Divorce Rate: दुनिया में सबसे ज्यादा तलाक की दर किस देश में है? जानिए



Divorce Rate: दुनिया में सबसे ज्यादा तलाक की दर किस देश में है? जानिए 

भारत एक ऐसा देश है जहां पर हमेशा रिश्तो को जोड़कर चलने के संस्कार सिखाए जाते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी रिश्तो को निभाना ही हमारी संस्कृति है। शायद इसी संस्कार, संस्कृति एवं सभ्यता का नतीजा है कि हमारे भारत देश में तलाक की दर (Divorce Rate in India) दुनिया के अन्य सभी देशों के मुकाबले में बहुत कम है। यहां शादी को सात जन्मों का बंधन माना जाता है। ऐसे में पहले ही जन्म में जीवन साथी से अलग हो जाना, भारतीयों के लिए एक बहुत बड़ी बात होती है। भारत देश में पति पत्नी के रिश्ते में बात तलाक तक तब पहुंचती है जब और कोई रास्ता नहीं बचता है।

तलाक...ये एक उर्दू शब्द है। इसका अर्थ होता है कि वैधानिक रूप से विवाह संबन्ध का विच्छेद। वैसे तो सभी धर्मों में शादी को लेकर बड़ी मान्यताएं है। लेकिन हिंदू धर्म में पति पत्नी का रिश्ता रीति-रिवाज, विश्वास, प्रेम-स्नेह और दो परिवारों के मिलन से परिपूर्ण है शादी। बात ये है कि अब के समय के युवाओं में विवाह को लेकर धारणा बदल रही है। शादी में सही विचार और सामंजस्य बैठा तो ठीक नहीं तो ब्रेकअप और तलाक जैसा विकल्प खोज लिया है। यही वजह है कि अब देश में 100 जोड़ों में एक व्यक्ति तलाक ले रहा है। बीते महीनों में तलाके के केसों में 50 से 60 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसी जानकारी सरकारी आंकड़ें दे रहे हैं। 

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भारत में ही नहीं दुनिया में तलाक ट्रेंड (Divorce Trend) जैसा छा गया है। छोटे शहरों से लेकर बड़े-बड़े देशों में रिश्तों को छोड़ने-पकड़ने का सिलसिला जारी है। न्यूजट्रैक टीम ने परिवार परामर्श की कुछ शिकायतों की पड़ताल की तो पता चला किसी रिश्ते की खत्म होने की वजह घूमना है तो कोई सुबह न उठने की वजह से तलाक लेने को तैयार है। ऐसे रिश्तों को जोड़ने के लिए देश भर में परिवार परामर्श जैसे सेल की शुरुआत हुई, जहां दंपति के बीच मन-मुटाव खत्म करके दोबारा लाखों रिश्तों को जोड़ा गया। 

इस रिपोर्ट में जानिए देश-दुनिया में तलाक क्या स्थिति है... 


भारत में किस आधार पर मिलता है तलाक


हाईकोर्ट के अधिवक्ता सूरज सिंह बताते हैं कि हर देश में तलाक के अलग अलग नियम हैं। तलाक कई आधारों पर दिया जा सकता है। इसमें व्यभिचार, क्रूरता, परित्याग, धर्मांतरण, मानसिक विकार, यौन रोग और विवाह का असाध्य टूटना शामिल है। जिला अदालत जहां दंपति आखिरी बार एक साथ रहते थे, तलाक के मामलों पर अधिकार क्षेत्र है। हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 13B (Hindu Marriage Act/Section 13 B) के तहत एक प्रावधान (Provision) दिया गया है। इसमें कुछ शर्तें दी गई हैं, जिन्हें दोनों पक्षों की ओर से पूरा किया जाना जरूरी है। 

तलाक का क्या इतिहास 

तलाक की बात करे तो काउंसिल के गवर्नर जनरल ने भारतीय तलाक अधिनियम, 1869 को अधिनियमित किया, जो भारत भर के ईसाइयों पर लागू होता था। ये हिंदू धर्म के लिए बिल्कुल मान्य नहीं था। कानूनी ढंग से हुए पहले तलाक़ के बारे में अब तक जितने रिकॉर्ड उपलब्ध हैं, उनके हिसाब से 1929 में अमेरिका के मैसेचुसेट्स की बे कॉलोनी के एक जोड़े का तलाक़ पहला कानूनी तलाक था।

