हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह को यूपी के सोनभद्र पुलिस ने पकड़ा है। पुलिस ने इस गिरोह के मास्टरमाइंड यशवंत नाम के शख्स को भी गिरफ्तार किया है।वह स्वास्थ्य विभाग में जन्म और मृत्यु आंकड़ा अनुभाग में स्टेट कोआर्डिनेटर है। उसकी तैनाती संविदा कर्मचारी के रूप में है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ऑपरेशन) त्रिभुवन नाथ त्रिपाठी ने बताया कि सीएमओ कार्यालय लखनऊ के जन्म-मृत्यु डेटा असिस्टेंट मनोज कुमार ने पुलिस को शिकायत दी थी। इस बाबत पन्नूगंज थाने में केस भी दर्ज किया गया था।
आरोपियों की पहचान प्रशांत मौर्य, मोनू शर्मा उर्फ शिवानंद शर्मा, अंसार अहमद, मोहम्मद कैफ अंसारी और यशवंत नाम के रूप में हुई है। सोनभद्र पुलिस ने उनके कब्जे से चार लैपटॉप और सात मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं।
जन्म-मृत्यु डेटा असिस्टेंट मनोज कुमार ने पुलिस को शिकायत दी थी। इस बाबत पन्नूगंज थाने में केस भी दर्ज किया गया था।
अपर पुलिस अधीक्षक त्रिभुवन नाथ त्रिपाठी ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के जन्म मृत्यु संबंधी डाटा प्रोसेसिंग असिस्टेंट मनोज कुमार ने विगत 10 फ़रवरी को सूचना दी कि मनोहर लाल पुत्र हरवंश लाल के नाम से दिनांक दो फरवरी 2023 को पंजीकरण संख्या डी/2023.60339-000021 पर जारी मृत्यु प्रमाण पत्र पूर्णतः फर्जी है। त्रिपाठी ने बताया कि इस सूचना के आधार पर पन्नूगंज थाने में मुक़दमा दर्ज कर कार्यवाही शुरू की गई।
पकड़े गए आजमगढ़ जिले के शहर कोतवाली क्षेत्र के हरैया निवासी प्रशांत मौर्या पुत्र रामरतन मौर्या, मोनू शर्मा उर्फ शिवानंद शर्मा पुत्र उग्रनाथ शर्मा निवासी हरैया, पोस्ट भवरनाथ, थाना कोतवाली शहर, आजमगढ़, अंसार अहमद पुत्र स्व. कमरूद्दीन अंसारी निवासी मेहनगर बाजार, आजमगढ़, मो. कैफ अंसारी पुत्र अली हुसैन निवासी ग्राम गौरा, थाना मेहनगर, जनपद आजमगढ़ और यशवंत पुत्र बदन सिंह निवासी रिवाडी, थाना सकिट, जनपद एटा (जन्म मृत्यु आंकड़ा अनुभाग में स्टेट कोऑर्डिनेटर के पद पर संविदा कर्मी) ने फर्जी प्रमाण पत्र जारी होने की बात स्वीकार की।
आरोपियों के पास से घटना में प्रयुक्त 04 लैपटाप और 07 मोबाइल फोन बरामद हुआ है। आरोपियों को पकड़ने में दारोगा संजीव कुमार राय, मुख्य आरक्षी जगदीश मौर्या, मुख्य आरक्षी अतुल सिंह, मुख्य आरक्षी सौरभ कुमार राय, मुख्य आरक्षी प्रकाश सिंह, आरक्षी अमित सिंह, आरक्षी रितेश सिंह पटेल, आरक्षी अजीत यादव का अहम योगदान रहा।
ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा
दरअसल, यशवंत लखनऊ में स्वास्थ्य भवन के जन्म और मृत्यु सांख्यिकी अनुभाग में राज्य समन्वयक के रूप में काम करता है। वह सीआरएस पोर्टल की आईडी और पासवर्ड देता था। उसने फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए आरोपियों को भी पासवर्ड दिया।
जिसके बाद इनके मोबाइल नंबर को उस आईडी पर रजिस्टर्ड कर दिया। इससे आरोपियों को लॉगइन करते समय ओटीपी भी मिल गया। इसकी सहायता से वे प्रमाण पत्र बनाने का काम करते थे।
यशवंत ने कहा कि 2 फरवरी को एक अनजान शख्स ने वॉट्सऐप पर एक डिटेल भेजी थी। डिटेल के अनुसार, मनोहर लाल पुत्र हरवंश लाल निवासी 719 न्यू प्रेम नगर, पोस्ट प्रेम नगर करनाल हरियाणा पिन- 132001…का मृत्यु प्रमाण पत्र बनाना था। इसके लिए पैसे भी दिए गए थे।
फर्जी प्रमाण पत्र बनाया क्यों गया?
गिरोह ने अपने फर्जीवाड़ा का खुलासा किया। हालांकि यह नहीं बताया कि उन्हें हरियाणा मुख्यमंत्री का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए जिस शख्स ने कहा था, वह कौन है? उसकी मंशा क्या थी? इसका पता लगाया जा रहा है।