फ 2 साल का था।
बता दें, बेल्जियम की गैर लाभकारी संस्था एपीओपीओ ने मगावा को ट्रेनिंग दी थी। यह संगठन चूहों को बारूदी सुरंगों और अस्पष्टीकृत विस्फोटों का पता लगाने का परिक्षण देता है। अपने करियर में मगावा ने 1.4 लाख स्क्वायर मीटर से अधिक की जमीन की पड़ताल की थी, जो कि करीब 20 फुटबॉल मैदानों के बराबर है।
कैसे हुई उसकी मौत...
अपोपो ने अपने बयान में कहा कि पिछले साल नवबर में ही मगावा ने अपना 8वां जन्मदिन मनाया था और वह अपने जीवन का अंतिम सप्ताह सामान्य रूप से गुजार रहा था, लेकिन वहशांतिपूर्ण रूप से मरने से पहले वह थोड़ा धीमा हो गया था, सोने ज्यादा लगा था और खाने में उसकी दिलचस्पी कम होने लगी थी.
खतरनाक लैंडमाइन का इलाका
दक्षिणपूर्वी एशिया में स्थित कंबोडिया दुनिया के सबसे खतरनाक लैंडमाइन इलाकों के लिए जाना जाता है. यह विस्फोटक वियतनाम युद्ध और बीसवीं सदी के खूनी गृह युद्ध के दौरान बिछाई गई थीं. लेकिन तबसे इन्हें हटाया नहीं जा सका था और युद्ध खत्म होने के बाद भी कई लोगों की जाने जाती रहती थीं.
कैसे लगाया बारूदी सुरंगों का पता
चूहों को सिखाया जाता है कि विस्फोटकों में कैसे रासायनिक तत्वों को पता लगाना है और बेकार पड़ी धातु को अनदेखा करना है। इसका मतलब है कि वे जल्दी से बारूदी सुरंगों का पता लगा सकते हैं। एक बार उन्हें विस्फोटक मिल जाए तो फिर वे अपने इंसानी साथियों को उसके बारे में सचेत करते हैं। उनकी इस ट्रेनिंग में एक साल का समय लगता है। बारूदी सुरंग हटाने के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठन हालो ट्रस्ट का कहना है कि इन बारूंदी सुरंगों के कारण 1979 से अब तक 64 हजार लोग मारे जा चुके हैं जबकि 25 हजार से ज्यादा अपंग हुए हैं।
वजन मात्र 1.2 किलो, लंबाई 70 सेंटीमीटर
मागावा का वजन सिर्फ 1.2 किलो है और वह 70 सेंटीमीटर लंबा है। इसका मतलब है कि उसमें इतना वजन नहीं है कि वह बारूदी सुरंगों के ऊपर से गुजरे तो वे फट जाए। वह आधे घंटे में टेनिस कोर्ट के बराबर जगह की तलाशी ले सकता है। इंसानों को इतने बड़े इलाके को मेटल डिटेक्टरों के सहारे साफ करने के लिए चार दिन चाहिए।