जब आप अंग्रेजी कैलेंडर देखते हैं तो उसके ऊपर Year लिखा होता. उसी तरह से हिंदू कैलेंडर यानी हिंदू पंचांग पर भी विक्रम संवत लिखा होता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक देखें तो 22 मार्च से विक्रम संवत 2080 शुरू हो गया है.
हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि का पर्व (Festival of Navratri) शुरू होता है और इसी दिन से हिंन्दू नव वर्ष (Hindu Nav Varsh) की भी शुरुआत होती है. इस साल 22 मार्च से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होगी. जब आप अंग्रेजी कैलेंडर देखते हैं तो उसके ऊपर Year लिखा होता. उसी तरह से हिंदू कैलेंडर यानी हिंदू पंचांग पर भी विक्रम संवत लिखा होता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक देखें तो 22 मार्च से विक्रम संवत 2080 शुरू हो जाएगा. कभी सोचा है आपने पंचांग पर विक्रम संवत क्यों लिखा जाता है और अगर ये साल 2023 का है तो हिंदू कैलेंडर पर विक्रम संवत 2080 क्यों लिखा जा रहा है?
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आइए आपको बताते हैं-
इसलिए लिखा जाता है विक्रम संवत
विक्रम संवत की शुरुआत अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल पहले ही हो गई थी, इसलिए ये आज भी अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे है. 2023 + 57 = 2080 हुआ, इसलिए हिंदू कैलेंडर में 2023 की जगह पर 2080 लिखा है. अब रही बात विक्रम संवत की, तो माना जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने इसकी शुरुआत की थी. उस समय सबसे बड़े खगोल शास्त्री वराहमिहिर थे. उनकी मदद से इसे तैयार किया गया और इसके प्रचार प्रसार में काफी मदद मिली. राजा विक्रमादित्य के नाम से इसे विक्रम संवत कहा जाने लगा. संवत का अर्थ साल से होता है.
शक संवत और विक्रम संवत में अंतर
शक संवत को सरकारी रूप से अपनाने के पीछे ये वजह दी जाती है कि प्राचीन लेखों, शिला लेखो में इसका वर्णन देखा गया है. इसके अलावा यह संवत विक्रम संवत के बाद शुरू हुआ. अंग्रेजी कैलेंडर से ये 78 वर्ष पीछे है, 2023- 78 = 1945 इस प्रकार अभी 1945 शक संवत चल रहा है.
ऐसे शुरू हुआ विक्रम संवत
कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने इसकी शुरुआत की थी. उनके समय में सबसे बड़े खगोल शास्त्री वराहमिहिर थे. जिनके सहायता से इस संवत के प्रसार में मदद मिली. ये अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है, 2023 + 57 = 2080 विक्रम संवत चल रहा है.
विक्रम संवत से पहले प्रचलित थे ये पंचांग
विक्रम संवत से पहले भी हिंदू पंचांग चला करते थे. शुरुआत में ये ऋषि मुनियों के नाम पर होते थे. उसके बाद द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण के नाम से संवत चलने लगा. श्रीकृष्ण संवत के करीब 3000 साल बाद विक्रम संवत की शुरुआत हुई, जो आज तक प्रचलित है. विक्रम संवत को बेहद सटीक माना जाता है.
क्यों हिंदू कैलेंडर को कहते हैं पंचांग
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो पंचांग शब्द का अर्थ है पांच अंग. ये पांच अंग हैं- वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण. इन पांचों के आधार पर ही गणना करके इस कैलेंडर को तैयार किया जाता है इसलिए इसे पंचांग कहा जाता है. हालांकि पंचांग बनाना और इसे समझना हर किसी के बस की बात नहीं है. यही वजह है तमाम मुहूर्त वगैरह जानने के लिए आपको किसी विशेषज्ञ से बात करनी होती है.
महीनों के नाम
क्र०सं० | महीनों के नाम | पूर्णिमा के दिन नक्षत्र जिसमें चन्द्रमा होता है |
1. | चैत्र | चित्रा, स्वाति |
2. | बैशाख | विशाखा, अनुराधा |
3. | जेष्ठ | जेष्ठा, मूल |
4. | आषाढ़ | पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, सतभिषा |
5. | श्रावण | श्रवण, धनिष्ठा |
6. | भाद्रपद | पूर्वाभाद्र, उत्तरभाद्र |
7. | आश्विन | अश्विन, रेवती, भरणी |
8. | कार्तिक | कृतिका, रोहणी |
9. | मार्गशीर्ष | मृगशिरा, उत्तरा |
10. | पौष | पुनवर्सु, पुष्य |
11. | माघ | मघा, अश्लेशा |
12. | फाल्गुन | पूर्वाफाल्गुन, उत्तरफाल्गुन, हस्त |
पूरी दुनिया में काल गणना का दो ही आधार है- सौर चक्र और चंद्र चक्र. सौर चक्र के अनुसार पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में 365 दिन और लगभग छह घंटे लगते हैं. इस तरह गणना की जाए तो सौर वर्ष पर आधारित कैलेंडर में साल में 365 दिन होते हैं जबकि चंद्र वर्ष पर आधारित कैलेंडरों में साल में 354 दिन होते हैं. जानें कौन से विश्व के कुछ प्रचलित कैलेंडर हैं.
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ग्रेगोरियन कैलेंडर
ग्रेगोरियन कैलेंडर का आरंभ ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह के जन्म के चार साल बाद हुआ. इसे एनो डोमिनी अर्थात ईश्वर का वर्ष भी कहते हैं. यह कैलेंडर सौर वर्ष पर आधारित है और पूरी दुनिया में इसका इस्तेमाल होता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के महीने 30 और 31 दिन के होतें हैं, लेकिन फरवरी में सिर्फ 28 दिन होते हैं. फिर प्रत्येक चार साल बाद लीप ईयर आता है जिसमें फरवरी में 29 और वर्ष में 366 दिन होते हैं.
हिब्रू कैलेंडर
हिब्रू कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर से भी पुराना है. बता दें कि यहुदी अपने दैनिक काम-काज के लिए इसका प्रयोग करते थे. इस कैलेंडर का आधार भी चंद्र चक्र ही है, लेकिन बाद में इसमें चंद्र और सूर्य दोनों चक्रों का समावेश किया गया. इस कैलेंडर का पहला महीना शेवात 30 दिनों का और अंतिम महीना तेवेन 29 दिनों का होता है.
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हिज़री कैलेंडर
हिज़री कैलेंडर का आरंभ 16 जुलाई 622 को हुआ. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन इस्लाम के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद मक्का छोड़कर मदीना को प्रस्थान कर गए थे. इस घटना को हिजरत और हिजरी संवत चंद्र वर्ष पर आधारित मानते हैं. इसमें साल में 354 दिन होते हैं. सौर वर्ष से 11 दिन छोटा होने के कारण कैलेंडर वर्ष के अंतिम माह में कुछ दिन जोड़ दिए जाते हैं.
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