UP Shikshak Bharti : 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में बड़ा फैसला, हाईकोर्ट ने दोबारा लिस्ट बनाने का दिया आदेश; सब कैटेगरी सहित OBC-SC वर्ग का पूरा 27% एवं 21% आरक्षण दिखाए


69,000 सहायक शिक्षक भर्ती मामला: लखनऊ हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने सहायक शिक्षक भर्ती की लिस्ट को माना गलत, पूरी लिस्ट दोबारा बनाए जाने का दिया आदेश। 

-अदालत ने कहा: सरकार लिस्ट में अभ्यर्थियों के गुणांक, कैटेगरी, सब कैटेगरी सहित OBC-SC वर्ग का पूरा 27% एवं 21% आरक्षण दिखाए। 

-19 हजार से अधिक सीटों के सापेक्ष सरकार ने 5 जनवरी 2022 को 6,800 सीटों की लिस्ट निकाली थी जिसको हाई कोर्ट ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। 

-हाई कोर्ट ने सरकार को 3 महीने में पूरी लिस्ट सही करने के दिए निर्देश। 

लखनऊ हाई कोर्ट ने 69000 सहायक शिक्षक भर्ती की मौजूदा लिस्ट को गलत माना है. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार लिस्ट में अभ्यर्थियों के गुणांक, कैटिगरी, सबकैटिगरी सहित ओबीसी -एससी (OBC_SC) वर्ग का पूरा 27% एवं 21%आरक्षण दिखाए. आरक्षण घोटाले का आरोप लगाकर अभ्यर्थी 3 साल से धरना प्रदर्शन कर रहे थे. शिक्षक भर्ती में 19000 से अधिक सीटों पर आरक्षण घोटाला होने की बात कही गई है.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 19 हजार से अधिक आरक्षण के सापेक्ष सरकार ने 6800 सीटों पर आरक्षण किया था. यह भी कहा गया कि 5 जनवरी 2022 को घोटाला स्वीकार कर 6800 की एक लिस्ट निकाली गई थी. 19, 000 से अधिक आरक्षण घोटाले के सापेक्ष 6800 सीट पर आरक्षण में गड़बड़ स्वीकार करने की लिस्ट को हाईकोर्ट ने पूरी तरह से खारिज किया. हाई कोर्ट ने सरकार को 3 महीने में पूरी लिस्ट सही करने के निर्देश दिए. आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों की बात को हाईकोर्ट ने सही माना. लखनऊ हाई कोर्ट ने माना कि भर्ती में आरक्षण का घोटाला हुआ. 8 दिसंबर 2022 को लखनऊ हाई कोर्ट ने आरक्षण घोटाले पर आर्डर रिजर्व किया था.

इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस राजन रॉय ने साफ शब्दों में कहा कि वर्ष 2018 में विज्ञापित 69 हजार रिक्तियों के अतिरिक्त बगैर विज्ञापन के एक भी नियुक्ति नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि 1 दिसंबर 2018 को विज्ञापित पद से अधिक नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए. कोर्ट ने नियुक्ति पर अंतरिम रोक लगाते हुए साफ कहा कि यह स्थिति सरकार ने पैदा की है लिहाजा अब सरकार तय करें कि 6800 अभ्यर्थियों के बारे में क्या करना है. 

हाईकोर्ट का यह निर्णय योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, जो शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रही थी. उधर, सहायक शिक्षक पदों पर भर्ती से वंचित छात्र भी इसको लेकर कई बार लखनऊ और अन्य जगहों पर प्रदर्शन कर चुके हैं. छात्रों की ओर से यह मामला कोर्ट में ले जाया गया था, जिस पर आज उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया है. 


क्या है पूरा मामला?

उत्तर प्रदेश सरकार ने 1 दिसंबर 2018 को 69000 सहायक शिक्षक भर्ती के पद का विज्ञापन निकाला था. विज्ञापन के आधार पर चयन प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई. लेकिन इस भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने लखनऊ में आंदोलन शुरू कर दिया. अभ्यर्थियों ने दावा किया कि आरक्षण लागू करने में धांधली की गई है. इस भर्ती के लिए अनारक्षित की कटऑफ 67.11 फीसदी और ओबीसी की कटऑफ 66.73 फीसदी थी.

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