Unnao Gang-rape: दुष्कर्म पीड़िता किशोरी के केस वापस न लेने पर आरोपियों ने उसका घर फूंका, सात माह का बेटा और भाई झुलसा



 Unnao Gang-rape: दुष्कर्म पीड़िता किशोरी के केस वापस न लेने पर आरोपियों ने उसका घर फूंका, सात माह का बेटा और भाई झुलसा

उत्तर प्रदेश में उन्नाव जिले के मौरावां थाना क्षेत्र में सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता के दुधमुंहे बच्चे और उसकी बहन की हालत लगातार बिगड़ रही है। बुधवार को दोनों को कानपुर से लखनऊ रेफर कर दिया गया है। दोनों बच्चे आग में 45 फीसदी झुलस गए थे। यही नहीं, मारपीट में घायल दुष्कर्म पीड़िता का दायां हाथ भी काम नहीं कर रहा है।

मौरावां थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी 13 साल की किशोरी से 15 महीने पहले गांव के ही तीन युवकों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। पुलिस ने केस दर्ज करने में हीलाहवाली की। किशोरी ने बच्चे को जन्म दिया, तो मामला सुर्खियों में आ गया। आनन फानन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर तीन आरोपियों को जेल भेज दिया।

13 वर्षीय किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म

मौरावां क्षेत्र के एक गांव में 13 फरवरी 2022 को 13 वर्षीय किशोरी से गांव के ही अरुण, सतीश और अमन ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। पुलिस ने आरोपितों को जेल भेजा था। सितंबर माह में किशोरी ने एक बेटे को जन्म दिया था। कुछ समय पहले आरोपित जमानत पर छूटकर घर आए हैं।

न्यायालय में एक को बेकसूर पाया गया। 15 दिन पहले दोनों आरोपी जमानत पर छूटकर आए और पीड़िता को धमकाना शुरू कर दिया। मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाने लगे। सोमवार शाम को उन्होंने घर में घुसकर दुष्कर्म पीड़िता को पीटा और उसके घर में आग लगा दी।

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बर्बादी में पीड़िता के अपने भी

सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता के पिता को वित्तीय वर्ष 2015-16 में प्रधानमंत्री आवास मिला था। उसी में रहकर जीवन यापन कर रहे थे। सोमवार रात हुई घटना में उसका घर और गृहस्थी का सामान भी जल गया है। मुकदमे में सुलह का दबाव बनाने के लिए आरोपियों ने जुल्म की इंतहा कर दी।

इसके बाद उसके चार माह के बेटे और तीन माह की बहन को आग में फेंक दिया। इससे वह गंभीर रूप से झुलस गए थे। पुलिस ने मामले में सात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी, जिनमें पीड़िता का चाचा और बाबा भी शामिल है। पुलिस उसके चाचा को ही गिरफ्तार कर सकी है।

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डीएनए टेस्ट से बचने के लिए बच्चे की हत्या की रची साजिश

सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता के अधिवक्ता संजीव त्रिवेदी ने बताया कि पीड़िता के बच्चे को आग में फेंकने के पीछे आरोपियों का मकसद यह था कि उसकी मौत होने के बाद डीएनए टेस्ट से बच जाएंगे। बताया कि पीड़िता के मुताबिक, सामूहिक दुष्कर्म में पांच आरोपी शामिल थे, लेकिन पुलिस ने तीन को जेल भेजा था।


बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सात दिन में तलब की रिपोर्ट

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग लखनऊ के सदस्य श्याम त्रिपाठी ने बताया कि यह जघन्य अपराध है। बताया कि घटना की जानकारी होते ही उन्नाव बाल कल्याण समिति के सदस्य प्रीति सिंह को पीड़िता से मिलने को कहा था, लेकिन जब वह जिला अस्पताल पहुंचीं, तो कानपुर रेफर हो चुके थे।

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पुलिस कर्मियों की लापरवाही पर कार्रवाई की मांग

एसपी, जिला प्रोबेशन अधिकारी और बाल कल्याण समिति अध्यक्ष को पत्र भेजा है। आरोपियों पर अब तक की कार्रवाई और फरार आरोपियों की सात दिन में गिरफ्तारी कर रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। साथ ही एसपी से पुलिस कर्मियों की लापरवाही की जांच और दोषी पाए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई को कहा गया है।


हर कदम पर पुलिस की लापरवाही

सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता की मां का आरोप है कि पुलिस ने पहले दिन से ही लापरवाही बरती। बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद पुलिस को जो तहरीर दी वह लिखी नहीं। अज्ञात के खिलाफ के रिपोर्ट दर्ज की गई। बेटी के साथ 164 के बयान में भी पुलिस ने दबाव बनाया।

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डीएम अपूर्वा दुबे ने बताया कि पीड़िता व बच्चों को बेहतर से बेहतर इलाज कराने का प्रयास किया जा रहा है। बताया कि बच्चे बहुत छोटे हैं। संक्रमण के खतरे को देखते हुए उर्सला के एसनसीयू में भर्ती कर इलाज कराया गया। बताया कि राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य का मारपीट की घटना में कार्रवाई का पत्र मिला है।

मुकदमा दर्ज हो चुका है, जांच जारी

एसपी सिद्धार्थ शंकर मीना ने बताया कि 17 अप्रैल को घर में आग लगाने की घटना में मुकदमा अपराध संख्या 185/ 23 पंजीकृत किया गया है। उसकी विवेचना की जा रही है। घटनास्थल पर मौजूद बच्चों (दुष्कर्म पीड़िता के भाई) ने परिवार के ही एक सदस्य (चाचा) द्वारा आग लगाने की बात बताई है। उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।

अखिलेश बोले- घटना जघन्य, क्या भाजपा कुछ करेगी

सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा कि जमानत पर बाहर आए आरोपियों द्वारा पीड़िता के बच्चे को जिंदा जलाने के प्रयास की जघन्य घटना पर भाजपा सरकार कुछ करेगी या परिवार वालों के दुख दर्द को समझने वाला इस बेरहम सरकार में कोई नहीं है।

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