Mafia Atiq Ahmed: कैसे तांगेवाले का लड़का बना पूर्वांचल में खौफ का दूसरा नाम, जानिए माफिया अतीक अहमद के जुर्म की पूरी कहानी...

 


Mafia Atiq Ahmed Story: बाहुबली नेता और माफिया अतीक अहमद एकबार फिर से चर्चाओं में है। पांच बार का विधायक और सांसद अतीक की 1600 करोड़ से अधिक की संपत्ति पर कार्रवाई भी हो चुकी है। पिछले 15 सालों से वह एक भी चुनाव नहीं जीत पाया है। लेकिन शुक्रवार शाम प्रयागराज में हुई घटना ने साबित कर दिया है कि उसे यूं ही पूर्वांचल में खौफ का दूसरा नाम नहीं कहा जाता था।

एक समय यूपी के पूर्वांचल में बाहुबली माफिया अतीक अहमद का जबरदस्त खौफ था. हाल ही में प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड मामले के बाद से अतीक एक बार फिर से चर्चा में है. अतीक अमहद पर योगी सरकार कठोर कार्रवाई में जुट गई है. गुजरात की साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद ने ही उमेश पाल की हत्या की पूरी योजना बनाई थी और हत्या का मुख्य आरोपी है. इसकी पूछताछ के लिए अतीक को यूपी लाने की भी तैयारी हो रही है. अतीक के एनकाउंटर का डर भी उसके परिवार को सता रहा है. 100 से अधिक दर्ज मुकदमों वाला अपराधी इन दिनों खौफ में जी रहा है. पिछले 6 सालों से जेल में बंद अतीक ने एक जमाने में अपने माफिया गुरु चांद बाबा को मौत के घाट उतार दिया था. 

आइये जानते हैं अतीक के अपराध की पूरी कहानी...

साल 1979 में इलाहाबाद (प्रयागराज) के चकिया में रहने वाला अतीक हाईस्कूल में फेल हुआ था. 17 वर्षीय अतीक के पिता फिरोज अहमद तांगा चलाकर परिवार का भरण पोषण करते थे. इस दौरान बदमाशों की संगत में पड़े अतीक पर जल्दी अमीर बनने की सनक सवार हो गई. जिसके बाद वह लूट, किडनैपिंग और रंगदारी वसूलने जैसी वारदातों को अंजाम देने लगा.

नाबालिग था और दर्ज हो गया हत्या का मुकदमा

 साल 1979 में अतीक अहमद पर सबसे पहला मुकदमा हत्या का दर्ज हुआ था. इसके बाद से अतीक के खिलाफ लगभग 100 से अधिक केस दर्ज हैं, इनमें हत्या, हत्या का प्रयास, किडनैपिंग, रंगदारी जैसे संगीन अपराध शामिल हैं. साल 1989 में इलाहाबाद के शौक इलाही उर्फ चांद बाबा की हत्या, नस्सन की 2002 में हत्या, 2004 में बीजेपी नेता अशरफ की हत्या और 2005 में बसपा पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या का आरोप भी लगा.

दिनदहाड़े चांद बाबा की प्रयागराज में हत्या...

इलाहाबाद (प्रयागराज) के पुराने शहर में माफिया शौक इलाही उर्फ चांद बाबा का दबदबा हुआ करता था. पुलिस से लेकर राजनेता तक चांद बाबा से खौफ खाते थे. इसी बीच अतीक अहमद को दोनों का साथ मिला और देखते ही देखते 7 सालों में चांद बाबा से भी ज्यादा खतरनाक अतीक हो गया था. एक समय अतीक को पुलिस ने संरक्षण दे रखा था, लेकिन बाद में वही पुलिस की आंखों में खटकने लगा था. साल 1986 में पुलिस ने अतीक को गिरफ्तार किया था. लेकिन, अपनी ऊपर की पहुंच के चलते अतीक जेल से बाहर हो गया था. तब तक अपराध की दुनिया में अतीक का बड़ा नाम हो चुका था.

निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता..

