World Autism Awareness Day: हर साल क्यों मनाया जाता है विश्व ऑटिज़्म दिवस, जानें इसका उद्देश्य?

 


ऑटिज्‍म एक गंभीर विकार है। इस विकार के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए वर्ल्‍ड ऑटिज्‍म डे मनाया जाता है।

World Autism Awareness Day 2023: हर साल 2 अप्रैल को दुनियाभर में विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद लोगों को ऑटिज़्म के बारे में जागरुक करना है और उन लोगों को सपोर्ट करना है जो इस विकार से जूझ रहे हैं। ऑटिज़्म से पीड़ित लोग दूसरों पर बहुत निर्भर होते हैं। इसलिए इस दिन, संयुक्त राष्ट्र ने लोगों से एक साथ आने और ऑटिस्टिक लोगों का समर्थन करने का आग्रह किया।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों की आवश्यकता को उजागर करने के लिए 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस के रूप में घोषित किया।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अनुसार, विश्व ऑटिज़्म दिवस का उद्देश्य "ऑटिस्टिक लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालना है ताकि वे समाज के अभिन्न अंग के रूप में पूर्ण और सार्थक जीवन जी सकें।"

साल 2008 में, विकलांग लोगों के अधिकारों पर कन्वेंशन लागू हुआ, जिसमें सभी के लिए सार्वभौमिक मानवाधिकारों के मौलिक सिद्धांत पर ज़ोर दिया गया।

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ये हैं ऑटिज्म के लक्षण..

~आंखें न मिलाना या आंखें चुराना

~अपना नाम पुकारने पर भी प्रतिक्रिया न देना

~किसी से बात न करना या उनकी बात पर प्रतिक्रिया न देना

~कुछ बच्चों में लक्षण देर से दिखते हैं, वह अचानक बहुत गुस्सैल दिखने लगते हैं

ऑटिज़्म क्या है?

ऑटिज़्म एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जो व्यक्ति में आजीवन रहती है। बच्चों में कम उम्र में ही यह स्थिति उजागर हो जाती है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम शब्द कई विशेषताओं को संदर्भित करता है। जो बच्चा ऑटिज़्म से पीड़ित होता है, उसमें मुख्य तौर से सामाजिक दुर्बलता, बात करने में मुश्किल, प्रतिबंधित व्यवहार , व्यवहार में दोहराव और एक पैटर्न का दिखना शामिल है।

आसान शब्दों में, ऑटिज़्म एक तंत्रिका संबंधी विकार है, जो किसी व्यक्ति की दूसरों के साथ संवाद करने की क्षमता को प्रभावित करता है। विकार बचपन में शुरू होता है और वयस्कता तक रहता है।

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ऑटिज्म के कारण

ऑटिज्म के कई कारण है. कई बार ये जेनेटिक भी होता है.


जेनेटिक कारण – ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लिए कई अलग-अलग जीन जिम्मेदार हो सकते हैं. कुछ बच्चों को जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर हो सकता है. जैसे – रेट्ट सिंड्रोम (Rett Syndrome) या फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम (Fragile X Syndrome).


पर्यावरणीय कारण (Environmental factors) – रिसर्चर वायरल इंफेक्शन, मेडिसिन और गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याओं पर रिसर्च कर रहे हैं, कि यह किस हद तक ऑटिज्म का कारण बन सकते हैं.


ऑटिज्म से बचाव संभव है?

ऑटिज्म से बचाव संभव नहीं है. लेकिन इलाज के जरिए इसे कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. जितनी जल्दी ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर का पता चले और उसका इलाज कराया जाए, उतना ही व्यक्ति के व्यवहार, स्किल व लैंग्वेज डेवलपमेंट को सुधारने में मदद मिल सकती है.


ऑटिज्म का इलाज

ऑटिज्म का अभी कोई इलाज संभव नहीं है. ऑटिज्म के इलाज से बच्चे के लक्षणों को कंट्रोल करना और उसके सीखने की क्षमता को बढ़ाना होता है. ऑटिज्म के रोगी के इलाज के तरीके को भी लगातार बदलना पड़ता है, क्योंकि एक ही तरह की चीजें कर-कर के वह बोर हो सकता है और इलाज में मदद करना बंद कर सकता है.

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इन तरीकों से होता है इलाज...

~बिहेवियरल एंड कम्युनिकेशन थेरेपी

~एजुकेशन थेरेपी

~फैमिली थेरेपी

~स्पीच थेरेपी

~ऑक्यूपेशनल थेरेपी

~डेली लिविंग थेरेपी

~फिजिकल थेरेपी

~लक्षणों पर कंट्रोल पाने के लिए दवाएं


जानें ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से जुड़े मिथकों की सच्चाई

मिथक: ऑटिज्म से प्रभावित लोग भावनाओं को महसूस नहीं करते.

तथ्य: ऑटिज्म से ग्रसित बच्चा/व्यक्ति सभी भावनाओं को महसूस कर सकते हैं, लेकिन उन्हें दूसरे लोगों से बातचीत करने और मिलने जुलने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है.


मिथक: ऑटिज्म का इलाज संभव है.

तथ्य: ऑटिज्म एक ऐसा विकार है, जिसका इलाज संभव नहीं है. यह आजीवन चलने वाला विकार है और इसे थेरेपी या दवा के जरिए ठीक नहीं किया जा सकता है.


मिथक: ऑटिस्टिक लोग बौद्धिक रूप (intellectually) से अक्षम होते हैं और बोलने में असमर्थ होते हैं.

तथ्य: ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) से पीड़ित व्यक्तियों की योग्यताएं और फंक्शन अलग होता हैं. कुछ में बौद्धिक अक्षमता या बोलने में कठिनाई हो सकती है, वहीं कुछ में नहीं.


मिथक: ऑटिज्म से पीड़ित लोग स्वतंत्र रूप से जीने या सफल करियर बनाने में सक्षम नहीं होते हैं.

तथ्य: कई ऑटिस्टिक व्यक्ति स्वतंत्र रूप से रहने और सफल करियर बनाने में सक्षम होते हैं.


मिथक: ऑटिज्म सिर्फ बच्चों में होता है.

तथ्य: ऑटिज्म एक आजीवन विकास संबंधी विकार है. बचपन में लक्षण अधिक दिखाई दे सकते हैं मगर ऑटिस्टिक सिम्पटम्स बड़े होकर भी बरकरार रहते हैं. कई वयस्कों में इसके लक्षण बचपन गुजर जाने के बाद ही डायग्नोज हो पाता है.


मिथक: सभी ऑटिस्टिक लोगों में लक्षण समान होते हैं.

तथ्य: ऑटिस्टिक लोगों में अलग-अलग लक्षण और योग्यताएं हो सकती हैं. बातचीत करने में कठिनाई, सेंसरी प्रोसेसिंग में दिक्कत और बार-बार एक ही चीज दोहराना जैसे विकार देखने को मिलते हैं. ऑटिज्म से पीड़ित हर व्यक्ति दूसरे से अलग होता है.

मिथक: ऑटिस्टिक बच्चे अधिक हिंसक होते हैं.

तथ्य: ऑटिस्टिक बच्चों का अधिक हिंसक होना एक गलत धारणा है.


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