Solar Halo: सूरज के चारों तरफ बन गया चमकदार गोला, आसमान में दिखा दुर्लभ नजारा, जानिए क्यों होता है ऐसा, इसे कहते क्या हैं?
उत्तर भारत के कई जिलों में कल आसमान में ऐसा नजारा दिखा , जिसने लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है. आसमान में सूरज के चारों ओर गोल चमकदार रिंग बनकर उभरा था. इसे सोलर हालो या सन रिंग कहते हैं. आसमान में इस दुर्लभ नजारे को देखकर लोग हैरान हैं क्योंकि वे इसके पीछे के साइंस को नहीं जानते. वे इसे एक चमत्कारी घटना के रूप में देखते हैं. ऐसे में हर कोई सूरज को खुली आंखों से देखने की कोशिश कर रहा था और इसे कैमरे में कैद करने की कोशिश कर रहा था।
शुक्रवार की सुबह जब लोग नींद से जगह और आसमान की तरफ देखा तो उन्हें सूरज के चारों तरफ एक प्रकाशमय गोला दिखाई दिया. इसे देखकर सब हैरान थे, जो लोग इसके पीछे की साइंस को नहीं जानते हैं उनके लिए यह नजारा किसी चमत्कार से कम नहीं था. दरअसल, यह एक सामान्य खगोलीय परिघटना है जिसे विज्ञान की भाषा में सोलर हालो या फिर सन रिंग भी कहते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा वातावरण में मौजूद हेक्सागोनल क्रिस्टल के कारण होता है. दरअसल जब वातावरण में मौजूद पानी की बूंदों पर प्रकाश पड़ता है तो उसके विकिरण के कारण यह घटना घटती है. कई बार इस गोले में इंद्रधनुष की तरह कई रंग भी दिखाई देते हैं.सोशल मीडिया पर भी ये तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है.
सूरज के चारों तरफ प्रकाश का घेरा कब और क्यों बनता है
धरती से सूर्य के चारों ओर रिंग बनने यानी ‘रेनबो रिंग ऑफ सन’ की घटना वातावरण में मौजूद हैक्सागोनल क्रिस्टल के कारण होती है।
आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान एवं शोध संस्थान एरीज के वैज्ञानिक डॉ. बृजेश कुमार बताते हैं कि वर्षा के दौरान वातावरण में मौजूद पानी की बूंदों से रेनबो बनने की घटना होती हैं। यह सूर्य के प्रकाश के पानी की बूंदों में पड़ने के बाद उसके विकिरण के कारण होती है।
इसी प्रकार पृथ्वी से लगभग 5-6 किमी दूर वातावरण में कई बार बारिश के मौसम में आइस क्रिस्टल बनते हैं, जो हैक्सागोनल (छह साइड) शेप में होते हैं।
सूर्य की किरणें क्रिस्टल पर पड़ने के बाद दोनों में 22 डिग्री का अंतर आ जाता है, जो धरती से देखने पर रेनबो की तर्ज पर सूर्य के चारों ओर रिंग सा नजर आता है। कई बार इसमें 46 डिग्री का भी अंतर आता है, जिससे दूसरे तरह का रेनबो बनता है।
आइए आपको बताते हैं कि क्या होता है सन रिंग...
विज्ञान के हिसाब से सन रिंग एक सामान्य खगोलीय घटना है. ऐसा वातावरण में मौजूद हेक्सागोनल क्रिस्टल के कारण होता है. दरअसल जब वातावरण में मौजूद पानी की बूंदों पर प्रकाश पड़ता है तो उसके विकिरण के कारण यह घटना घटती है. कई बार इस गोले में इंद्रधनुष की तरह कई रंग भी नजर आते हैं. जब प्रकाशमय या एनर्जी से लबरेज किसी चीज के चारों ओर गोलाकार आकृति बन जाए तो उसे हालो कहते हैं. इस कारण इसे सोलर हालो कहा जाता है.
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इससे पहले 2015 में जुलाई के महीने में ऐसी घटना हल्द्वानी, बेतालघाट समेत उत्तराखंड के कुछ इलाकों में देखने को मिली थी. मौसम सामान्य था और धूप खिली हुई थी, लेकिन दोपहर बारह बजे के करीब आसमान में छुटमुट बादल छा गए और देखते ही देखते रंगीन गोला सूरज के आसपास बन गया. गोले के अंदर काले बादल मौजूद थे, जबकि बीच में सूर्य. उस समय लोग इस तरह के अद्भुत रेनबो को देखकर लोग हैरान थे और तमाम कयास लगा रहे थे. हालांकि करीब आधा घंटे बाद ये सन रिंग खत्म हो गया था.
क्या चांद के साथ भी ऐसा होता है
हां, चांद के साथ भी ऐसा होता है और इसे हालो ऑफ मून कहा जाता है. कुछ लोग इसे मून रिंग भी कहते हैं. 20 फरवरी 2016 में चांद के साथ ऐसा हुआ था. इत्तेफाक से वह भी शुक्रवार का ही दिन था. उस समय भी लोगों ने इस दृश्य को देखकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं दी थीं. जब चांद के साथ ऐसा होता है तो इसे हालो ऑफ मून या मून रिंग कहा जाता है.
वहीं 20 जुलाई 2015 को भी एक ऐसी ही घटना उत्तराखंड के कुछ इलाकों में देखने को मिली थी. हल्द्वानी, बेतालघाट के लोगों को 20 जुलाई की सुबह सूरज के चारों तरफ एक अद्भुत गोलाकार आकृति दिखाई दी जिसमें इंद्रधनुषी रंग दिखाई दे रहे थे. हालांकि, यह घटना जिस दिन घटी वह दिन रविवार का था. तो अगर आप ऊपर बताई गई दो घटनाओं के दिन को एक साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं तो यह गलत बात है. वह सिर्फ एक इत्तेफाक था और कुछ नहीं.
हालो किसे कहते हैं?
जब किसी प्रकाशमय या एनर्जी से लबरेज चीज के चारों ओर गोलाकार आकृति बन जाए तो उसे हालो कहते हैं. आध्यात्म में भी इसका जिक्र है. आपने कई भगवान की तस्वीरों में देखा होगा कि उनके सिर के पीछे एक चमकदार गोलाकार आकृति दिखती है, उसे भी हालो ही कहा जाता है.
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