माफिया अतीक अहमद का खौफ इलाके में इस कदर छा गया था कि चुनाव में उसके खिलाफ खड़े होने की किसी में हिम्मत तक नहीं होती थी। इलाहाबाद पश्चिम की सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए नामांकन करने का मतलब हो गया था एक तरह से डेथ वारंट पर साइन करना। उन दिनों राजनीतिक दलों को अतीक के खिलाफ उम्मीदवार नहीं मिलते थे। अतीक ने साल 1991 और 1993 में इस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता।

यूपी की राजनीति में कांग्रेस के पतन के बाद समाजवादी पार्टी का उभार हुआ और अतीक अहमद ने भी अपना पाला बदला। अतीक सपा के करीब हो लिए। मायावती के साथ 1995 में लखनऊ में हुए चर्चित गेस्ट हाउस कांड में भी उसका नाम आता है। अगले साल यानी 1996 में वह सपा के टिकट पर इलाहाबाद पश्चिम से विधायक बना। 2002 में वह पांचवी बार यहां से विधायक बना। हालांकि, इस बार उसने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। लेकिन 2003 में यूपी में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद वह फिर से सपा में शामिल हो गया। मुलायम ने उसे पुरस्कृत करते हुए अगले साल यानी 2004 के आम चुनाव में फूलपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया और अतीक जीतकर पहली बार संसद पहुंचा।

साल 1989 में राजनीति में उतरते ही अतीक ने इलाहबाद की पश्चिमी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया और उसका मुकाबला चांद बाबा से होता है. अपनी दहशत की वजह से अतीक ने चुनाव जीता. इसके कुछ ही महीनों के बाद फिल्मी स्टाइल में दिनदहाड़े चांद बाबा की हत्या बीच चौराहे पर कर दी गई. चांद बाबा हत्याकांड में अतीक अहमद का नाम सामने आया. इसके बाद से पूरे पूर्वांचल में अतीक के नाम का डंका बजने लगा था. अतीक का खौफ इतना ज्यादा बढ़ गया कि इलाहाबाद की शहर पश्चिमी सीट से कोई नेता चुनाव लड़ने को तैयार नहीं होता था. पार्टियों के टिकट देने के बावजूद नेता उसे वापस कर दिया करते थे.

अतीक के पतन की हुई शुरूआत


साल 2007 के विधानसभा चुनाव में मायावती की अगुवाई वाली बसपा ने प्रचंड जनादेश हासिल किया था। सपा शासनकाल में गुंडई, अपराधी एवं माफिया तत्वों से त्रस्त जनता ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर बहुजन समाज पार्टी को वोट किया था। मायावती ने सत्ता संभालते ही अतीक अहमद और राजा भैया सरीखे बाबुबलियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। तत्कालीन सांसद अतीक अहमद पर एक दिन में 100 मुकदमे कायम किए गए। सपा ने भी तब बड़ी कार्रवाई करते हुए अतीक को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।


अतीक अब पुलिस बचने के लिए भागा-भागा फिर रहा था। उसपर यूपी पुलिस ने 20 हजार रूपये का इनाम कर मोस्टवाटंड घोषित कर दिया। अतीक की करोड़ों की संपत्ति सीज की गई। उसके कई इमारतों पर बुलडोजर चलाया गया। यूपी पुलिस ने उसके गैंग का पूरा चार्टर तैयार कर रखा था, जिसका नाम आईएस (इंटर स्टेट) 227 रखा गया। बताया जाता है कि उस दौरान अतीक के गैंग में 120 सदस्य थे। सांसद होने के बावजूद मायावती ने अपने शासनकाल में उसका जीना मुश्किल कर दिया था।

यूपी में योगी सरकार के आने के बाद से अतीक अहमद की 1600 करोड़ रुपये से ज्यादा की गैर कानूनी संपत्तियों पर कार्रवाई की जा चुकी है. इसके अलावा, अतीक का माफिया नेटवर्क भी काफी हद तक टूट चुका है. वहीं, हत्या के मामले में अतीक का भाई अशरफ भी जेल में बंद है. अतीक के चार बेटों में से एक बेटा जेल में बंद है.


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