जौनपुर जिले के माधोपट्टी को कहते हैं अधिकारियों का गांव
साल 1952 में गांव के डॉ इंदुप्रकाश बने थे पहले आईएएस
देशभर में बड़े पदों पर तैनात हैं इस गांव के लोग
आमतौर पर लोगों में ये धारणा है कि देश को सबसे ज्यादा आईएएस और आईपीएस ऑफिसर बिहार और उत्तर प्रदेश राज्यों ने दिए हैं. इन दोनों राज्यों के छात्र काफी मेहनती और होनहार कहे जाते हैं. आज आपको यूपी के ऐसे ही एक गांव के बारे में बता रहे हैं, जिसमें मात्र 75 घर हैं. लेकिन गांव ने देश को 47 आईएएस और आईपीएस ऑफिसर दिए हैं.
पीएमओ और सीएम ऑफिस में कार्यरत हैं यहां के अधिकारी
यह छोटा सा गांव है उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले का माधोपट्टी. इस गांव की खासियत ये है कि इस गांव ने देश को अब तक 47 आईएएस आईपीएस ऑफिसर दिए हैं. ये सभी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के कार्यालयों में कार्यरत हैं. ये गांव मीडिया के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है. कई सालों से न्यूज चैनल और अखबार वाले इस गांव में आते-जाते रहते हैं. इतनी बड़ी खासियत होने के बावजूद भी ये गांव आज भी सरकार की नजरों से परे है. अभी तक इस गांव की तरफ किसी की नजरें नहीं गई हैं.
एक ही परिवार के चार भाइयों ने पास की आईएएस परीक्षा
दरअसल, यहां 1952 में इंदू प्रकाश सिंह का आईएएस की दूसरी रैंक में सेलेक्शन क्या हुआ, मानो यहां के युवाओं में खुद को साबित करने की होड़ लग गई. आईएएस बनने के बाद इंदू प्रकाश सिंह फ्रांस सहित दुनिया के कई देशों में भारत के राजदूत रहे. इस गांव के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज है. एक ही परिवार के चार भाइयों ने आईएएस की परीक्षा पास कर नया रिकॉर्ड कायम किया था.
1955 में बड़े भाई विनय ने सिविल सर्विस की परीक्षा पास की. अन्य दूसरे भाई छत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह ने 1964 में ये परीक्षा पास की. इसके बाद इन्हीं के छोटे भाई शशिकांत सिंह ने 1968 में ये परीक्षा पास कर कीर्तिमान स्थापित किया.
गांव के एक टीचर कार्तिकेय सिंह का कहना है कि इसका अधिकतर श्रेय जौनपुर जिले के तिलक धारी सिंह पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज को जाता है. क्योंकि यहां के छात्र कॉलेज के समय से ही सिविल सर्विस की परीक्षा की तैयारी शुरू कर देते हैं. बेसिक तैयारी छात्र कॉलेज के समय से ही शुरू कर देते हैं. इसके बाद वे परीक्षा में पूरी तैयारी के साथ बैठते हैं.
पीसीएस अधिकारियों की पूरी फौज निकली है इस गांव से
ऐसा हीं है कि केवल यहां से आईएएस अधिकारी ही निकले हैं, पीसीएस अधिकारियों की पूरी फौज इस गांव से निकली है. इस गांव के राममूर्ति सिंह, विद्याप्रकाश सिंह, प्रेमचंद्र सिंह, पीसीएस महेंद्र प्रताप सिंह, जय सिंह, प्रवीण सिंह और उनकी पत्नी पारुस सिंह, रीतू सिंह, अशोक कुमार प्रजापति, प्रकाश सिंह, संजीव सिंह, आनंद सिंह, विशाल सिंह और उनके भाई विकास सिंह, वेदप्रकाश सिंह, नीरज सिंह पीसीएस अधिकारी बन चुके थे.
2013 की परीक्षा के रिजल्ट में इस गांव की बहू शिवानी सिंह ने पीसीएस परीक्षा पास करके इस कारवां को और आगे बढ़ाया है. ऐसा नहीं है कि इस गांव के लोग किसी अन्य क्षेत्र में कार्यरत न हों. इस गांव के अन्मजेय सिंह विश्व बैंक मनीला में, डॉक्टर नीरू सिंह, लालेंद्र प्रताप सिंह वैज्ञानिक के रूप में भाभा इंस्टीट्यूट तो ज्ञानू मिश्रा इसरो में सेवाएं दे रहे हैं.