सिद्धार्थनगर। उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में ताल ठोकने के लिए शिक्षक नेता शचिंद्र नाथ त्रिपाठी ऊर्फ गुड्डू त्रिपाठी ने नौकरी छोड़ दी। उन्होंने सोमवार को बीएसए देवेंद्र कुमार पांडेय को स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन सौंपा। बीएसए ने बताया कि तीन दिन में आवेदन स्वीकृत किया जाएगा।शचिद्र नाथ त्रिपाठी उर्फ गुड्डू त्रिपाठी नगर पालिका परिषद सिद्धार्थनगर में अध्यक्ष पद के चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है।
वह खुनियांव विकास क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय बरगदवा में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात थे। उन्होंने बताया कि उनका रुझान समाजसेवा के लिए है, लेकिन उनके इस कार्य हेतु नौकरी बाधा बन रही थी, इसलिए वह स्वैच्छिक सेवानिवृत्त चाहते हैं। उन्होंने बताया कि वे उत्तर प्रदेशीय माध्यमिक शिक्षक संघ में जिला उपाध्यक्ष रहे और 20 साल से नौकरी कर रहे है।
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यूपी में निकाय चुनाव लड़ने की योग्यता क्या है? आप भी तैयारी कर रहे हैं तो जान लीजिए
यूपी में 760 नगर निकायों पर चुनाव होने हैं. इसमें मेयर, नगर पालिका-नगर पंचायत अध्यक्ष और पार्षद की सीट शामिल हैं. आइए जानते हैं इनका चुनाव किस प्रकार होता है और क्या हैं इसके लिए जरूरी योग्यता...
किसी भी चुनाव को लड़ने के लिए सबसे पहली पात्रता उम्र से जुड़ी होती है. नगर निकाय चुनाव लड़ते वक्त किसी उम्मीदवार की उम्र कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए. इससे कम उम्र का व्यक्ति नामांकन दाखिल नहीं कर सकता. अगर किसी ने आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है तो उसे नामांकन दाखिल करते वक्त अपना जाति प्रमाण पत्र दिखाना होगा. इसके साथ ही उस पर नगर पालिका और नगर पंचायत का एक साल का टैक्स बकाया न हो. नामांकन दाखिल करने के दौरान टैक्स बकाया का बिल भी लगाना जरूरी होता है.
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उम्मीदवारों पर लागू होते हैं ये नियम
अन्य चुनावों की तरह इस चुनाव में उम्र, शैक्षणिक योग्यता, आपराधिक इतिहास, जाति प्रमाण पत्र, संपत्ति, टैक्स और देनदारियों से जुड़ी जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है. यानी कि इन सभी का ब्यौरा हलफनामे में देना होता है. सबसे जरूरी योग्यता उम्र है. कोई भी व्यक्ति यह चुनाव तभी लड़ सकता है अगर उसकी उम्र 21 वर्ष या उससे अधिक हो. इससे कम उम्र का व्यक्ति चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होता. यूपी के अलग-अलग जिलों में आरक्षित सीटों की सूची धीरे-धीरे जारी हो रही है. अगर कोई व्यक्ति आरक्षित सीट से लड़ने का पात्र है तो फिर से उसे अपना जाति प्रमाणपत्र दिखाना होगा.
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दिवालिया व्यक्ति की उम्मीदवारी हो जाती है रद्द
अब बारी आती है टैक्स और देनदारियों की. उम्मीदवारी के लिए यह जरूरी है कि उस व्यक्ति पर नगर पालिका और नगर पंचायत का एक साल टैक्स बकाया न हो. इसके साथ ही हलफनामा दाखिल करने के दौरान टैक्स बकाए का बिल भी संलग्न करना होता है. उम्मीदवार को अपनी संपत्ति की सटीक जानकारी देनी होती है. उसे बताना होता है कि उसके पास कितनी चल और अचल संपत्ति है. इसके अलावा उसपर किसी तरह कर्ज तो नहीं है. अगर है तो कितना है यह ब्यौरा भी देना होता है. एक अन्य जरूरी बात यह भी ध्यान रखना होता है कि वह व्यक्ति किसी संस्था द्वारा दिवालिया न घोषित किया गया हो. अगर वह दिवालिया घोषित है तो फिर चुनाव नहीं लड़ सकता.
आपराधिक मामले की जानकारी देना जरूरी
चुनाव में उतरने से पहले आयोग को बताना होता है कि उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला तो दर्ज नहीं है. उसका पूरा ब्यौरा भी नामांकन दाखिल करने के दौरान देना होता है. अगर किसी व्यक्ति को भ्रष्टाचार के कारण नौकरी से निकाल दिया गया हो या उसके पद से हटा दिया गया हो तो फिर वह चुनाव नहीं लड़ सकता. इसके अलावा लाभ के पद पर बैठा व्यक्ति भी उम्मीदवार नहीं बन सकता. उसे चुनाव लड़ने से पहले पद त्याग करना होगा. यह व्यक्ति राज्य सरकार या केंद्र सरकार के किसी भी विभाग में कार्यरत नहीं होना चाहिए.
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