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इस देश में नहीं होते तलाक

फिलीपींस की वेटिकन सिटी एक कैथोलिक संचालित शहर-राज्य है जो पोप द्वारा शासित है। गहरा कैथोलिक जैसा कि यह है, यह नागरिकों को तलाक देने की अनुमति नहीं देता है। वेटिकन दुनिया का सबसे छोटा देश है, जिसमें लगभग 100 एकड़ में 842 सभी-कैथोलिक निवासियों की स्थायी आबादी है। ईसाईवादी संप्रभु शहर-राज्य, जिसमें तलाक की कोई प्रक्रिया नहीं है।

इन देशों में तलाक लेना आसान

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में आपको तलाक के लिए फाइल करते समय पति या पत्नी में से किसी की ओर से कोई गलती साबित नहीं करनी होगी। दोनों देश 'नो-फॉल्ट' तलाक प्रणाली संचालित करते हैं, और दोनों आपको अदालत से बाहर बच्चे और वित्तीय मुद्दों पर समझौते तक पहुंचने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।


इस देश में सबसे अधिक सफल शादियां 


कहते हैं कि युवा रिश्ते चलाने में असफल हो रहे हैं। लेकिन एक देश ऐसा भी है जहां कम उम्र में शादी के बावजूद शादिया सफल हो रही हैं। ग्वाटेमाला में वैश्विक स्तर पर सभी देशों में सबसे कम तलाक दर है, प्रति 1,000 जनसंख्या के लिए केवल 0.3 तलाक का दावा करते हुए। ग्वाटेमाला का कानून 14 साल की लड़कियों और 16-18 साल के लड़कों की शादी की अनुमति देता है।


हिंदू धर्म और तलाक


अब के समय में कानून और संविधानों के तहत हर किसी भी धर्म का व्यक्ति तलाक दे और ले सकता है। लेकिन हिंदू धर्म के इतिहास में तलाक जैसा शब्द या कानून नहीं था। हिंदू रिश्तों में तलाक की मनाही थी क्योंकि महिलाओं की संस्कृति और समाज में निम्न स्थिति थी। चूंकि हिंदू धर्म विवाह को एक संस्कार मानता है और कई देवताओं की उपस्थिति में जीवन भर का वादा करता है, तलाक कभी भी एक विकल्प नहीं था। लेकिन अब के समय में लोगों को तलाक की स्वतंत्रता है।


आपसी सहमति के तलाक लेने की शर्तें


हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार पति और पत्नी एक साल या उससे ज्यादा समय से अलग रह रहे हों। दोनों में पारस्परिक रूप से सहमत होने और एक दूसरे के साथ रहने पर कोई सहमति न हो। अगर दोनों पक्षों में सुलह की कई स्थिति नज़र नहीं आती को आप तलाक (Divorce ) फाइल कर सकते हैं। इसमें दोनों पक्षों की ओर से तलाक की पहली याचिका लगाने के कोर्ट की ओर से 6 महीने का समय दिया जाता है। इस दौरान कोई भी पक्ष याचिका वापस भी ले सकता है।


नए नियम में अब आप 6 महीने के समय को कम कराने के लिए एप्लीकेशन भी दे सकते हैं। कोर्ट सभी पहलुओं को जांचने के बाद इस समय को कम भी कर सकता है। आपको पहले याचिका डालने के बाद 18 महीने के अंदर दूसरी याचिका डालनी पड़ती है। अगर 18 महीने से ज्यादा वक्त हुआ, तो आपको फिर से पहली याचिका ही डालनी पडेगी। यानि नए तरीके से फिर से तलाक को लेकर याचिका डालनी पड़ेगी। अगर दूसरी याचिका के वक्त कोई एक पक्ष केस वापस लेता है तो उस पर जर्माना और पेनॉल्टी लगती है।

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