उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले (Basti District) में राजभवन को विरासत के तौर पर स्थापित करने के लिए शासन-प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है. एसडीएम (SDM) के नेतृत्व में राजस्व कर्मियों और नगर पालिका की टीम ने राजभवन परिसर का दौरा किया. मौके का मुआयना कर रिपोर्ट तैयार की.
इस सिलसिले में मुख्यमंत्री कार्यालय ने डीएम बस्ती से रिपोर्ट मांगी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 18 फरवरी 2023 को बस्ती राजभवन आए थे. राजभवन में आयोजित निजी कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान राजमाता आशिमा सिंह ने भवन को हेरिटेज के तौर पर विकसित करने का प्रस्ताव सीएम के समक्ष रखा. इस पर सीएम ने डीएम बस्ती से मौके की पैमाइश करने, अतिक्रमण हटाने सहित अन्य बिंदुओं पर कार्य करते हुए प्रस्ताव मांगा था.
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राजभवन में आयोजित निजी कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान राजमाता आशिमा सिंह ने भवन को हेरिेटेज के तौर पर विकसित करने का प्रस्ताव सीएम के समक्ष रखा. इस पर सीएम योगी ने डीएम बस्ती से मौके की पैमाइश करने, अतिक्रमण हटाने सहित अन्य बिन्दुओं पर कार्य करते हुए प्रस्ताव मांगा था. सीएम कार्यालय से राजभवन के तालाब के अतिक्रमण, पैमाइश व साफ-सफाई सहित अन्य बिन्दुओं पर रिपोर्ट मांगी गई. डीएम बस्ती ने एसडीएम सदर शैलेष कुमार दूबे और ईओ नगर पालिका परिषद दुर्गेश्वर त्रिपाठी को टीम के साथ मौके की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया. दोनों अधिकारियों के साथ राजस्व निरीक्षक की टीम राजभवन पहुंची.
अयोध्या के साथ आसपास के जिलों का भी विकास और सुंदरीकरण हो रहा है. इससे पूरा क्षेत्र धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित हो जाएगा. अयोध्या से बस्ती राजभवन करीब है. इसे हेरिटेज भवन के रूप में विकसित करना अपने आप में पर्यटकों के लिए मनमोहक साबित होगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजभवन को हेरिटेज भवन बनाने के राजपरिवार के प्रस्ताव पर डीएम को प्रोजेक्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे. राजमाता आशिमा सिंह ने राजभवन को हेरिटेज भवन के तौर पर सीएम के सामने विकसित करने का प्रस्ताव रखा, जिसके बाद अब राजमहल के सौंदर्यीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
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बता दें कि बस्ती राजभवन रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का ससुराल भी है. उनकी पत्नी भानवी सिंह का बस्ती राजघराने से सीधा संबंध है.
पिछले महीने राजा भैया की पत्नी भानवी सिंह सुर्खियों में आईं थीं. सुर्खियों में आने की वजह राजा भैया के करीबी अक्षय प्रताप सिंह से जुड़ी थी. दरअसल, बस्ती राजघराने से संबंध रखने वालीं भानवी सिंह ने अपने ही पति रघुराज प्रताप सिंह के करीबी अक्षय प्रताप सिंह पर जालसाजी का केस दर्ज कराया था. उन्होंने अक्षय प्रताप पर उनसे जुड़ी हुई कंपनियों में उनके जाली दस्तखत करके शेयर बेचने का आरोप लगाया था. खबरों के मुताबिक, रघुराज प्रताप सिंह अपनी पत्नी भानवी सिंह के साथ पिछले 2 सालों से साथ नहीं रह रहे हैं. इतना ही नहीं दिल्ली की कोर्ट में रघुराज प्रताप सिंह ने अपनी पत्नी भानवी सिंह के खिलाफ मेट्रीमोनियल केस भी फाइल कर रखा है.
भानवी सिंह कौन हैं जानिए...
भानवी सिंह का जन्म 10 जुलाई 1974 में बस्ती राजघराने में हुआ था. भानवी बस्ती राजा के छोटे बेटे कुंवर रवि प्रताप सिंह की बेटी हैं. कुंवर रवि प्रताप सिंह की 4 बेटियां हैं, जिनमें भानवी तीसरे नंबर की बेटी हैं. भानवी सिंह की शुरुआती पढ़ाई बस्ती में ही हुई थी. इन्होंने अपनी आठवीं तक की पढ़ाई बस्ती के सेंट जोसेफ स्कूल से पूरी की. इसके बाद आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए वह अपनी मां मंजूल सिंह के साथ लखनऊ चली गईं.
भानवी सिंह की शादी प्रतापगढ़ के राजपूत भदरी रियासत के राजा उदय प्रताप सिंह के बेटे कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया से 17 फरवरी 1995 में हुई थी. 17 फरवरी 1995 को राजा भैया की बारात बस्ती के राज महल में आई, जिसके बाद राजघराने के पुरोहितों ने विधि विधान से भानवी सिंह और राजा भैया के शादी कराई. शादी के बाद 1996 में भानवी सिंह ने दो जुड़वा पुत्रियों को जन्म दिया, लेकिन अफसोस की बात यह रही कि इन दोनों जुड़वा बेटियों में से एक की मौत हो गई. इसके बाद साल 1997 में फिर भानवी ने एक बेटी को जन्म दिया .हालांकि बेटे की चाहत लिए पति-पत्नी को कुछ साल इंतजार और करना पड़ा. साल 2003 में भानवी सिंह ने दो जुड़वा बेटों को जन्म दिया. राजा भैया और भानवी सिंह के दो बेटे शिवराज और बृजराज हैं, जबकि बेटियों का नाम राघवी और बृजेश्वरी है.
भानवी सिंह और राजा भैया के शादी में 1995 में मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह भी शामिल हुए थे. भानवी और राजा भैया के शादी के बाद अगले दिन विदाई की रस्म अदायगी की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. क्योंकि विदाई के समय उस समय के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव समधी के रूप में थे. अभी विदाई की रस्म चल ही रही थी कि मुलायम सिंह के ऊपर भानवी सिंह की मां मंजुल सिंह ने लाल रंग फेंक दिया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात सिक्योरिटी के जवानों में अचानक अफरा-तफरी मच गई थी. वे समझ नहीं पाए कि आखिर मुख्यमंत्री के साथ यह क्या हुआ. मगर बाद में लोगों ने रस्म के बारे में बताया. लाल रंग में सराबोर मुलायम सिंह यादव ने रस्म को सहर्ष स्वीकार किया और हुए वाक्य को हंसकर टाल दिया था।
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