पुलिस की यूनिफॉर्म में कंधे पर लगी रस्सी ऐसे ही नहीं लगाई जाती है. इस रस्सी का भी अपना एक खास काम होता है. आइए बताते हैं किस काम के लिए लगी होती है यह रस्सी.
ये भी पढ़ें;World Autism Awareness Day: हर साल क्यों मनाया जाता है विश्व ऑटिज़्म दिवस, जानें इसका उद्देश्य?
क्यों लगाई जाती है ये रस्सी
सबसे पहले आपको बता दें कि पुलिस की यूनिफॉर्म में लगी यह रस्सी ऐसे ही नहीं लगाई जाती है. इसका अपना ही एक काम होता है. लेकिन क्या आप यह जानते हैं, कि आखिर पुलिस यूनिफॉर्म में लगी इस रस्सी को क्या कहते हैं? अगर नहीं, तो बता दें कि पुलिस यूनिफॉर्म में लगी इस रस्सी को "लैनयार्ड" (Lanyard) कहा जाता है. इस रस्सी को अगर आप ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि यह रस्सी पुलिस वालों की पॉकेट में जा रही होती है. क्योंकि इस रस्सी के साथ एक सीटी बंधी होती है, जो पुलिस वालों की जेब में रखी होती है.
ये भी पढ़ें;Aagra: चार बेटे, अरबों की संपत्ति, फिर भी वृद्धाश्रम में रहती हैं मां...इस मां की कहानी झकझोर देगी आपको
कब किया जाता है इसका इस्तेमाल
दरअसल, पुलिस वाले इस सीटी का इस्तेमाल किसी प्रकार की इमरजेंसी पड़ने पर करते हैं. जब किसी पुलिस वाले को इमरजेंसी की स्थिति में किसी गाड़ी को रोकना हो या फिर आपातकालीन स्थिति में अपने किसी सहयोगी पुलिस वाले को कोई संदेश देना हो, तब वे इस सीटी का इस्तेमाल करते हैं.
कोलकाता को छोड़कर, पुलिस की वर्दी का रंग खाकी ही क्यों होता हैं ?
भारतीय पुलिस हमारी कानून व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए हमेशा तैनात रहती हैं। आमतौर पर हम पुलिस की पहचान उनकी वर्दी से करते हैं। परंतु क्या आपने कभी सोचा है कि पुलिस की वर्दी का रंग खाकी ही क्यों होता हैं। कैसे पुलिस वर्दी या यूनिफॉर्म की शुरूआत हुई ?
ये भी पढ़ें;UP DGP: IPS राज कुमार विश्वकर्मा बने UP के कार्यवाहक DGP, आज रिटायर हो गए DGP देवेंद्र सिंह चौहान
हर देश मे अपनी ही एक कानून व्यवस्था बनाने के लिए पुलिस का गठन किया जाता हैं। यह पुलिस ही हैं जिसकी वजह से हम सब चैन की नींद सो पाते हैं कोई भी त्यौहार हो , रात हो या दिन पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए हमेशा तैनात रहती हैं।
आमतौर पर हम पुलिस की पहचान उनकी वर्दी या यूनिफॉर्म से ही तो करते हैं। पुलिस की खाकी वर्दी उनकी बड़ी पहचान मानी जाती हैं। बस फर्क इतना होता हैं कि कहीं पर इसका रंग थोड़ा हल्का होता है तो कहीं पर थोड़ा गहरा होता हैं। इस वर्दी को दूर से ही देखकर लोग पहचान जाते है कि पुलिस आ रही हैं। परंतु क्या आपने कभी सोचा है कि पुलिस की वर्दी का रंग खाकी ही क्यों होता हैं। इसको कोई और रंग या कलर क्यों नही दिया गया हैं। आइये इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं कि पुलिस की वर्दी का रंग खाकी ही क्यों होता हैं।
ब्रिटिश शासन काल से बदला यूनिफार्म का रंग
जब भारत मे ब्रिटिश राज था तब उनकी पुलिस सफेद रंग की वर्दी पहनती थी । परंतु लम्बी ड्यूटी के दौरान यह जल्दी गन्दी हो जाती थी , इस कारण से पुलिसकर्मी भी परेशान थे। कई बार तो उन्होंने गन्दगी को छुपाने के लिए अपनी वर्दी को अलग अलग रंगों में रंगना शुरू कर दिया था। इस प्रकार से उनकी वर्दी विभिन्न रंगों में दिखने लगी थी। इससे परेशान होकर अफसरों ने खाक रंग की डाई तैयार करवाई थी।
खाकी रंग हल्का पीला और भूरे रंग का मिश्रण है। इसलिए उन्होंने चाय की पति का पानी या फिर कॉटन फेब्रिक कलर को डाई की तरह इस्तेमाल किया जिसके कारण उनकी वर्दी खाकी रंग की हो गई थी। खाक का हिंदी में अर्थ होता हैं गद्दी मिट्टी का रंग । इस खाक रंग की डाई लगाने के बाद पुलिस की वर्दी पर धूल मिट्टी , दाग आदि कम दिखेंगे।
ये भी पढ़ें;Viral Video: Mathura Junction पर सो रहे शख्स को जूतों से कुचल रहे दोनों पुलिसकर्मी निलंबित
सन 1847 में सर हैरी लैंसडेन अधिकारी तौर पर खाकी रंग की वर्दी को अपनाया और उसी समय से भारतीय पुलिस में खाकी रंग की वर्दी चली आ रही हैं।
सालों पहले पुलिस की वर्दी को खाकी रंग देने के लिए चाय की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता था। चाय की पत्तियों में से निकलने वाला पानी वर्दी को खाकी कर देता था। समय के साथ भारत में चाय की प्तती की जगह सिंथेटिक रंगों को प्रयोग होने लगा। तब से लेकर अभी तक पुलिस खाकी रंग ही पहन रही है।
कोलकाता पुलिस क्यों पहनती है सफेद रंग
कोलकाता पुलिस के पीछा का कारण गर्मी को बताया जाता है। कहा जाता है कि समुद्र के करीब होने की वजह कोलकाता में बहुत गर्मी होती है। इसी वजह से वहां की पुलिस के लिए ऐसा रंगा चुना गया जो सूरज की रोशनी से रिफ्लेक्ट हो जाए और अधिकारियों को गर्मी ना लगे।
More Read;