उत्तर प्रदेश में सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) के बयानों की चर्चा अकसर होते रहती है. बीते दिनों में लोकसभा चुनाव से पहले सुभासपा और बीजेपी (BJP) के बीच गठबंधन की अटकलें चल रही थी. ओपी राजभर ने इसके संकेत भी दिए थे. लेकिन अब उनका खास लगाव बीएसपी (BSP) प्रमुख मायावती (Mayawati) के लिए नजर आने लगा है.
कभी अखिलेश यादव और कभी बीजेपी के साथ दिखने वालो ओम प्रकाश राजभर अब अपने लिए स्थायी जगह खोज रहे हैं. बीते दिनों सुभासपा प्रमुख बीजेपी की तारीफ कर रहे थे लेकिन अब वो बीएसपी और मायावती की तारीफ करने लगे हैं. उन्होंने मायावती की सरकार को सबसे बेहतर बताया है. जिसके बाद बड़ा सवाल ये है कि क्या बसपा का दरवाजा राजभर के लिए खुलेगा.
सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर लोकसभा चुनाव में किधर रहेंगे, इस सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि 'यह वही जानें.' उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं का कोई नहीं बता सकता है कि वे कहां हैं.
सुभासपा प्रमुख ने कहा, "हमको तो मायावती की सरकार लॉ एंड ऑर्डर की सरकार लगी. पहली बार जब मायावती की सरकार बनी थी, तब वो सरकार साढ़े चार साल चली थी. वो कार्यकाल हमको बहुत पसंद रहा था."इससे पहले भी राजभर ने कुछ ऐसे बयान दिए हैं जिससे बीजेपी सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े होते हैं. जिसके बाद चर्चा शुरू हो गई है कि बीजेपी में बात नहीं बन पाने की वजह से ओम प्रकाश राजभर ने बीएसपी के साथ जाने का मन बना लिया है. हालांकि अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या राजभर द्वारा तारीफ किए जाने के बाद भी बसपा, सुभासपा के लिए अपने दरवाजे खोलेगी. ध्यान देने वाली बात ये कि राजभर ने जब सपा से किनारा किया था, तब उन्होंने बीएसपी का रूख किया था. लेकिन तब बात नहीं बनी थी.
ओम प्रकाश राजभर की पार्टी में सेंधमारी, कई बड़े नेताओं ने छोड़ा साथ
निषाद पार्टी (Nishad Party) के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद (Sanjay Nishad) ने ओपी राजभर (OP Rajbhar) की पार्टी सुभासपा में बड़ी सेंधमारी की है. सुभासपा के राष्ट्रीय सचिव रमाकांत कश्यप (Ramakant Kashyap) और प्रदेश उपाध्यक्ष सीपी निषाद (CP Nishad) समेत कई अन्य लोगों ने इस्तीफा देकर निषाद पार्टी जॉइन की. संजय निषाद ने कहा कि सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर पार्टी की नीति और सिद्धांतों से भटक गए हैं. एक निजी यूट्यूब चैनल पर ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरुण राजभर ने कश्यप समाज को भिखमंगा कहा. इससे कश्यप, निषाद, केवट, मल्लाह, बिंद समेत अन्य सभी जातियां आहत हुई हैं.
इन्होंने भी इस्तीफा देकर थामा निषाद पार्टी का दामन
सुभासपा छोड़कर निषाद पार्टी जॉइन करने वालों में रविन्द्र यादव (प्रदेश उपाध्यक्ष पश्चिमी ), सहदेव प्रजापति (मंडल कोऑर्डिनेटर, कानपुर मंडल), सूरज कश्यप (जिला युवा मंच अध्यक्ष, औरैया), अंशु कठेरिया ( मंडल संगठन मंत्री), रामकान्ति (मंडल उपाध्यक्ष), सुमन कुमारी (जिला अध्यक्ष औरैया), प्रेम देवी (जिला अध्यक्ष, कानपुर देहात), उषा देवी (जिला उपाध्यक्ष औरैया), राजेश कुमार (जिला उपाध्यक्ष कानपुर देहात भी शामिल हैं.
वहीं इस मामले को लेकर अरुण राजभर ने संजय निषाद पर पलटवार करते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं. अरुण राजभर ने कहा कि यह झोले बाज नेता हैं. यह तो अब सरकार में है आरक्षण दिला दें. यह अपने समाज के लोगों को धोखा दे रहे हैं. गोलमोल घुमा कर अपनी जेब में माल भर रहे। कहा हमारे यहां सभी का सम्मान है, हम संविधान के तहत काम करते हैं और सभी महापुरुषों का सम्मान करते हुए आगे बढ़ते हैं. निषाद पार्टी का एजेंडा था कि आरक्षण नहीं तो वोट नहीं तो क्या हुआ, आरक्षण दिला पाए? जिन महापुरुषों के नाम पर राजनीति करते हैं उनके समाज से कितनी भागीदारी दी है?