Solar Eclipse 2023:साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण कल 20 अप्रैल दिन गुरुवार को लग रहा है. इसे हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहा जा रहा है क्योंकि यह पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण और वलयाकार सूर्य ग्रहण के बीच की अवस्था होगी. हाइब्रिड सूर्य ग्रहण 100 साल में एक बार होता है. इस सूर्य ग्रहण का नाम ‘निंगालू’ रखा गया है. इस साल दो सूर्य ग्रहण लगने वाले हैं, पहला सूर्य ग्रहण कल और दूसरा सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर को लगेगा. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि पहला सूर्य ग्रहण कब लगेगा? सूतक काल कब से कब तक रहेगा? सूर्य ग्रहण कहां-कहां दिखाई देगा?
सूर्य ग्रहण 2023 समय
20 अप्रैल को लगने वाला पहला सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार, सुबह 07 बजकर 04 मिनट से प्रारंभ होगा और इस सूर्य ग्रहण का समापन दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा।
साल का पहला सूर्य ग्रहण क्यों है खास?
साल का पहला सूर्य ग्रहण काफी खास है, क्योंकि यह तीन तरह का होगा। यह सूर्य ग्रहण आंशिक, कुंडलाकार और पूर्ण होगा। इसी के कारण इसे हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहा जा रहा है। आंशिक सूर्य ग्रहण वह होता है जब चंद्रमा सूर्य के छोटे हिस्से को प्रभावित करता है। इसके साथ ही कुंडलाकार तब होता है जब सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के बीचो-बीच आ जाता है यानी सूर्य एक चमकदार रिंग की तरह आने लगता है। इसी को वलयाकार सूर्य ग्रहण या कंकणाकृति सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
क्या है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण?
सूर्य ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आ जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राहु और केतु सूर्य का ग्रास करने आते हैं तो सूर्य ग्रहण लगता है. हाइब्रिड सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा की छाया धरती को पार करके आगे निकल जाती है. उस दौरान कुछ सेकेंड के लिए सूर्य एक वलय के समान दिखाई देता है.
कहां-कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण?
साल का यह पहला सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा. यह पूर्व और दक्षिण एशिया, आस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर और अंटार्कटिका से दिखार्द देगा. यह सूर्य ग्रहण हिंद और प्रशांत महासागर में कुंछ सेकेंड के लिए ही दिखाई देगा.
सूर्य ग्रहण पर सूतक काल?
यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य न होने के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं है. सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण प्रारंभ समय से 12 घंटे पूर्व ही प्रारंभ हो जाता है. सूतक काल को अशुभ समय माना जाता है, इसलिए उस समय में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करते हैं. पूजा पाठ भी बंद रहता है. गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतनी होती है. सूतक काल में भोजन और सोना दोनों ही मना होता है.
भारत में सूतक काल मान्य होगा कि नहीं
शास्त्रों के अनुसार, चंद्र या सूर्य ग्रहण शुरू होने के करीब 12 घंटे पहले से सूतक काल आरंभ हो जाता है। माना जाता है कि ग्रहण के समय सूर्य या चंद्र पीड़ा में होते हैं। ऐसे में सूतक काल के समय मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और भगवान की मूर्ति को स्पर्श नहीं किया जाता है। इसके साथ ही खाने-पीने, सोने की भी मनाही हो जाती है। ग्रहण के दौरान जाप और ध्यान करना शुभ माना जाता है। बता दें कि साल का पहला सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आने वाला है। ऐसे में सूतक काल मान्य नहीं होगा। इसलिए आप मंदिरों आदि के कपाट नहीं बंद किए जाएंगे।
सूर्य ग्रहण के समय ग्रहों की स्थिति
सूर्य ग्रहण के दिन अपनी उच्च राशि मेष में सूर्य देव रहेंगे. इसके साथ ही मेष राशि में बुध और राहु की उपस्थिति होगी.
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