ISRO: अंतरिक्ष में बढ़ा भारत का दबदबा, ISRO ने लॉन्च किए सिंगापुर के दो सैटेलाइट,ISRO पर बढ़ा दुनिया का भरोसा,जानिए क्या-कुछ है खास; देखें वीडियो



ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार दोपहर को PSLV-C55 रॉकेट से सिंगापुर के दो सैटेलाइट टेलीओएस -2 और ल्यूमलाइट-4 सफलतापूर्वक लॉन्च किए। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इन सैटेलाइटों को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया गया। इन दोनों सैटेलाइट के साथ POEM भी उड़ान भरेगा। POEM अंतरिक्ष के वैक्यूम (निर्वात) में कुछ टेस्टिंग करेगा। यह PSLV की 57वीं उड़ान थी। ये मिशन पूरी तरह से सफल रहा है।


बता दें, इस मिशन को टेलीओएस -2 मिशन नाम दिया गया है। इस लॉन्चिंग के साथ ही ऑर्बिट में भेजे गए विदेशी सैटेलाइट की कुल संख्या 424 हो गई है। 


इसरो की इस सफलता पर उसके प्रमुख एस सोमनाथ ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने पूरी टीम को इस कामयाब मिशन के लिए बधाई दी। इसरो के ऑफिस में मौजूद सभी लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बधाई, PSLV-C55/TeLEOS-2 मिशन सफल रहा। उसने दोनों सैटेलाइट को संबंधित ऑर्बिट में स्थापित कर दिया है।

इसरो के मुताबिक इस मिशन में प्राइमरी सैटेलाइट TeLEOS-2 को लॉन्च किया गया, जिसका वजन 741 किलोग्राम है। इसके अलावा दूसरा उपग्रह Lumelite-4 16 किलोग्राम का है। रॉकेट ने दोनों सैटेलाइट को पूर्व की ओर झुकाव वाली कक्षा में स्थापित कर दिया।


इसरो ने आगे बताया कि TeLEOS-2 को सिंगापुर सरकार और सिंगापुर टेक्नोलॉजीज इंजीनियरिंग लिमिटेड के बीच साझेदारी के तहत विकसित किया गया है। एक बार जब ये सैटेलाइट पूरी तरह से काम करना शुरू कर देगा, तो ये इमेजरी जरूरतों को पूरा करेगा।

वहीं दूसरी ओर ल्यूमलाइट-4 को इंस्टीटयूट फॉर इंफोकॉम रिसर्च और सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय ने मिलकर तैयार किया है। इसका उद्देश्य शहर-राज्य की समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना है।

क्या है POEM 


POEM का पूरा नाम पीएसएलवी ऑरबिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल है। पीएसएलवी चार स्टेज वाला रॉकेट है। इसके तीन स्टेज तो समुद्र में गिर जाते हैं। आखिरी यानी चौथी स्टेज जिसे PS4 भी कहते हैं, सैटेलाइट को अपनी कक्षा में पहुंचाने के बाद अंतरिक्ष का कचरा भर रह जाता है। अब इसी के ऊपर प्रयोग करने के लिए POEM का इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसा चौथी बार किया जा रहा है।


क्या है ल्यूमलाइट-4

इसे सिंगापुर के इन्फोकॉम रिसर्च इंस्टीट्यट और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के सैटेलाइट टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर की साझेदारी में बनाया गया है। इसका उद्देश्य सिंगापुर की ई-नेविगेशन समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना और ग्लोबल शिपिंग कम्युनिटी को फायदा पहुंचाना है। यह 16 किलो का है।


क्या है टेलीओएस-2

यह एक टेली कम्युनिकेशन सैटेलाइट है। सिंगापुर सरकार ने इसे वहां के इंजीनियरिंग छात्रों की मदद से तैयार किया है। यह 741 किलो वजनी है। बता दें, यह आपदा प्रबंधन से जुड़ी सूचना देगा।

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