Mukhtar Ansari:चाचा देश के पूर्व उपराष्ट्रपति…दादा स्वतंत्रता सेनानी…नाना ने देश के लिए दी शहादत...फिर भी माफिया बन बैठा मुख्तार अंसारी

 


चाचा पूर्व उपराष्ट्रपति…दादा स्वतंत्रता सैनानी…नाना देश के लिए शहीद हुए..और बेटा माफिया डॉन मुख्तार अंसारी. मऊ से विधायक और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Don Mukhtar Ansari) आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है. क्राइम की दुनिया में उसकी तूती बोलती है. उसका रसूख भी किसी से छिपा हुआ नहीं है, शायह यही वजह है कि सरकारें आई और गईं लेकिन मुख्तार का कोई कुछ भी बिगाड़ नहीं सका. वह जेल में भी रहा तो शान से. मुख्तार के दबदबे का अंदाज उसके पारिवारिक (Mukhtar’s Family) रसूख से ही लगाया जा सकता है.

मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था. उसके पिता का नाम सुबाहउल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था. गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान की है. 17 साल से ज्यादा वक्त से जेल में बंद मुख़्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे. गांधी जी के साथ काम करते हुए वह 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. मुख़्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र से नवाज़ा गया था. मुख्तार के पिता सुभानउल्ला अंसारी गाजीपुर में अपनी साफ सुधरी छवि के साथ राजनीति में सक्रिय रहे थे. भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख़्तार अंसारी के चाचा लगते हैं.

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मऊ और उसके आसपास के इलाके में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी. अब अंसारी के कई ठिकानों को जमींदोज किया गया है. लेकिन कभी वक्त था जब पूरा सूबा मुख्तार के नाम से कांपता था. वो बीजेपी को छोड़कर उत्तर प्रदेश की हर बड़ी पार्टी में शामिल रहा. मुख्तार अंसारी पिछले 24 साल से लगातार यूपी की विधानसभा पहुंचता रहा है.

90 के दशक में शुरू किया गैंग

1970 का वो दौर जब पूर्वांचल के विकास के लिए सरकार ने योजनाएं शुरू की. 90 का दशक आते-आते मुख्तार ने जमीन कब्जाने के लिए अपना गैंग शुरू कर लिया. उनके सामने सबसे बड़े दुश्मन की तरह खड़े थे बृजेश सिंह. यहीं से मुख्तार और बृजेश के बीच गैंगवार शुरू हुई.

राजनीति में पहला कदम

1995 में मुख्तार अंसारी ने राजनीति की मुख्यधारा में कदम रखा. 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार विधान सभा के लिए चुने गए. उसके बाद से ही उन्होंने ब्रजेश सिंह की सत्ता को हिलाना शुरू कर दिया. 2002 आते-आते इन दोनों के गैंग ही पूर्वांचल के सबसे बड़े गिरोह बन गए. इसी दौरान मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला हुआ. दोनों तरफ से गोलीबारी हुई इस हमले में मुख्तार के तीन लोग मारे गए. खबर आई कि ब्रजेश सिंह इस हमले में घायल हो गया. उसके मारे जाने की अफवाह भी उड़ी. इसके बाद बाहुबली मुख्तार अंसारी पूर्वांचल में अकेले गैंग लीडर बनकर उभरे.

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मुख्तार का दावा कृष्णानंद राय ने उसके मर्डर का बनाया था प्लान

इस गैंगवार में ब्रजेश सिंह जिंदा पाए गए और फिर से दोनों के बीच संघर्ष शुरू हो गया. अंसारी के राजनीतिक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए ब्रजेश सिंह ने भाजपा नेता कृष्णानंद राय के चुनाव अभियान का समर्थन किया. राय ने 2002 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मोहम्मदाबाद से मुख्तार अंसारी के भाई और पांच बार के विधायक अफजल अंसारी को हराया था. बाद में मुख्तार अंसारी ने दावा किया कि कृष्णानंद राय ने ब्रजेश सिंह के गिरोह को सरकारी ठेके दिलाने के लिए अपने राजनीतिक कार्यालय का इस्तेमाल किया और उन्हें खत्म करने की योजना बनाई.

कौन हैं मुख्तार के चाचा ?

मुख्तार अंसारी के चाचा हामिद अंसारी किसी पहचान के मोहताज नहीं है. वह कांग्रेस के सीनियर नेता होने के साथ ही देश के उपराष्ट्रपति भी रह चुके हैं. उपराष्ट्रपति से पहले वह विदेश सेवा में भी रह चुके हैं. वहीं देश के फेमस जर्नलिस्ट जावेद अंसारी से भी मुख्तार का खास रिश्ता है. वह रिश्ते में डॉन के भाई हैं.

कौन थे मुख्तार के दादा ?

मुख्तार अंसारी के दादा का नाम भी मुख्तार ही था. वह आजादी से पहले कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. देश को आजाद कराने में उनका अहम योगदान रहा. मुख्तार के दादा गांधीजी के काफी करीबी माने जाते थे. उन दिनों मऊ में उसके परिवार को एक अलग ही इज्जत मिली हुई थी.

कौन थे मुख्तार के नाना ?

मुख्तार अंसारी के नाना का नाम मोहम्मद उस्मान था. वह सेना में ब्रिगेडियर थे. उनका रसूख भी कम नहीं था. देश के लिए सेवा देने के लिए उन्हें महावीर चक्र से भी सम्मानित किया गया था.साल 1947 में उन्होंने नैशेरा की लड़ाई लड़ी थी. देश को इस लड़ाई में जीत दिलाकर खुद उन्होंने बलिदान दे दिया.

कौन थे मुख्तार के पिता ?

माफिया मुख्तार अंसारी के पिता सुब्हानुल्लाह अंसारी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे. उनकी छवि काफी साफ मानी जाती थी. अपनी छवि की वजह से वह साल 1971 के नगर पालिका चुनाव में निर्विरोध चुने गए थे. लेकिन मुख्तार अंसारी अपने पिता से बिल्कुल उलट है.

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देश को आजादी दिलाने तक से देश के लिए बलिदान देने वाले परिवार का बेटा मुख्तार अंसारी अपने खानदान के बिल्कुल उलट है. उसने राजनीति के साथ ही इपराध की दुनिया को अपने लिए सही समझा. बचपन में क्रिकेट बैट थामने बाले ये हाथों में कब बंदूक आ गई ये उसे पता ही नहीं चला.

बेटे ने किया था देश का नाम रोशन

एक तरफ जहां सालों की खानदानी विरासत है तो वहीं दूसरी तरफ कई संगीन इल्ज़ामों से घिरा माफिया डॉन मुख्तार अंसारी है. जिसने अपने परिवार की शानदार विरासत पर पैबंद लगा दिया. मगर इस खानदान की अगली पीढ़ी से मिलेंगे तो फिर हैरानी होगी. मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग का इंटरनेशनल खिलाड़ी है. दुनिया के टॉप टेन शूटरों में शुमार अब्बास न सिर्फ नेशनल चैंपियन रह चुका है. बल्कि दुनियाभर में कई पदक जीतकर देश का नाम रौशन कर चुका है. लेकिन अब वो भी पिता के कर्मों की सजा भुगत रहा है. उसे मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया है.

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